इंडोनेशिया के ज्वालामुखी में छिपी गणेश जी की हजारों साल पुरानी मूर्ति, जानिए पूरा इतिहास

punjabkesari.in Monday, Sep 01, 2025 - 06:52 PM (IST)

नारी डेस्क : भगवान गणेश सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में पूजे जाते हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देशों में हिंदू धर्म की गहरी छाप दिखाई देती है। इन्हीं में से एक है इंडोनेशिया, जहां आज भी गणेश जी की मूर्तियां और मंदिर मौजूद हैं। सबसे खास बात यह है कि इंडोनेशिया के माउंट बाटुर ज्वालामुखी क्षेत्र में एक बेहद प्राचीन और भव्य गणेश प्रतिमा स्थापित है, जो हजारों साल पुरानी मानी जाती है। आइए जानते हैं, आखिर गणेश जी इंडोनेशिया तक कैसे पहुंचे और वहां उनकी पूजा का इतिहास क्या है।

इंडोनेशिया में गणपति जी का इतिहास

इंडोनेशिया आज भले ही दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल देश है, लेकिन प्राचीन समय में यह हिंदू-बौद्ध संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र रहा है। 8वीं से 13वीं शताब्दी तक यहां हिंदू साम्राज्यों का प्रभाव रहा, और इसी दौर में गणेश जी की पूजा और उनकी भव्य प्रतिमाओं का निर्माण हुआ। बाली द्वीप स्थित माउंट बाटुर ज्वालामुखी क्षेत्र में मौजूद गणेश प्रतिमा को 10वीं-11वीं शताब्दी की मानी जाती है। यह प्रतिमा कठोर पत्थर को तराशकर बनाई गई है और इसमें हिंदू तथा जावानीज कला का अद्भुत संगम स्पष्ट दिखाई देता है।

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मजापहित और सिंघासारी साम्राज्यों में गणेश पूजा की सफलता

गणेश जी की पूजा का वास्तविक उत्कर्ष इंडोनेशिया के जावा क्षेत्र में सिंघासारी साम्राज्य (1222-1292 ई.) और उसके बाद मजापहित साम्राज्य (1293-1527 ई.) के समय हुआ। इन साम्राज्यों ने हिंदू और बौद्ध धर्म को मिलाकर एक संयुक्त आस्था प्रणाली विकसित की, जिसमें गणेश जी को विशेष महत्व दिया गया। राजाओं और विद्वानों ने उन्हें केवल विघ्नहर्ता ही नहीं, बल्कि राजनीतिक शक्ति, सांस्कृतिक संरक्षण और ज्ञान के देवता के रूप में भी सम्मानित किया। युद्ध, शासन और धार्मिक समारोहों से पहले गणेश जी का आशीर्वाद लेना अनिवार्य परंपरा थी। इस काल में तांत्रिक परंपराओं का भी प्रभाव देखा गया, जिसके कारण कई मूर्तियों में गणेश जी को अद्वितीय रूपों में दर्शाया गया, जैसे खोपड़ियों से सुसज्जित या कब्रिस्तानों के बीच नृत्य करते हुए। यह उनके स्थानीय धार्मिक और सांस्कृतिक समन्वय का प्रतीक माना जाता है।

कैसे करें इंडोनेशिया में गणेश जी के दर्शन

अगर आप इंडोनेशिया में प्राचीन गणेश प्रतिमाओं के दर्शन करना चाहते हैं, तो आपको बाली द्वीप के माउंट बाटुर ज्वालामुखी क्षेत्र की यात्रा करनी होगी। यहां गुफाओं और मंदिर परिसरों में भगवान गणेश की भव्य मूर्तियां स्थापित हैं। स्थानीय गाइड की मदद से इन स्थलों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। दर्शन का सबसे शुभ समय सुबह का माना जाता है, जब सूर्योदय के साथ ज्वालामुखी का दृश्य अत्यंत मनमोहक दिखाई देता है। खास बात यह है कि यहां आज भी स्थानीय पुजारी विशेष अवसरों पर पारंपरिक बाली रीति-रिवाजों के अनुसार गणेश पूजा और अनुष्ठान करते हैं, जिससे यह स्थान आध्यात्मिक वातावरण से भर जाता है।

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कैसे पहुंचे और कब जाएं

भारत से इंडोनेशिया के बाली द्वीप तक पहुंचना काफी आसान है। दिल्ली और मुंबई से बाली के डेनपासार एयरपोर्ट के लिए सीधी फ्लाइट उपलब्ध है। एयरपोर्ट से आप टैक्सी या लोकल गाइड की मदद से उबुद तक पहुंच सकते हैं और वहां से लगभग 2 से 3 घंटे की यात्रा करके माउंट बाटुर ज्वालामुखी क्षेत्र तक पहुंचा जा सकता है। दर्शन और यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से अक्टूबर तक माना जाता है, क्योंकि इस दौरान मौसम साफ और सुहावना होता है। बरसात के मौसम में यहां ट्रेकिंग और गुफाओं तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है।

पर्यटन और आकर्षण

आज यह स्थल केवल धार्मिक महत्व तक सीमित नहीं है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक बड़ा आकर्षण बन चुका है। यहां आने वाले लोग एक साथ प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक धरोहर और आध्यात्मिक शांति का अद्भुत अनुभव करते हैं। आसपास की घाटियां, हरी-भरी पहाड़ियां और चट्टानी संरचनाएं फोटोग्राफी के लिए बेहद लोकप्रिय हैं। यही कारण है कि यह स्थान स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के बीच भी विशेष पहचान बना चुका है। सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इसे एक धरोहर स्थल के रूप में संरक्षित करने के लिए विशेष कदम उठाए हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियां भी इस अनोखे इतिहास और संस्कृति से जुड़ सकें।


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Content Editor

Monika

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