हार्मोंन्स असंतुलन की निशानी है बचपन का मोटापा, पेरेंट्स की केयर जरूरी

punjabkesari.in Friday, Oct 09, 2020 - 03:25 PM (IST)

बड़ों में हार्मोन्स असंतुलन होना अक्सर सुनने में आता है। मगर आज के समय में गलत जीवनशैली व खानपान के चलते बच्चों में भी यह परेशानी देखने को मिल रही है। इसके कारण बच्चे के विकास में बाधा आने के साथ सेहत से जुड़ी बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में बच्चे की डेली रूटीन में कुछ बदलाव लाकर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि बच्चों में हार्मोन्स असंतुलन होने के कारण, लक्षण व इससे बचने के उपाय...

बच्चों में हार्मोन असंतुलन होने के मुख्य कारण...

- एंडोक्राइन ग्लैंड पर चोट लगना। 
- एंडोक्राइन ग्लैंड में संक्रमण होना
- जैनेटिक कारणों से भी हार्मोन असंतुलित होते हैं। 
- एंडोक्राइन ग्लैंड में ट्यूमर होना। 
- पूरी नींद न लेना। 
- जंक फूड का ज्यादा सेवन करना। 
- ज्यादा चिंता व तनाव में रहना। 
- समय पर और पौष्टिक चीजों का सेवन न करना। 
- घंटों एक ही जगह बैठे रहना। 
- योगा व एक्सरसाइज न करना। 
- किसी भी तरह की शारीरिक गतिविधि में भाग न लेना। 

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अगर बच्चे को नीचे लिखित परेशानियां है तो इनकी वजह से हार्मोनल असंतुलन होता है...

डायबिटीज 

शरीर में इंसुलिन की कमी होने से खून में ग्लूकोज को सही तरीके से अवशोषित करने में मुश्किल आती है। ऐसे में शुगर लेवल बढ़ने लगता है। इसके साथ ही इंसुलिन उत्पादक की कोशिकाएं नष्ट होने लगती है। 

मोटापा

शरीर का वजन अधिक होने से भी इस समस्या का सामना करना पड़ता है। असल में, जब खून में हार्मोन का स्तर कम होने लगता है तो मेटाबॉलिज्म पर सीधा व गहरा असर पड़ता है। ऐसे में शरीर का वजन तेजी से बढ़ने लगता है। 

बच्चों में हार्मोन असंतुलन होने पर दिखने वाले लक्षण

- शरीर में  बाल कम होना। 
- मांसपेशियों व हड्डियों में कमजोरी आने के साथ बेहतर तरीके से विकास होने में रूकावटें आना। 
- बच्चे की आवाज सामान्य से पतली होना। 
- अचानक ही वजन बढ़ जाना। 
- एसिडिटी, कब्ज, अपच की परेशानी रहना। 
- बिना कोई शारीरिक काम किए भी कमजोरी व थकान महसूस होना। 
- तनाव व चिंता के कारण स्वभाव में चिड़चिड़ापन आना। 
- पसीना ज्यादा आना। 
- बार- बार प्यास लगना। 
- ज्यादा ठंड या गर्मी महसूस होना। 

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इसतरह करें बचाव 

अगर आपको अपने बच्चे में हार्मोन असंतुलन के लक्षण दिखाई देते हैं तो  इसके लिए सबसे पहले पेरेंट्स एंडोक्रिनोलॉजिस्ट या बाल रोग विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। ताकि इसके बारे में अच्छे से समझकर बच्चों की सुरक्षा कर सके। इसके अलावा लाइफस्टाइल में बदलाव कर भी इस परेशानी से सुरक्षा की जा सकती है जो इसप्रकार है...

- चाय, कॉफी व कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन न करें। 
- जंक फूड से बनाएं दूरी। 
- हरी सब्जियां गाजर, ब्रोकोली, पत्तागोभी आदि का ज्यादा सेवन करें। 
-  ताजे फलों को करें डाइट में शामिल। 
- सुबह खुली हवा में 30 मिनट तक योगा व एक्सरसाइज करें। 
- डेयरी प्रॉडक्ट्स दूध, दही का करें सेवन। 
- ओट्स, चिया सीड्स, ड्राई फ्रूट्स, सूरजमूखी के बीज को खाएं। 
- अगर आप नॉन- वेजटेरियन है तो अंडा और चिकन का सेवन करें। 
- ग्रीन- टी व नारियल पानी पीएं। 


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neetu

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