दाने- दाने को तरस रहे कबूतर, बेजुबानों के हक के लिए सड़कों पर उतरेंगे जैन मुनि
punjabkesari.in Tuesday, Aug 12, 2025 - 05:15 PM (IST)

नारी डेस्क: जहां एक तरफ दिल्ली में कुत्ताें पर कोर्ट के फैसले को लेकर विवाद खड़ा हो गया है तो वहीं दूसरी तरफ मुंबई में कबूतरों के लेकर माहौला गरमा चुका है। जैन मुनि नीलेशचंद्र विजय ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा पारंपरिक कबूतर दाना डालने वाले स्थल दादर कबूतरखाना को बंद करने के विरोध में कल से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की घोषणा कर दी है। उनका दावा है कि देश भर के 10 लाख से ज़्यादा जैन इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे।
धर्म के लिए हथियार उठाने की धमकी
विजय ने घोषणा की कि जैन समुदाय पक्षियों को दाना डालने की उनकी धार्मिक प्रथा में हस्तक्षेप करने वाले अदालती आदेशों की अवहेलना करेगा। उन्होंने कहा- "हम पहले सत्याग्रह करते हैं, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर धर्म के लिए हथियार उठाएंगे।" मुनि ने आरोप लगाया कि यह प्रतिबंध विशेष रूप से जैन परंपराओं को लक्षित करता है और चुनावों के साथ राजनीतिक रूप से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा- "हमारा धर्म सिखाता है कि किसी भी जीव को भूखा नहीं रहना चाहिए।" उन्होंने सवाल किया कि मुर्गी पालन और शराब के सेवन पर भी इसी तरह प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया गया है।
क्या है मामला?
दरअसल बीएमसी ने रविवार को दादर स्टेशन के पश्चिम की ओर स्थित आश्रय स्थल पर चांदी की प्लास्टिक शीट फिर से लगा दीं और कबूतरखानों को दाना डालने से रोकने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा और मार्शल तैनात कर दिए। नगर निकाय पक्षियों को दाना डालने वाले स्थलों के आसपास उत्पन्न होने वाले पक्षी अपशिष्ट से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरों को उचित ठहराता है। यह विवाद बॉम्बे उच्च न्यायालय पहुंच गया है, जहां प्रतिबंध को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने कहा कि न्यायालय ने कभी भी सीधे तौर पर बंद करने का आदेश नहीं दिया। 7 अगस्त को, न्यायाधीशों ने मानव स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को प्राथमिकता देने की बात स्वीकार की, लेकिन मौजूदा कबूतरखानों की समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का सुझाव दिया।