लड़कियों की वर्जिनिटी को लेकर कैसी है भारतीय मर्दों की सोच ?

punjabkesari.in Thursday, Nov 07, 2019 - 04:47 PM (IST)

हर भारतीय सेक्स से जुड़ी बातें करने से कतराते हुए नजर आते है। पुरुष हो या महिला यौन से जुड़े सवालों का जिक्र भी कम करते है। किसी को भी यौन संबंधी दिक्क्त आ भी जाए तो वह इस बात को छुपाने में ही समझदारी रखते है। मगर इन सब से पहले सम्भोग से जुड़ी पारंपरिक बातों का भी उल्लेख सामने आता है। भारत में लगभग हर मर्द औरतों की वर्जिनिटी को लेकर बहुत सजग रहते है। हाल ही में हुए इंडिया टुडे यौन सर्वे 2019 के अनुसार भारतीय मर्द लड़कियों की वर्जिनिटी को लेकर ऐसी सोच रखते है। इस सर्वे के अनुसार 60 प्रतिशत लोग सेक्स लाइफ को लेकर संतुष्ट है। सबसे पहले बतादें कि विर्जिनिटी का मतलब है कि वेजाइना में हाइमन का बने रहना (साइंस के अनुसार) संभोग न करना (लोगों के अनुसार) जोकि गलत है। 

सर्वे भारत के अलग-अलग शहरों में हुआ है। आज भी भारतीय मर्द औरतों की विर्जिनिटी को लेकर बहुत गंभीर सोच रखते है। इस सर्वे में 3 वर्ग बटे हुए है। जैसे -
पहला वर्ग -14-29 उम्र 
दूसरा वर्ग - 30-49 उम्र 
तीसरा वर्ग- 50-69 उम्र 

आइए आपको बताते है कि 2 बड़े शहरों में मर्दों की क्या सोच है ?

जयपुर 
81 प्रतिशत मर्द सोचते है कि लड़कियों की विर्जिनिटी बहुत जरुरी है। 

अहमदाबाद 
वहीं अहमदाबाद में 82 प्रतिशत मर्द सोचते है कि लड़कियों की विर्जिनिटी बहुत मायने रखती है। 

इंडिया टुडे यौन सर्वे 2019 के मुताबिक और भी ऐसी शोध का खुलासा हुआ है जो बिल्कुल भी चौकाने वाला नहीं लगता है। जैसे -

नहीं है संतुष्ट अपनी संभोग लाइफ से 
इंडिया टुडे यौन सर्वे 2019 के मुताबिक 40 फीसदी लोग अपनी यौन लाइफ से नाखुश है। 

18 साल से पहले हो चुके है फिजिकल 
 इंडिया टुडे यौन सर्वे 2019 के मुताबिक 33 फीसदी लोग 18 साल की उम्र से पहले ही फिजिकल हो चुके है। 

18-26 साल की उम्र के बीच में हुए है फिजिकल 
इंडिया टुडे यौन सर्वे 2019 के मुताबिक सिर्फ 8 प्रतिशत लोग है जो इस उम्र के दौरान पहली बार फिजिकल हुए थे। 

इस सर्वे से एक बात तो बहुत ही साफ है कि आज भी मर्द औरतों की विर्जिनिटी को लेकर काफी गंभीर है। 2004 साल में इस सर्वे के दौरान भारत में 53 फीसदी लोग अपने पार्टनर की वर्जिनिटी को बहुत गंभीरता से लेते है। 72 प्रतिशत युवाओं ने कहा था कि वे अपने लिए एक वर्जिन लड़की चाहेंगे। 2019 में यह संख्या बढ़ गई है। इससे सीधा यही पता लगाया जाता है कि आज भी पुरुषप्रधान समाज के पुराने ख्यालों में कोई खास बदलाव नहीं आया है।
 

Content Writer

shipra rana