अच्छी खबर! अब किडनी ट्यूमर से नहीं जाएगी बच्चे की जान, डॉक्टर कर रहे हैं इस पर शोध

punjabkesari.in Tuesday, Oct 07, 2025 - 06:09 PM (IST)

नारी डेस्क: बच्चों की किडनी में ट्यूमर को कैंसर में बदलने वाले कारकों का समय रहते पता लगाकर इलाज संभव बनाने के लिए सेक्टर-30 स्थित बाल चिकित्सा एवं स्नात्तोकोत्तर शैक्षणिक संस्थान (चाइल्ड पीजीआई) में शोध किया जा रहा है। इस अध्ययन में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) लखनऊ के चिकित्सक भी सहयोग कर रहे हैं। चाइल्ड पीजीआई के शोध केंद्र के शोधकर्ता डॉ. दिनेश साहू ने बताया कि विल्म्स ट्यूमर तीन से चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों में पाया जाने वाला सबसे घातक किडनी ट्यूमर है। 
 

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इस कारण बच्चे होते हैं ट्यूमर का शिकार

डॉक्टर का कहना है कि  बच्चों में ट्यूमर बनने के पीछे कुछ बायोमार्कर्स या आनुवांशिक संकेतक होते हैं। जब जीन में म्यूटेशन या बदलाव होता है, तो यह ट्यूमर का रूप ले सकता है इसलिए शोध का उद्देश्य इन बायोमार्कर्स की पहचान करना है। डॉ. साहू ने बताया कि यह अध्ययन तीन से पांच वर्ष के बच्चों पर किया जा रहा है। इसमें जन्म के समय ही कुछ आनुवांशिक परीक्षण कर नए बायोमार्कर्स खोजे जा रहे हैं ताकि बीमारी की शुरुआती अवस्था में ही उपचार संभव हो सके।


 ‘जेनेटिक एनालाइजर' मशीन से जगी उम्मीद

 चाइल्ड पीजीआई के एमएस डॉ. आकाश राज ने बताया कि विल्म्स ट्यूमर, जिसे नेफ्रोब्लास्टोमा भी कहा जाता है, बच्चों में सबसे सामान्य किडनी कैंसर है और अधिकांश मामलों का उपचार पांच वर्ष की आयु से पहले किया जाता है। उन्होंने बताया कि संस्थान में ‘जेनेटिक एनालाइजर' मशीन स्थापित की गई है, जो बीमारी के शीघ्र निदान में मदद करेगी।  


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किडनी ट्यूमर क्या है?

किडनी ट्यूमर (Kidney Tumor) यानी गुर्दे का कैंसर या गांठ बच्चों में एक गंभीर लेकिन रोकी जा सकने वाली समस्या है, अगर समय रहते सावधानी बरती जाए। बच्चों में सबसे आम ट्यूमर को Wilms Tumor (विल्म्स ट्यूमर) भी कहा जाता है। यह 3 से 8 साल की उम्र के बच्चों में अधिक देखा जाता है। इसमें किडनी में गांठ बन जाती है जो बढ़कर पेट फूलने या दर्द का कारण बन सकती है।


बच्चों को किडनी ट्यूमर से बचाने के उपाय

-बच्चों को जंक फूड, पैक्ड स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक्स से दूर रखें।
-रोज़ाना उन्हें हरी सब्ज़ियां, फल, दालें, और पर्याप्त पानी दें।
-किसी भी दर्द या बुखार की दवा डॉक्टर की सलाह के बिना न दें।
- अगर बच्चे को बार-बार पेशाब करने में तकलीफ हो रही है या रंग बदल रहा है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
-हर साल ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट से किडनी की सेहत जांची जा सकती है।
-प्लास्टिक बोतलों या गर्म दूध को प्लास्टिक में रखने से बचें ये केमिकल्स किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं।
 


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vasudha

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