हौंसले की उड़ान: भारत की पहली 'बिना हाथों वाली ड्राइवर' बनी जिलोमोल
punjabkesari.in Wednesday, Jun 24, 2020 - 12:50 PM (IST)
अगर मन में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो रास्ते में आई मुश्किलें खुद ब खुद छोटी लगने लग जाती है। यह कहावत सच कर दिखाई है जिलोमोल मैरिएट थॉमस ने, जिन्होंने हाथ ना होने के बावजूद कुछ ऐसा कर दिखाया है जो हर किसी के लिए मिसाल है।
भारत की पहली 'बिना हाथों वाली ड्राइवर': जिलोमोल
केरल के गांव करीमनूर की रहने वाली 28 साल की जिलोमोल मैरिएट थॉमस को बचपन से ही कार चलाने का शौक था। उनकी यह इच्छा तब और भी बढ़ गई, जब उन्होंने बिना हाथ के एक शख्स विक्रम अग्निहोत्री को ड्राइविंग लाइसेंस मिलने के बारे में सुना। फिर क्या, अपने हौसलों के बल पर वह बिना हाथों के कार ड्राइव करने और ड्राइविंग लाइसेंस पाने वाली एशिया की पहिला महिला बन गई।
बचपन से नहीं है हाथ
जिलोमोल बताती हैं कि जन्म से ही उनके हाथ नहीं है लेकिन वह घुटनों की मदद से कार चलाने में माहिर हो चुकी हैं। जब उन्होंने खुद कार चलाने की बात की तो परिवार के लोगों ने मना कर दिया। उन्हें अपनी कार खरीदने के लिए घर के लोगों को काफी मनाना पड़ा लेकिन उनके हौंसले के आगे परिवार के लोग भी मान गए।
ग्राफिक डिजाइन व पेटिंग का शौक
जिलोमोल बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार थी और ग्राफिक डिजाइन में अपना करियर चुना। इसके साथ ही उन्हें पेटिंग करना भी पसंद है। वह कहती हैं, 'मैंने कभी इस बात की परवाह नहीं कि मैं शारीरिक रूप से विकलांग हूं'
साल 2018 में मिला लाइसेंस
बता दें कि साल 2018 में जब जिलोमोल ने अपनी कस्टम मेड मारुति सिलेरियो कार खरीदी तभी उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस भी मिल गया। जिलोमोल उन लोगों के लिए मिसाल है, जो दिव्यांगता को अपनी कमजोरी समझ सारी उम्मीदें छोड़ देते हैं। वह 2 सालों से घुटनों की मदद से गाड़ी चला रही है, जिसमें वह काफी निपुन हो चुकी हैं।
आनंद महिंद्रा ने भी की तारीफ
महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने भी जिलोमोल की खूब तारीफ की, जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुई। बता दें कि जिलोमोल शारीरिक रूप से विकलांग कलाकारों के लिए स्थापित स्टेट माउथ एंड फुट एसोसिएशन की फाउंडिंग मेंबर हैं।