भारतीय लोगों की किडनी तेजी से दे रही जवाब, यहां वजहों को समझना बहुत जरूरी
punjabkesari.in Monday, Nov 24, 2025 - 04:06 PM (IST)
नारी डेस्क : आजकल जिस रफ्तार से बीमारियां बढ़ रही हैं, उनमें क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़ (CKD) सबसे तेजी से फैलने वाली बीमारी बनकर उभर रही है। द लैंसेट में प्रकाशित इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन की नई वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में CKD दुनिया में मौत का नौवां सबसे बड़ा कारण बन चुकी है। सिर्फ पिछले साल ही इस बीमारी ने लगभग 15 लाख लोगों की जान ले ली। जानें किडनी की बीमारी इतनी क्यों बढ़ रही है?
किडनी समस्या बहुत बड़ी
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 788 मिलियन (78.8 करोड़) वयस्क किसी न किसी स्तर की किडनी बीमारी से जूझ रहे हैं। यह संख्या 1990 के मुकाबले लगभग दोगुनी है, जो साफ दिखाती है कि CKD अब एक साइलेंट ग्लोबल हेल्थ क्राइसिस बन चुकी है। यह बीमारी अमीर हो या गरीब—हर देश की आबादी पर तेजी से असर डाल रही है। सबसे ज्यादा प्रकोप नॉर्थ अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और साउथ एशिया जैसे क्षेत्रों में देखा गया है। इसमें चीन और भारत सबसे आगे हैं। चीन में 152 मिलियन और भारत में लगभग 138 मिलियन लोग CKD से प्रभावित हैं। किडनी की बीमारी सिर्फ किडनी को ही नहीं, बल्कि दिल के स्वास्थ्य को भी गंभीर रूप से प्रभावित करती है। अध्ययन बताता है कि कमजोर किडनी फंक्शन दुनिया भर में होने वाली 11.5% कार्डियोवैस्कुलर मौतों के पीछे जिम्मेदार है। यानी किडनी फेलियर का असर सीधे-सीधे दिल की मौतों को बढ़ा रहा है।

रिपोर्ट की सबसे अहम बातें
ताजा ग्लोबल रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में क्रॉनिक किडनी डिजीज़ (CKD) मौतों के टॉप-10 कारणों में शामिल हो गई। सिर्फ इसी साल लगभग 1.48 मिलियन लोग इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। दुनिया भर में अब लगभग 800 मिलियन लोग कम या ज्यादा किडनी फंक्शन लॉस के साथ जी रहे हैं। यानी हर 10 में से 1 वयस्क CKD से प्रभावित है। यह आंकड़ा साफ़ करता है कि किडनी की समस्या अब एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन चुकी है।
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किडनी की बीमारी इतनी क्यों बढ़ रही है?
मेटाबॉलिक बीमारियां बढ़ना
क्रॉनिक किडनी डिजीज़ (CKD) के सबसे बड़े कारणों में मेटाबॉलिक बीमारियाँ आती हैं। इनमें प्रमुख हैं:
डायबिटीज
हाई ब्लड प्रेशर (BP)
मोटापा ये बीमारियां धीरे-धीरे किडनी के नाजुक फिल्टर को नुकसान पहुंचाती हैं और समय के साथ किडनी फंक्शन कम होने का खतरा बढ़ा देती हैं।

बुजुर्ग आबादी का बढ़ना
उम्र बढ़ने पर किडनी की फिल्टरिंग क्षमता कम हो जाती है।
इसीलिए बुजुर्ग देशों में CKD के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
शुरुआती जांच और इलाज की कमी
कई जगहों पर शुरुआती टेस्ट उपलब्ध ही नहीं होते।
ज्यादातर लोग तब पता लगाते हैं जब बीमारी काफी आगे बढ़ चुकी होती है।
यह बीमारी खतरनाक क्यों है?
किडनी हर दिन शरीर से टॉक्सिन निकालती है, पानी-नमक का संतुलन बनाए रखती है और ब्लड प्रेशर कंट्रोल करती है। लेकिन CKD शुरुआती स्टेज में लगभग कोई लक्षण नहीं दिखाती, इसी वजह से इसे साइलेंट किलर कहा जाता है। इससे दिल पर भी बुरा असर पड़ता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

शुरुआती लक्षण जिन्हें नज़रअंदाज़ न करें
यूरिन में बदलाव, झागदार या खून मिला यूरिन और बहुत ज्यादा या बहुत कम पेशाब आना।
रात में बार-बार उठना और थकान और कमजोरी होना।
खुजली, सूखी त्वचा, मिचली, हाथ-पैर या आंखों के नीचे सूजन होना।
सांस फूलना, भूख कम होना इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत जांच करानी चाहिए।
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आप क्या कर सकते हैं?
नियमित जांच: GFR टेस्ट, Urine Albumin टेस्ट ये शुरुआती CKD पकड़ने में प्रभावी हैं।
रिस्क फैक्टर्स कंट्रोल करें: ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर औप वजन घटाएं।
हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं: नमक कम करें, पानी पर्याप्त पिएं और धूम्रपान से बचें।

