नाग पंचमी पर 108 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग, जानिए शुभ मूहूर्त व कथा
punjabkesari.in Wednesday, Aug 11, 2021 - 01:50 PM (IST)
सावन व्रत व त्योहार का मास माना जाता है। इस दौरान हरियाली तीज के बाद नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल नाग पंचमी 13 अगस्त दिन शुक्रवार को पड़ रही है। इन दिन नागों की पूजा, स्नान कराने, दूध पिलाने आदि का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा कराने के साथ भोलेनाथ की पूजा व रुद्राभिषेक करने से जीवन के सारे कष्टों से छुटकारा मिलता है। चलिए आज हम आपको नाग पंचमी का शुभ मूहूर्त, पूजा विधि, महत्व, कथा बताते हैं...
नाग पंचमी और भगवान श्री कृष्ण
पौराणिक कथाओं के अनुसार, नाग का संबंधी भगवान श्रीकृष्ण से भी जुड़ा है। कहा जाता है कि बालावस्था में श्रीकृष्ण अपने साथियों के साथ खेल रहे थे तो गलती से उनकी गेंद यमुना नदी में गिर गई थी। उस नदी में कालिया नाग रहता है। गेंद को वापिस लाने के लिए बालरुप श्रीकृष्ण नदी में कूद पड़े। फिर वहां पर भगवान श्रीकृष्ण का नाग के साथ युद्ध हुआ और भगवान ने उसे सबक सिखाया। साथ ही विष्णु अवतार भगवान कृष्ण जी पहचाने के बाद कालिया नाग ने उनसे मांफी मांगी। साथ ही वचन दिया कि वो आगे से किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाएगा। इसके साथ ही कालिया नाग यमुना नदी छोड़कर समुद्र में चले गए थे। कहा जाता है कि कालिया नाग पर श्रीकृष्ण की विजय पाने पर भी इस शुभ पर्व को नाग पंचमी के नाम से मनाने की परंपरा शुरू हो गई।
नाग पंचमी पर 108 साल बाद बन रहा है विशेष संयोग
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, नाग पंचमी के पावन त्योहार पर इस बार उत्तरा योग और हस्त नक्षत्र का विशेष संयोग बन रहा है। इसके साथ ही शिन नक्षत्र लगने से इस दिन नागों की पूजा करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
नाग पंचमी मनाने का महत्व
मान्यता है कि कुंडली में कालसर्प दोष होने पर नाग पंचमी के लिए शांति पूजा करवानी चाहिए। भगवान शिव नाग को धारण करने वाले थे। इसलिए इस दिन ऊं नम: शिवाय और महामृत्युंजय मंत्रों का जाप सुबह-शाम करेें। इस दिन शिवलिंग का दूध से रुद्राभिषेक करने से मनचाहा फल मिलता है। इसके साथ ही कुंडली में राहु व अन्य दोषों से छुटकारा मिलता है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार नाग पंचमी के लिए सर्पों को स्नान कराने, दूध पिलाने व उनकी पूजा करने से पुण्य मिलता है।
नाग पंचमी की तिथि और मुहूर्त
नाग पंचमी आरंभ 12 अगस्त 2021, दिन गुरुवार, शाम 03:24 बजे से
नाग पंचमी समाप्त 13 अगस्त 2021, शुक्रवार, दोपहर 01:42 मिनट तक
ज्योतिष के अनुसार, इसकी उदय तिथि 13 होगी तो इसे पर्व को इसी दिन मनाया जाएगा।
पूजा का शुभ मूहूर्त
13 अगस्त 2021, सुबह 05:49 मिनट से 08:28 मिनट तक रहेगा
पूजन विधि
. नाग पंचमी के दिन सुबह उठकर नहाकर साफ कपड़े पहने।
. अब घर से दरवाजे पर मिट्टी, गोबर या गेरू से नाग देवता का चित्र बनाकर लगाएं।
. नाग देवता दूर्वा, कुशा, फूल, चावल, जल और दूध अर्पित करें।
. सेवईं या खीर का भोग लगाएं।
. इस दिन नागों को दूध से नहलाने का भी रिवाज लें।
. नागों की सुरक्षा का संकल्प लें।
. दिनभर 'ऊं नम: शिवाय' और 'महामृत्युंजय' मंत्रों का जाप करें।
. अष्टनागों के मंत्र का जाप करें।
"वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम्॥"
नाग पंचमी की कथा
एक राज्य में एक किसान परिवार रहता था। किसान के एक पुत्री और दो पुत्र थे। एक दिन खेतों में हल जोतते दौरान भूल से उसका हल नाग नाग के तीन बच्चों पर चढ़ गया है। इससे नाग के तीनों बच्चे मारे गए। इस घटना के बाद नाग के बच्चों की मां नागिन से संतान के हत्यारे से बदलना लेने का संकल्प लिया। उसके बाद रात के समय नागिन से किसान के घर जाकर उसके दोनों बेटों और पत्नि को डस लिया। अगली सुबह नागिन किसान की लड़कियों को डसने के लिए उसके घर की ओर जाने लगी। उस समय रास्ते में किसान की पुत्री ने कटोरी में दूद भरकर उसके सामने रख दिया और हाथ जोड़कर मांफी मांगने लगी। नागिन ने कन्या की प्रार्थना से खुश होकर उसकी मां व भाइयों को दोबारा जीवित कर दिया। उस दिन शावन मास की शुक्ल पंचमी थी। तब से इस दिन नाग के कोष से बचने के लिए नागों की पूजा होने लगी। मान्यता है कि इस दिन नाग-नागिन को दूध पिलाने व उनकी पूजा करने से शुभफल की प्राप्ति होती है। साथ कालसर्प आदि दोषों से छुटकारा मिलता है।