चाइनीज लाइट्स की जगह मिट्टी के दीप बने पहली पसंद , आज दीयों की रोशनी से जगमग होंगे घर-द्वार

punjabkesari.in Thursday, Oct 31, 2024 - 01:59 PM (IST)

नारी डेस्क:  भारतीय परंपरा के अनुसार दीपोत्सव में मिट्टी के दीयों की खास अहमियत है और इसके बिना दीपावली का त्योहार अधूरा सा है। दीपावली के दिन हर घर दीये जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। शास्त्रों में मिट्टी के दीपक को तेज, शौर्य और पराक्रम का प्रतीक माना गया है। जब भगवान श्रीराम चौदह साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तब अध्योध्यावासियों ने मिट्टी के दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। 

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सुख-समृद्धि और शांति लाते हैं मिट्टी के दीपक

दीपावली पर मिट्टी के दीपक जलाने के पीछे धार्मिक महत्व भी है। मिट्टी के दीपक जलाना ना सिर्फ प्रकृति के लिए अनुकूल है, बल्कि इससे सुख-समृद्धि और शांति भी आती है। दीपक की रोशनी शांति का प्रतीक भी मानी जाती है। इसलिए दीपक जलाने से घर में शांति बनी रहती है। अंधकार पर प्रकाश के विजयोत्सव दीपावली का त्योहार आज भी परंपरागत रूप से ही मनाया जाता है, आधुनिकता भले ही हावी हो लेकिन दीपावली पर्व के मौके पर मिट्टी के दीया की रोशनी से ही घर रोशन होता है।

 

दीयों के बिना दीपावली का त्योहार अधूरा

चाइनीज लाइटों की चकाचौंध के बीच आज भी भारतीय परंपरा के अनुसार दीपोत्सव में मिट्टी के दीयों की खास अहमियत है और इसके बिना दीपावली का त्योहार अधूरा सा है। दीपावली पर्व के मौके पर मिट्टी के दीये की रोशनी से ही घर रोशन होता है। अमावस्या की अंधेरी रात में दीये की जगमगाती रोशनी से चारों तरफ उजियारा छा जाता है। अंधेरे को चीरते इन खूबसूरत दीयों के बगैर दीपावली का त्योहार अधूरा सा है। यही कारण है कि दीपावली को लेकर शहरी क्षेत्र में मिट्टी के दीयो की कई दुकानें लगी हुई है।

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मिट्टी की खुशबू बदल देती है वातावरण

लोगों के घरों में दीपावली पर मिट्टी की खुशबू और दीया की टिमटिमाहट नजर आएगी।शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के बाजार में मिट्टी के दीया की जमकर बिक्री हो रही है। बाजार में मिट्टी के दीया की मांग को देखते हुए कुम्हारों ने पहले से ही तैयारी कर रखी थी। कुम्हरारों का कहना है कि भले ही आधुनिक साजो-सामान, लाइटिंग के ट्रेंड आ गए हों लेकिन आज भी मिट्टी के दीये और कलश ही दीपावाली पर सबसे ज्यादा बिकते हैं। बाजारों में हर बार की तरह लुक-झुक करती लाइटों और दीयों की जमकर खरीददारी होती है। 

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मिट्टी के दीयों का है ट्रेंड 


दीपावली मनाने के तौर-तरीकों में तमाम बदलाव आए हैं लेकिन मिट्टी के दीये जलाने का ट्रेंड आज भी वैसा ही है। हालांकि दीयों के पैटर्न और स्टाइल में जबर्दस्त बदलाव देखने को मिला रहा है। पारंपरिक दीयों के साथ ही कई सजावटी दीये भी मिल रहे हैं बाजार की रौनक डिजाइनर दीये बढ़ा रहे हैं। बाजार में इनकी धूम है। दीयों का उपयोग दीवाली के दिन घर सजाने के लिए तो होता ही है, साथ ही यह उपहार में भी दिये जाते हैं। दीपावली के लिए इस वर्ष विशेष तौर पर टेराकोटा के बने जादुई दीये बाजार में बिक रहे हैं, जो दस घंटे तक लगातार जल सकते हैं। इसके अलावा मोम के सुंदर दीये, इलेक्ट्रानिक दीये, बैटरी से घूमने वाले दीये भी बाजार की शोभा बढ़ा रहे हैं। 
 


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Content Writer

vasudha

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