प्रेगनेंसी में पैसे की बचत न करें: डॉक्टर कहें तो तुरंत करवाएं ये दो जरूरी टेस्ट
punjabkesari.in Tuesday, Nov 18, 2025 - 10:11 AM (IST)
नारी डेस्क: प्रेगनेंसी के दौरान कई जाँचें ऐसी होती हैं जिन्हें समय पर करवाना बहुत ज़रूरी होता है। इन जांचों से गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत, उसके विकास और किसी संभावित खतरे का समय रहते पता चल जाता है। खासकर गर्भावस्था की पहली तिमाही, यानी 0 से 12 सप्ताह का समय सबसे संवेदनशील माना जाता है। इसी दौरान बच्चे के शरीर के महत्वपूर्ण अंग बनने शुरू होते हैं, इसलिए इस समय माँ की सेहत और बच्चे के विकास पर कड़ी नजर रखनी जरूरी है। गायनेकोलॉजिस्ट का कहना हैं कि जब डॉक्टर सोनोग्राफी या टेस्ट की सलाह दें, तो पैसों की बचत की सोच छोड़कर समय पर टेस्ट जरूर करवाएँ, क्योंकि ये माँ और बच्चे दोनों की सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।
पहली तिमाही क्यों होती है सबसे नाज़ुक?
पहली तिमाही यानी प्रेगनेंसी के शुरुआती तीन महीनों में बच्चे का विकास सबसे तेजी से होता है। यह समय 0 से 12 हफ्तों का होता है, जिसमें गर्भ की स्थिति, बच्चे की धड़कन, विकास और माँ के स्वास्थ्य में लगातार बदलाव होते रहते हैं। इस पूरे समय शरीर के अंदर क्या चल रहा है, बच्चा ठीक है या नहीं, कहीं खतरे का कोई संकेत तो नहीं इन सब बातों की जानकारी सोनोग्राफी से मिलती है। यही कारण है कि डॉक्टर शुरुआत से ही दो खास स्कैन करवाने पर जोर देते हैं।

डेटिंग स्कैन (6 से 8 हफ्तों के बीच किया जाने वाला सबसे जरूरी स्कैन)
डेटिंग स्कैन गर्भावस्था की पहली और महत्वपूर्ण सोनोग्राफी होती है, जिसे 6 से 8 सप्ताह के बीच किया जाता है। यह स्कैन प्रेगनेंसी कन्फर्म होने के बाद सबसे पहले करवाया जाना चाहिए, क्योंकि इससे पता चलता है कि गर्भ सही तरह से आगे बढ़ रहा है या नहीं। इस स्कैन में डॉक्टर बच्चे की प्रारंभिक धड़कन देखते हैं, जिससे पुष्टि होती है कि भ्रूण जीवित है और विकास कर रहा है। इसके अलावा, यह स्कैन गर्भ की सही लोकेशन भी बताता है यानी गर्भाशय में है या गलती से फॉलोपियन ट्यूब में (जिसे एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहते हैं)। यह स्कैन आपकी EDD (Expected Due Date) यानी डिलीवरी की सटीक तारीख भी बताता है। इस सोनोग्राफी से होने वाली कई जरूरी जानकारी माँ को मानसिक राहत भी देती है कि सब कुछ सही चल रहा है।
डेटिंग स्कैन क्यों करवाना जरूरी माना जाता है?
डेटिंग स्कैन से सबसे पहले बच्चे की हार्टबीट की पुष्टि की जाती है, जो प्रेगनेंसी की प्रगति का बहुत बड़ा संकेत है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे गर्भ की लोकेशन पता चलती है, जो एक्टोपिक प्रेगनेंसी जैसी खतरनाक स्थिति से बचा सकती है। इस स्कैन में गर्भ की उम्र पता चलती है, जिससे डॉक्टर आपकी ड्यू डेट को सही तरीके से कैलकुलेट करते हैं। इसके साथ ही यह स्कैन शुरुआती स्टेज में संभावित जोखिमों की पहचान भी कर लेता है, जिसके बाद डॉक्टर समय पर इलाज शुरू कर सकते हैं। इसलिए इसे कभी नहीं टालना चाहिए।
NT स्कैन (11 से 13 हफ्ते के बीच किया जाने वाला महत्वपूर्ण टेस्ट)
डेटिंग स्कैन के बाद दूसरी महत्वपूर्ण जांच है NT स्कैन, जिसे 11 से 13 हफ्तों के बीच किया जाता है। NT का मतलब होता है Nuchal Translucency, जिसमें डॉक्टर बच्चे की गर्दन के पीछे मौजूद फ्लूइड की मोटाई की जांच करते हैं। यह स्कैन इसलिए बेहद खास माना जाता है क्योंकि इससे डाउन सिंड्रोम जैसी क्रोमोसोमल बीमारियों और अन्य आनुवंशिक (जेनेटिक) समस्याओं का शुरुआती संकेत मिल जाता है। यह बच्चे की ग्रोथ के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी देता है और दिखाता है कि बच्चा सामान्य रूप से विकसित हो रहा है या नहीं। समय पर NT स्कैन करवाने से गर्भ में किसी भी तरह की गंभीर समस्या का पता बहुत पहले लग जाता है।

NT स्कैन क्यों करवाना चाहिए?
NT स्कैन बच्चे की सेहत से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी देता है। इस स्कैन में बच्चे की गर्दन के पीछे की पारदर्शी परत की मोटाई मापी जाती है, जो क्रोमोसोमल या जेनेटिक बीमारियों का संकेत दे सकती है। खासकर डाउन सिंड्रोम, टर्नर सिंड्रोम और अन्य आनुवंशिक विकारों का शुरुआती पता इस स्कैन से चल जाता है। इसके अलावा, यह स्कैन बच्चे के विकास, उसके हृदय की संरचना और शरीर के शुरुआती अंगों की स्थिति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देता है। शुरुआती चरण में किसी समस्या की पहचान होने से डॉक्टर समय रहते सही दिशा में कदम उठा सकते हैं।
पैसों के लिए ये टेस्ट बिल्कुल न टालें
कई कपल अक्सर पैसों की बचत करने के लिए कुछ टेस्ट टाल देते हैं, लेकिन ऐसा करना माँ और बच्चे दोनों की सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। प्रेगनेंसी में सही समय पर टेस्ट करवाने से डॉक्टर जोखिमों को जल्दी पहचानकर उनका इलाज कर सकते हैं। किसी भी समस्या का जितना जल्दी पता चलता है, उसका समाधान उतना आसान और सुरक्षित होता है। इसलिए डॉक्टर जब भी डेटिंग स्कैन और NT स्कैन की सलाह दें, तो पैसे बचाने के चक्कर में इन टेस्ट को कभी न टालें।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सोशल मीडिया पर उपलब्ध सामग्री पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जागरूकता बढ़ाना है। किसी भी टेस्ट, दवा या उपचार को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें, क्योंकि हर महिला की प्रेगनेंसी अलग होती है।

