आर्किटेक्ट बनना चाहते थे पर शेफ बन गए संजीव कपूर, 'खाना खज़ाना' से घर-घर पहुंचाई अपनी रेसिपी

punjabkesari.in Monday, Sep 13, 2021 - 01:46 PM (IST)

जब बात भारत के सबसे बढ़िया शेफ की हो तो सबसे पहले जुंबा पर संजीव कपूर ना नाम ही आता है। संजीव कपूर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने खाने को लेकर फेमस है।  शायद ही कोई ऐसी महिला हो जिन्होंने टीवी पर उनका शो देखकर रेसिपी ट्राई ना की हो। मगर, सफेद कोट में खाने की लजीज रेसिपी बताने वाले संजीव कपूर आर्किटेक्ट बनना चाहते थे। फिर ऐसा क्या हुआ कि उन्हें इस फील्ड में कदम रखना पड़ा। चलिए आपको बताते हैं संजीव कपूर का यहां तक पहुंचने का सफर...

खाने के शोकीन थे लेकिन खाना बनाने के नहीं 

10 अप्रैल, 1964 में अंबाला में जन्में संजीव कपूर के पिता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी करते थे और मां हाउसवाइफ थी। पिता के कारण उन्हें मेरठ, सहारनपुर, दिल्ली में भी रहना पड़ा। बचपन से ही पढ़ाई में होशियार संजीव कपूर हमेशा टॉप 5 में रहते थे। उन्होंने 9वीं कक्षा तक बायोलॉजी की पढ़ाई की। उस दौर में बच्चे इंजीनियर या डॉक्टर बनते थे और संजीव कपूर भी डॉक्टर बनना चाहते थे।

एक किस्से ने दिया जिंदगी को नया मोड़

एक बार संजीव कपूर इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का डायग्राम बनाकर टीचर के पास ले गए। टीचर ने उनके पूरे डायग्राम पर लाल पेन से से लेबल इट लिख दिया। मगर, संजीव को यह बात पसंद नहीं आई और यही से उनकी जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया। उन्होंने 12वीं में 80% अंक लिए लेकिन वो बाकी स्टूडेंट की तरह डॉक्टर बनने का ख्याल छोड़ चुके थे।

आर्किटेक्ट बनना चाहते थे, बन गए शेफ

डॉक्टरी का ख्याल छोड़ संजीव कपूर ने आर्किटेक्चर बनने के बारे में सोचा।  तब उन्हें दिल्ली में आर्किटेक्चर की पढ़ाई के बारे में पता चला लेकिन तब पूरे भारत में सिर्फ 15-20 ही सीटें थी। उन्होंने परीक्षा दी लेकिन उनका नाम वेटिंग लिस्ट में शामिल हो गया। तभी उनका एक दोस्त जस्मीत सिंह सनी होटल मैनेजमेंट के फॉर्म भर रहा था, जिसके साथ उन्होंने भी फॉर्म भर दिया लेकिन उन्होंने होटल मैनेजमेंट के बारे में कभी सोच भी नहीं था।

दोस्त के कहने पर दिया इंटरव्यू

संजीव को इंटरव्यू के लिए फोन भी आया लेकिन वो इंटरव्यू देने नहीं गए। मगर, दोस्त के कहने पर उन्होंने इंटरव्यू दिया और सिलेक्ट हो गए। हालांकि सेलेक्शन के बाद भी वो एडमिशन लेने के बारे कंफ्यूज थे इसलिए उन्होंने Catering and Nutrition कोर्स में एडमिशन लिया, जहां उन्होंने खाना पकाना, परोसना, कैटरिंग, अकाउंटेंसी के बारे में सीखा।

एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वो गलती से शेफ बन गए। वो आर्किटेक्ट बन सकते। उन्होंने करियर के रूप में खाना पकाने के बारे में कभी सोचा भी नहीं था लेकिन बस यही हुआ और उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उन्हें इस बार की बेहद खुशी है।

खाना खज़ाना ने घर-घर तक पहुंचा दिया

1984 में पास होने के बाद उन्होंने ITDC अशोक होटल में ट्रेनिंग की और फिर वाराणसी के ITDC अशोक होटल में 6 साल तक बतौर एक्जेकेटिव शेफ काम किया। वाराणसी में काम करते हुए ही उन्हें होटल मैनेजर बना दिया गया। तब वह सिर्फ 27 साल के थे।

उसी दौरान Zee TV के एक शख्स ने संजीव कपूर को बताया कि चैनल उनके साथ एक कुकरी शो करना चाहता है। शो का नाम पहले 'श्रीमान बावर्ची' रखा गया था लेकिन बाद में उसे बदलकर 'खाना खजाना' कर दिया गया क्योंकि संजीव कपूर को वो नाम पसंद नहीं आया था।

एक शो से बनाई घर-घर में पहचान

एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि पहले शो के हर एपिसोड में अलग-अलग शेफ नजर आने वाले थे लेकिन तभी शो के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर, हंसल मेहता उनसे मिले और उन्हें खाना खजाना का इकलौता शेफ बना दिया गया। शो को दर्शकों का खूब प्यार मिला और उनकी रेसिपी घर-घर पहुंचने लगी। कई सालों तक उनका शो नंबर वन लिस्ट पर रहा। 

खोला खुद का कुकरी चैनल

संजीव कपूर ने साल 2011 में अपना खुद कुकरी चैनल 'FoodFood' खोल दिया, जोकि 24 घंटे चलते हैं। बता दें कि उनके इस चैनल से भारत के अलावा विश्व की एक बड़ी आबादी भी जुड़ी हुई है। उनके कई बिजनेस हैं, प्रीमियम कुकवेयर, अपलायंस ब्रैंड Wonderchef भी हैं। इसके अलावा वह कई ब्रैंड्स के ब्रैंड अम्बैसेडर भी हैं। 

पद्मश्री से सम्मानित

2002, 2004 और 2010 में उन्हें बेस्ट कुकरी शो के खिताब से नवाजा गया। इसके अलावा उन्हें कई पाक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 2017 में संजीव कपूर को भारत के सर्वोच्च पुरुस्कार पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

A post shared by Sanjeev Kapoor (@sanjeevkapoor)

Content Writer

Anjali Rajput