सोते हुए भी चलता रहता है आपका दिमाग, नहीं आती चैन की नींद तो इसकी वजह पढ़ें

punjabkesari.in Wednesday, Oct 29, 2025 - 09:33 PM (IST)

नारी डेस्कः कई लोग कहते हैं कि वे सो तो जाते हैं लेकिन दिमाग चलता ही रहता है और ये यह समस्या आजकल बहुत आम हो गई है। नींद के दौरान भी मन में विचार, नेगेटिव विचार, चिंता और सोच का सिलसिला थमता नहीं, जिससे नींद गहरी नहीं आती और सुबह उठते ही थकावट महसूस होती है। ऐसा तब होता है जब दिमाग ओवरएक्टिव हो जाता है यानी शरीर आराम करना चाहता है लेकिन मस्तिष्क लगातार सक्रिय रहता है। तनाव, फोन या स्क्रीन का अधिक इस्तेमाल, अधूरी नींद और अनियमित दिनचर्या इसके मुख्य कारण हैं। सही आदतें अपनाकर इस समस्या से राहत पाना संभव है। चलिए इस बारे में आपको विस्तार से बताते हैं। 

सोते हुए भी दिमाग चलने का कारण

दिमाग सोते हुए भी आराम नहीं कर रहा तो इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं जैसे तनाव व चिंता। 

1. तनाव और चिंता (Stress & Worry)- काम, रिश्तों या पैसों वाली फिक्र रात में बढ़कर दिमाग घुमाती है।

2. अनियंत्रित विचार-रुपी आदतें (Rumination)- एक ही बात बार-बार सोचते रहना। मन ही मन उस बात को लेकर अपने विचार बनाते रहना। 

3. स्क्रीन और नीली रोशनी (Phones, TVs)- सोने से ठीक पहले स्क्रीन से मेलाटोनिन कम होता है। इससे भी आपका दिमाग ओवरएक्टिव हो जाता है। 

4. कैफीन या नींद खोने वाले पदार्थ का सेवन करना जैसे- शाम को चाय/कॉफ़ी या ऊर्जा पेय लेना।

5. अनियमित दिनचर्या- हर दिन अलग-अलग समय पर सोना और उठना।

6. दवा या स्वास्थ्य कारण- कुछ दवाएं, थायरॉयड विकार, दर्द, नींद संबंधी विकार।

7. फिजिकल एक्टिविटी की कमी- दिनभर कम सक्रिय रहने पर मस्तिष्क रात में ज़्यादा सक्रिय हो सकता है।

8. अति उत्तेजना (Overstimulation) -रात को भारी खबरें/काम/सोशल मीडिया देखना।

9. ज्यादा अल्कोहल या निकोटीन- नींद की गुणवत्ता घट जाती है, दिमाग फेरे मारता है।
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कैसे पता चलेंगा कि दिमाग चल रहा है पढ़िए लक्षण (Symptoms to notice)

सोने में देर लगना (sleep latency बढ़ना)।
बार-बार जागना या सपनों में उथल-पुथल।
सुबह थकावट या ‘फ्रेश न महसूस होना’।
बिस्तर पर लेटते ही विचार आने लगना और मन शांत न होना।
दिन में ध्यान न लगना, चिड़चिड़ापन।
कभी-कभी हार्ट रेट बढ़ना या सांस तेज लगना (panic जैसे लक्षण)।

इस समस्या का समाधान क्या है?

रोज़मर्रा के व्यवहार और तकनीकें (Actionable fixes)
1. स्लीप-हाइजीन अपनाएं
रोज़ एक ही समय पर सोएँ और उठें (weekends भी)।
सोने से 60–90 मिनट पहले स्क्रीन बंद कर दें।
बिस्तर सिर्फ़ सोने और सेक्स के लिए रखें-पढ़ाई/फ़ोन पर न रहें।

2. शाम की रूटीन (Night routine)
30–60 मिनट पहले हल्का पढ़ना, धीमा संगीत या गुनगुना स्नान।
चाय की जगह गर्म दूध/कैल्मिंग हर्बल चाय (कैमोमाइल) लें।
20–30 मिनट हल्की सैर या स्ट्रेचिंग करें।

3. ‘जर्नलिंग’-लिखकर छुटकारा
रात को बिस्तर पर जाने से पहले 10–15 मिनट में अपने विचार, टूडू-लिस्ट या चिंताएँ लिख लें-दिमाग को “स्टोर” करने में मदद मिलती है।

4. सांस और रिलैक्सेशन अभ्यास
4-4-8 Breath: 4 सेकेंड सांस लें-4 सेकेंड रोकें-8 सेकेंड धीरे छोड़ें। 4-5 राउंड।
प्रोग्रेसिव मसल रिलैक्सेशन: पैरों से सिर तक मांसपेशियाँ संकुचित व रिलीज़ करना -10–15 मिनट।

5. माइंडफुलनेस / मेडिटेशन
रोज़ाना 10–20 मिनट मेडिटेशन (Guided apps भी उपयोगी)।
‘Body scan’ मेडिटेशन सोने से पहले बहुत मददगार है।

6. डाइट और कैफीन नियंत्रण
शाम के बाद कैफीन/चॉकलेट/ऊर्जा पेय न लें।
भारी भोजन सोने से 2–3 घंटे पहले न खाएं।

7. फिजिकल एक्टिविटी
हफ्ते में 4–5 बार 30 मिनट का कार्डियो या तेज़ वॉक — पर सोने के ठीक पहले भारी वर्कआउट न करें।

8. वातावरण को अनुकूल बनाना
कम रोशनी, आरामदायक तापमान, आरामदायक गद्दा और अँधेरा- मेलाटोनिन बनता है तो दिमाग शांत रहता है।

9. सीमित अल्कोहल और निकोटीन
शराब और सिगरेट नींद की गुणवत्ता बिगाड़ते हैं-खासकर रात में सेवन से बचें।

जब डॉक्टर से मिलें (कब सलाह लें)

अगर 2–3 हफ्तों में सुधार न हो।
दिन में गंभीर थकावट, अवसाद के लक्षण या आत्महत्या जैसे नेगेटिव विचार हों।
सांस लेने में रुकावट, बार-बार खट-खट आवाज़ (sleep apnea संकेत) जैसे सकेंत आए।
इन स्थितियों में नींद विशेषज्ञ या मनोवैज्ञानिक से CBT-I (Cognitive Behavioral Therapy for Insomnia) या आवश्यक दवा/थेरेपी पर विचार कराएं।

तुरंत प्रयोग करने योग्य 5-मिनट की तकनीक (बिस्तर पर जब विचार दौड़ें)

आंखें बंद करेंः 4-4-8 सांस 3 बार।
60 सेकंड का बॉडी-स्कैन: पैरों से शुरू कर हर अंग पर फोक्स करें।
अगर कोई विचार आए-उसे नोटिस करें, “ध्यान गया” कहकर सांस पर वापस आएं।


 


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Content Writer

Vandana

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