सैनिटरी पैड्स को लेकर रिसर्च ने किया शौकिंग खुलासा: इन पैड्स में पाए जाते हैं खतरनाक केमिकल्स

punjabkesari.in Tuesday, Aug 19, 2025 - 12:38 PM (IST)

नारी डेस्क: आज की ज्यादातर महिलाएं पीरियड्स के दौरान सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करती हैं, क्योंकि ये आसानी से उपलब्ध होते हैं और पहनने में आरामदायक लगते हैं। लेकिन हाल ही में हुई एक रिसर्च में सैनिटरी पैड्स को लेकर चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। इस रिसर्च के अनुसार, बाजार में मिलने वाले ज्यादातर सैनिटरी पैड्स पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं और ये महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन, बांझपन और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

इन पैड्स में पाए जाते हैं खतरनाक केमिकल्स

डाईऑक्सिन (Dioxin): पैड को सफेद रंग देने के लिए इसे ब्लीच किया जाता है, जिससे यह केमिकल बनता है।  इससे स्किन एलर्जी, चकत्ते, और हार्मोनल गड़बड़ी हो सकती है।

फ्यूरान (Furan): पैड की परतों में इस्तेमाल होने वाला यह केमिकल, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है।

फथैलेट्स (Phthalates): पैड की ऊपरी सतह को मुलायम और खुशबूदार बनाने के लिए इस्तेमाल होते हैं।  इससे पीरियड्स में गड़बड़ी और हॉर्मोनल असंतुलन हो सकता है।

आर्टिफिशियल फ्रेगरेंस (Perfume): खुशबू के लिए कई कंपनियां टैल्कम पाउडर और परफ्यूम का इस्तेमाल करती हैं, जो योनि की त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

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हार्मोनल असंतुलन क्या है?

जब शरीर में महिला हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन या टेस्टोस्टेरोन का संतुलन बिगड़ जाता है, तो इसे हार्मोनल इंबैलेंस कहा जाता है। इसके कारण महिलाएं मूड स्विंग्स, पीरियड्स की गड़बड़ी, गर्भधारण में दिक्कत आदि का सामना कर सकती हैं।

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भारत में सैनिटरी पैड्स का उपयोग

आज के समय में करीब 64.4% महिलाएं सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करती हैं। पहले महिलाएं कपड़े का प्रयोग करती थीं, लेकिन अब जागरूकता बढ़ने के कारण पैड्स ज्यादा लोकप्रिय हो गए हैं। हालांकि, इस रिसर्च के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या ये पैड्स वास्तव में हमारी सेहत के लिए सही हैं?

 सैनिटरी पैड्स से होने वाले नुकसान

हार्मोनल असंतुलन

बांझपन (Infertility)

सर्वाइकल या अन्य कैंसर

योनि में खुजली, जलन या सूजन

गर्भाशय को नुकसान

डायबिटीज और हार्ट प्रॉब्लम का खतरा

कैसे करें सही पैड का चुनाव?

प्लास्टिक वाले पैड्स से बचें, क्योंकि इनमें बीपीए और बीपीएस जैसे केमिकल्स हो सकते हैं। इको-फ्रेंडली और ऑर्गेनिक पैड्स का इस्तेमाल करें। चाहें तो मेंस्ट्रुअल कप या कपड़े के साफ पैड्स का विकल्प चुन सकती हैं। बिना खुशबू वाले (unscented) पैड्स इस्तेमाल करना ज्यादा सुरक्षित होता है।

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 पीरियड्स में हाइजीन का रखें ध्यान

हर 4–5 घंटे में पैड बदलें। वजाइना को साफ और सूखा रखें। सही फिटिंग और कॉटन अंडरवियर पहनें जिससे हवा पास हो सके। दर्द से राहत पाने के लिए गर्म पानी से स्नान करें। पेन किलर की जगह प्राकृतिक उपाय आजमाएं।

सैनिटरी पैड्स हमारे लिए सुविधाजनक जरूर हैं, लेकिन हर बार जो चीज़ आरामदायक हो, वो सेफ भी हो—ज़रूरी नहीं। इसलिए अगली बार जब आप सैनिटरी पैड खरीदें, तो उसकी सामग्री ज़रूर पढ़ें और सही, सुरक्षित विकल्प चुनें।

डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। कोई भी निर्णय लेने से पहले डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।  नारी पंजाब केसरी इस जानकारी की पूर्ण सटीकता या असर की गारंटी नहीं देता।  


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Content Editor

Priya Yadav

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