विद्या बालन नहीं केएम अभरना है रियल लाइफ ''शेरनी'', जानवरों के लिए ले चुकी है बड़े एक्शन

punjabkesari.in Saturday, Jun 26, 2021 - 05:35 PM (IST)

विद्या बालन की हाल ही में रीलीज हुई फिल्म 'शेरनी' काफी चर्चा में है। यह फिल्म फाॅरेस्ट और रियल जिंदगी पर आधारित हैं। जिसका मुख्य किरदार विद्या बालन ने निभाया है। बतां दें कि फिल्म 'शेरनी' में विद्या बालन ने फॉरेस्ट अफसर का रोल निभाया है और बहुत लोगों का मानना है कि ये रोल फॉरेस्ट अफ़सर के.एम. अभरना से प्रभावित रोल है। बता दें कि केएम अभरना अवनी (शेरनी का नाम T1) केस की इंचार्ज थीं। वह पांधरकावड़ा में डिप्टी कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट के पद पर तैनात थीं। इसी दौरान वहां के लोगों के बीच शेरनी को लेकर डर और फिर तनाव की स्थिति पैदा हो गई।

दरअसल,  साल  2012, 2 नवंबर को शेरनी T1 जिसे अवनी भी कहा जाता था, उसे महाराष्ट्र के यवतमल जिले में गोली मार दी गई थी। ऐसा दावा किया जा रहा था कि 'अवनी' की वजह से राज्य में 2 वर्षों में 13 लोगों की जान गई, उसके शावक को बाद में शांत कर और रेस्क्यू कर दिया गया था। 

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विद्या बालन के रील कैरेक्टर की तरह केएम अभरना ने भी संभाली थी जिम्मेदारी-
फ़िल्म में विद्या बालन के रील कैरेक्टर की तरह फॉरेस्ट अफ़सर केएम अभरना ने भी उस समय हुए  पूरे विवाद को इसी तरह संभाला था।  महिला फॉरेस्ट गार्ड की टीम बनाई जो कि गांव वालों से लगातार संपर्क में रही, उन्होंने कैमरा ट्रैक लगाया जिससे अवनी को लगातार ट्रैक कर सकें। लोगों के बीच जिस तरह से जागरुकता अभियान उन्होंने चलाया जिसकी काफी सरहाना हुई। 

विद्या बालन की फ़िल्म में ढेर सारी चीजें मनगढ़ंत हैं-
वहीं, एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वो किसी भी फ़िल्ममेकर या स्टार के पास अपनी कहानी लेकर नहीं गईं। उनका मानना है कि बालन की फ़िल्म वास्तविक घटना से भटक गई और इसमें ढेर सारी चीजें मनगढ़ंत हैं।

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मेरी ज्वाइंनिग से पहले शेरनी ने 5 गांव वालों का शिकार कर लिया था-
केएम अभरना के अनुसार, फ़िल्म में जिस तरह T12 की घटना को दिखाया गया है, उसमें बहुत अंतर है। कुछ फैक्ट को वैसे ही वास्तविकता के आधार पर जरूर रखा गया है। फिल्म में यह दिखाया गया है कि किस तरह से T1 (अवनी) ने मेरी ज्वाइनिंग के बाद लोगों का शिकार करना शुरू किया। लेकिन हकीकत यह है कि मैंने अगस्त 2007 में जॉइन किया तो उस समय शेरनी ने 5 गांव वालों का शिकार कर लिया था, इसके बाद प्रॉपर आइडेंटिफिकेशन अभियान चला।

फाॅरेसट बचाव में ले चुकी है ये बड़े एक्शन-
इस केस को लेने से पहले, वह काजिरंगा नेशनल पार्क में तैनात थीं वहां भी उनके काम की काफी तारीफ हुई थी। उन्होंने गेंडों के मुद्दों पर काम किया। इसके साथ ही इलाके में प्लास्टिक बैन किया और अवैध रूप से मछली मारने के काम पर भी प्रतिबंध लगा दीं। अभी वह बंबू रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर महाराष्ट्र में डायरेक्टर के पोस्ट पर तैनात हैं। 


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Content Writer

Anu Malhotra

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