किसने की थी पहली छठ पूजा? छठ पर्व के रीति-रिवाजों की पूरी जानकारी!

punjabkesari.in Sunday, Nov 03, 2024 - 01:02 PM (IST)

नारी डेस्क: छठ पूजा, जो दीपावली के छह दिनों के बाद मनाई जाती है, एक प्रमुख भारतीय पर्व है। यह विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल के कुछ हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। यह चार दिवसीय पर्व भगवान सूर्य को समर्पित है और कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलता है। आइए, छठ पूजा के इतिहास, इसकी पहली पूजा और इसके महत्वपूर्ण रीति-रिवाजों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

पहली छठ पूजा का इतिहास

छठ पूजा की शुरुआत से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। मान्यता है कि सबसे पहली छठ पूजा माता सीता ने की थी। जब भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण 14 वर्ष के वनवास से लौटे, तब माता सीता ने मुद्गल ऋषि के आश्रम में छह दिनों तक सूर्य देव की पूजा की। यह पूजा रावण के वध के पाप से मुक्ति पाने के लिए की गई थी। उसी समय से छठ पूजा की परंपरा शुरू हुई।

इसके अलावा, महाभारत में यह भी कहा गया है कि भगवान सूर्य के पुत्र कर्ण ने भी इस पूजा का पालन किया। कर्ण अपनी भूमि पर घंटों तक जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे। इसी तरह, द्रौपदी ने भी अपने पति पांडवों के लिए इस पूजा का आयोजन किया, जिससे उन्हें अपना खोया हुआ राज्य वापस मिला।

PunjabKesari

कठिनाई और महत्व

छठ पूजा एक कठिन व्रत है, जिसमें व्रति को 72 घंटे तक निर्जला रहना पड़ता है। इसमें डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए ठंडे पानी में घंटों खड़ा रहना भी शामिल है। इस पूजा में पवित्रता और निष्ठा के प्रति एक विशेष समर्पण की आवश्यकता होती है, क्योंकि किसी भी नियम का उल्लंघन पूरे व्रत को खंडित कर सकता है।

छठ पूजा का महत्व केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि यह सामाजिक उत्सव भी है, जो लोगों को एक साथ लाता है। यह प्रकृति के प्रति सम्मान और कृतज्ञता का प्रतीक है। इसे मनाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होने का विश्वास किया जाता है।

ये भी पढ़ें: भाई दूज 2024: भूल-चूक से बचें,भाई दूज पर न करें ये 5 गलतियां!

छठ पूजा 2024 की तिथियां

इस साल छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर 2024 को नहाय-खाय से होगी, इसके बाद:

खरना: 6 नवंबर 2024

संध्या सूर्य अर्घ्य: 7 नवंबर 2024

प्रातः सूर्य अर्घ्य: 8 नवंबर 2024

पारण: 8 नवंबर 2024

PunjabKesari

छठ पूजा के रीति-रिवाज

छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जिसमें व्रति एक खास खाना बनाती हैं। इसके बाद खरना में छठ माता का आह्वान किया जाता है। संध्या में सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सुबह फिर से अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद व्रत का विधिवत समापन होता है। छठ पूजा का यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करता है, बल्कि समाजिक बंधनों को भी और मजबूत करता है। इस महापर्व का हर एक नियम और रिवाज श्रद्धा और भक्ति से भरा होता है, जिससे लोगों का परिवार और समाज के प्रति प्यार और सम्मान बढ़ता है।

इसलिए, छठ पूजा केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू को जोड़ने और मानवता के लिए एकता का प्रतीक है।
 


 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Priya Yadav

Related News

static