टैटू रिमूव करवाने की सोच रहे हैं तो पहले जान लें ये 7 जरूरी बातें

punjabkesari.in Wednesday, Aug 07, 2019 - 05:29 PM (IST)

टैटू बनवाना आजकल फैशन स्टेटमेंट बन गया है। लड़के-लड़कियां कूल और स्टाइलिश दिखने के लिए कई तरह के टैटू बनवाते हैं लेकिन जितनी जल्दी यह क्रेज चढ़ता है उतनी ही जल्दी उतर भी जाता है। समय बदलने के साथ उन्हें अपना टैटू नापसंद हो जाता। ऐसे में पुराने टैटू से पीछा छुड़वाने के लिए लोग क्रीम का सहारा लेते हैं लेकिन वास्तव में कोई क्रीम या घरेलू नुस्खा परमानेंट टैटू को रिमूव नहीं कर सकता है। ऐसे में ऑप्शन बचती है तो सिर्फ लेजर ट्रीटमेंट की।

 

टॉपिकल क्रीम नहीं करती काम

मार्केट में ऐसे क्रीम व बाम मिलते हैं जिनके बारे में टैटू को रिमूव करने या हल्का करने का दावा किया जाता है। वास्तव में ऐसो कोई क्रीम या घरेलू तरीका नहीं है जिससे टैटू को हटाया जा सके।

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लेजर ट्रीटमेंट से आती हैं स्मेल

लेजर पल्म तकनीक से जब आपकी स्किन से टैटू रिमूव किया जाता है तो काफी दिन तक जलन की बदबू आती रहती है। 

लेजर से दर्द नहीं होता

इस ट्रीमेंट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे आपको किसी तरह का दर्द या साइड-इफैक्ट्स नहीं होता लेकिन कुछ सेकेंड के लिए दर्द का अहसास जरूर होता है। हां, अगर सेफ्टी ना बरती जाए तो स्किन रैशेज, जलन या खुजली हो सकती है।

हाथ-पैर और टखनों से टैटू हटाना मुश्किल

अगर आप हाथ-पैर या टखनों पर टैटू बनवा रहे हैं तो डरा अच्छी तरह सोच लें क्योंकि शरीर के इन हिस्सों से टटू रिमूव करना लगभग मुश्किल होता है। वहीं बटक्स और अपर आर्म्स की तुलना में पेट से टैटू हटाना आसान है। जबकि वैस्कुलर हिस्से से हटाना सबसे आसान होता है

एक बार में नहीं निकलता टैटू

अगर आप सोच रहे हैं कि एक ही सेशन में टैटू निकल जाएगा तो यह ख्याल अपने दिमाग से निकाल दें क्योंकि इसके लिए आपको 10-15 सेशंन लेने पड़ेंगे। लेजर तकनीक से भी स्किन ठीक होने में समय लगते हैं। इसके लिए आपको 10-15 दिन तक क्लिनिक में घंटों तक बैठना पड़ता है।

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फिर रह जाती है हल्की छाया...

इतनी मेहनत करके आप टैटू निकलवा तो लेते हैं लेकिन बावजूद इसके स्किन पर हल्का-सा रंग रह जाता है। इतना ही नहीं, इसके बाद आपको कुछ दिनों तक टैटू वाले हिस्से में दर्द भी होता है, भले आप कितनी भी जेल क्यो ना इस्तेमाल कर लें।

लाल या पीले टैटू से छुटकारा पाना है मुश्किल

भले ही लेजर ट्रीटमेंट टैटू को रिमूव कर देते हो लेकिन ये भी हर कलर्स पर काम नहीं करते। दरअसल, लेजर अलग-अलग रंग की डिफरेंट तरंगों (wavelength) को अवशोषित करता है इसलिए हर मेडिकल प्रैक्टिशनर के पास अलग-अलग वेवलेंथ होती है। मगर ज्यादातर प्रोफेशनलिस्ट ऐसे लेजर खरीदते हैं जो सिर्फ नीले या काले रंग पर ही असर दिखाते हैं, जिसके कारण पीले या लाल टैटू को रिमूव करना थोड़ा मुश्किल होता है।

डर्माब्रेसन

यह एक मैडीकल प्रक्रिया है, जिसमें त्वचा की एपिडर्मिस को एब्रेसन या सैंडिग से हटाना शामिल है। इसके बाद नई स्किन लेयर आ जाती है लेकिन इसमें दाग रह सकता है। बैलून्स का प्रयोग करते हुए टैटूज का सर्जिकल रिमूवल जो स्किन में इन्सर्ट कराए जाते हैं और उनके फूलने से टिश्यू एक्सपैंशन होता है। टैटू वाली स्किन हट जाती है और टिश्यूज के फैल जाने के कारण दाग रहने के चांस कम हो जाते हैं।

कैमूफ्लाजिंग टैटू

इस विधि में पुराने टैटू को ढंकने के लिए दूसरा टैटू बनाया जाता है। स्किन कलर से मिलते-जुलते पिगमैंट्स को टैटू पर नेचुरल स्किन उभारने के लिए इंजैक्ट कराते हैं लेकिन इसमें फर्क साफ देखा जा सकता है क्योंकि इसमें त्वचा की नैचुरल चमक नहीं होती।

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Content Writer

Anjali Rajput

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