बसंत में यहां लगता है भूतों का मेला, जाने मेलें से जुड़ी दिलचस्प बातें

punjabkesari.in Friday, Feb 08, 2019 - 02:53 PM (IST)

भूत-प्रेत और चुड़ैल जैसी चीजों को साइंस नहीं मानता लेकिन इस बारे में हर किसी की अपनी-अपनी राय है। कुछ लोग भूतों से जुड़े किस्सों पर यकीन नहीं करते, लेकिन आज भी भारत के बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं, जहां  भूतों से जुड़ी कई ऐसी मान्यताएं है,  जिन्हें लोग सदियों से निभाते चले आ रहे हैं। ऐसा ही एक दिलचस्प किस्सा है मध्य प्रदेश के बैतूल जिले का। बैतूल जिले से 42 किमी दूर मलाजपुर गांव में हर साल भूतों का मेला लगता है। यह मेला मकर संक्रांति की पहली पूर्णिमा से शुरू होता है और बसंत पंचमी तक चलता है। इस मेले में शामिल होने के लिए आसपास के कई राज्य जैसे राजस्थान, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश से कई लोग पहुंचते हैं। आइए जानते हैं इस मेले से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें-

 

परिक्रमा से करते हैं बाधा दूर 

मलाजपुर गांव के देवजी महाराज मंदिर में लगने वाले भूतों के मेले में बुरी आत्माओं, भूत-प्रेत और चुड़ैल से प्रभावित लोग एक पेड़ की परिक्रमा करते हैं और अपनी बाधाएं दूर करते हैं। जिन पर भूत-प्रेत का साया होता है वह लोग कपूर जलाकर अपने हाथ और मुंह में रख लेते हैं।

 

शाम की पूजा के बाद करते हैं परिक्रमा 

बसंत पंचमी तक चलने वाले भूत मेले में शाम की पूजा के बाद लोग मंदिर की परिक्रमा करते हैं। माना जाता है कि जिसे कोई समस्या नहीं होती है, वह सीधी दिशा में परिक्रमा करते हैं। जो भूत-प्रेत से प्रभावित होते हैं वह विपरीत दिशा में चलते हैं।

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तौला जाता है गुड़ से 

भूत-प्रेत से प्रभावित लोग जब ठीक हो जाते हैं, तब उन्हें यहां गुड़ से तौला जाता है। यहां हर साल कई किलो गुड़ इकट्ठा हो जाता है, जिसे प्रसाद के तौर पर बांट दिया जाता है। अब इसे चमत्कार कहें या कुछ और लेकिन यहां काफी मात्रा में गुड़ जमा होने के बाद भी उस पर कीड़े, मक्खियां या चीटियां नहीं लगती हैं जो हैरान करने वाली बात है।

 

वृक्ष के नीचे ली थी समाधी 

मान्यता है कि 1770 में गुरु साहब बाबा नाम के साधु थे। उनके पास चमत्कारिक शक्तियां थीं, वह भूत-प्रेतों को वश में कर लेते थे। गांव के सभी लोग उन्हें भगवान का स्वरूप मानते थे। उन्होंने वृक्ष के नीचे जिंदा समाधी ले ली। गुरु साहब ने जहां समाधी ली थी, वहां गांव वालों ने मंदिर बनवा दिया।

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बुरी आत्मा का साया होता है दूर

गुरु साहब बाबा की याद में यहां हर साल मेला लगता है। इसी वृक्ष के नीचे पीड़ित लोग जब परिक्रमा करते हैं तो बुरी आत्मा का साया दूर हो जाता है। गांववालों में मेले को लेकर खासा विश्वास देखने को मिलता है।

 

नहीं जलाया जाता शव

बाबा की समाधी के बाद मलाजपुर गांव में इनके प्रति आस्था रखने वाले किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका शव नहीं जलाया जाता, उसे किसी स्थान पर समाधी दे दी जाती है। उनकी याद में लगने वाले भूतों के मेले में गांव के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।


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Content Writer

Vandana

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