आज रात श्री कृष्ण की पूजा के लिए मिलेंगे सिर्फ इतने मिनट, अभी से कर लें तैयारी

punjabkesari.in Saturday, Aug 16, 2025 - 01:22 PM (IST)

भगवान कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में, श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाने के लिए भारत भर के भक्त भक्ति और उत्साह के साथ मंदिरों में उमड़ पड़े। देश के कई मंदिरों में सुबह-सुबह मंत्रोच्चार, भजन और घंटियां बजाने जैसे पवित्र अनुष्ठान शुरू हो गए।  जन्माष्टमी की पूजा रात्रि में ही विशेष मानी जाती है क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि हुआ था। इसीलिए इस दिन निशीथ काल (मध्य रात्रि) में पूजा करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है।
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ये है पूजा का शुभ मुहूर्त  

भगवान कृष्ण का प्राकट्य मध्य रात्रि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस बार जन्माष्टमी पर रात्रिकाल में लड्डू गोपाल की पूजा का शुभ मुहूर्त  47 मिनट तक ही रहेगा। आज निशिता पूजा समय रात 12 बजकर 4 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। वहीं रोहिणी नक्षत्र का आरंभ रविवार, 17 अगस्त 2025 की सुबह 4:38 बजे होगा और इसका समापन  सोमवार, 18 अगस्त 2025 को सुबह 3:17 बजे होगा।


जन्माष्टमी रात्रि पूजा विधि

पूरे दिन उपवास रखकर रात्रि में स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। लकड़ी की चौकी पर लाल/पीले कपड़े बिछाकर उस पर लड्डू गोपाल (बाल स्वरूप कृष्ण) को स्थापित करें, उनके लिए सुंदर झूला सजाएं। रोली, मौली, चावल, धूप, दीपक, फूल, माखन-मिश्री, पान, तुलसी दल, फल, पंचामृत आदि रखें। गणेश जी का पूजन करने के बाद श्रीकृष्ण का ध्यान करें। मंत्रोच्चारण के साथ श्रीकृष्ण को स्नान कराएँ (पंचामृत और जल से)। इसके बाद वस्त्र, आभूषण पहनाएं और फूल चढ़ाएं।

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भोग अर्पण

श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री, धनिया पंजीरी, पंचामृत और अन्य प्रिय भोग चढ़ाएं। तुलसी दल अवश्य अर्पित करें, क्योंकि बिना तुलसी के भोग अधूरा माना जाता है। रात्रि 12 बजे भगवान के जन्म समय पर शंख-घंटी बजाकर जन्मोत्सव मनाएं।"नं द घर आनंद भयो" जैसे भजनों के साथ झूला झुलाएं। मान्यता है कि जो भी भक्त इस शुभ रात्रिकालीन मुहूर्त में श्रद्धा से श्रीकृष्ण की पूजा करता है, उसके जीवन से दुःख-दर्द मिट जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।


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vasudha

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