27 जून से शुरू होगी जगन्नाथ रथ यात्रा, इस दिन से लाखों श्रद्धालु करेंगे भगवान के रथ का दर्शन

punjabkesari.in Wednesday, Jun 11, 2025 - 02:08 PM (IST)

नारी डेस्क: पुरी की जगन्नाथ यात्रा भारत की सबसे पवित्र धार्मिक यात्राओं में से एक मानी जाती है। यह यात्रा हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होती है और दशमी तिथि को समाप्त होती है। इस बार यह पावन यात्रा 27 जून से शुरू होगी और 5 जुलाई को समाप्त होगी। ऐसी मान्यता है कि जो भी इस यात्रा में भाग लेता है और भगवान जगन्नाथ के दर्शन करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि हर साल लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेने के लिए पुरी पहुंचते हैं।

रथ यात्रा से पहले 14 दिन का एकांतवास

भगवान जगन्नाथ यात्रा पर निकलने से पहले 14 दिन तक एकांतवास में रहते हैं। शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। इस दौरान विशेष अनुष्ठान और पूजा आयोजित की जाती है।

PunjabKesari

इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन यानी 11 जून को भगवान जगन्नाथ को सहस्त्रधारा स्नान कराया गया। इस स्नान में 108 घड़ों के शुद्ध जल से भगवान का स्नान किया जाता है। इसे ही सहस्त्रधारा स्नान कहा जाता है। इसके बाद भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ एकांतवास में चले जाते हैं।

रथ यात्रा के पीछे की पौराणिक कथा

पद्म पुराण के अनुसार, आषाढ़ माह के दौरान भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर भ्रमण की इच्छा जाहिर की थी। तब भगवान जगन्नाथ ने तीन रथ बनवाए। फिर भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ नगर भ्रमण के लिए निकले और अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर में सात दिन तक निवास किया। तभी से हर वर्ष यह परंपरा चली आ रही है

ये भी पढ़े: कर्ज में डूबे हैं? कहीं शनिदेव तो नहीं नाराज हैं, जानिए बचाव के अचूक उपाय

रथों का क्रम: कौन सा रथ किसका होता है?

जगन्नाथ यात्रा में रथों का भी विशेष महत्व होता है। सबसे आगे भगवान बलराम का रथ चलता है। उसके बाद बहन सुभद्रा का रथ होता है। सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का भव्य रथ चलता है। हर रथ को सजाने और खींचने की भी खास परंपरा होती है जिसमें हजारों भक्त हिस्सा लेते हैं।

PunjabKesari

रथ यात्रा की शुरुआत से जुड़ी मान्यताएं

माना जाता है कि जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 12वीं से 16वीं शताब्दी के बीच हुई थी। इसकी शुरुआत को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह भगवान कृष्ण की अपनी मां की जन्मभूमि की यात्रा को दर्शाती है। वहीं कुछ मानते हैं कि इसकी शुरुआत राजा इंद्रद्युम्न के समय में हुई थी, जिन्होंने पुरी में भगवान जगन्नाथ का मंदिर बनवाया था।

पुरी की इस भव्य रथ यात्रा में हर साल लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं। भगवान के भव्य रथ को खींचने का सौभाग्य हर भक्त पाना चाहता है। भक्तों का विश्वास है कि रथ खींचने से सारे पाप धुल जाते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

PRARTHNA SHARMA

Related News

static