पंचमुखी अवतार से लेकर माता-पिता तक, हर भक्त को जानने चाहिए भगवान शिव के ये रहस्य
punjabkesari.in Wednesday, Feb 26, 2025 - 10:26 AM (IST)
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नारी डेस्क: भगवान शिव को आदि योगी, महादेव, भोलेनाथ और त्रिलोकेश्वर के नाम से जाना जाता है। वे विनाश और सृजन दोनों के अधिपति माने जाते हैं। हालांकि, उनके बारे में कई रहस्य ऐसे हैं, जिनसे आम लोग अनजान हैं। आइए महाशिवरात्रि के इस पावन मौके पर जानते हैं भगवान शिव से जुड़े कुछ अद्भुत और रहस्यमयी तथ्य।
भगवान शिव के माता-पिता कौन थे?
भगवान शिव को "स्वयंभू" यानी स्वतः उत्पन्न माना जाता है। वे किसी माता-पिता से उत्पन्न नहीं हुए, बल्कि सृष्टि के आरंभ से ही अस्तित्व में थे। कई ग्रंथों में उन्हें सदाशिव और अद्वितीय परम तत्व बताया गया है।कुछ पौराणिक कथाओं में शिवजी को ब्रह्मा जी और विष्णु जी से भी पुराना बताया गया है।
भगवान शिव के तीसरे नेत्र का रहस्य
भगवान शिव केमस्तक पर स्थित तीसरी आंख उनका सबसे बड़ा रहस्य है। यह ज्ञान, विवेक और शक्ति का प्रतीक है। जब शिवजी क्रोधित होते हैं, तो उनका तीसरा नेत्र खुल जाता है, जिससे भयंकर अग्नि उत्पन्न होती है। इसी अग्नि से कामदेव भस्म हो गए थे, जब उन्होंने शिवजी की तपस्या भंग करने की कोशिश की थी।
भगवान शिव के शिष्य
भगवान शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि के रुप में माना गया है। इन 7 ऋषियों ने ही शिव जी के ज्ञान को पूरी धरती पर प्रचार किया था जिसके चलते अलग-अलग धर्म और संस्कृतियों की भी उत्पत्ति हुई थी। भगवान शिव ने ही गुरु और शिष्य की परंपरा शुरु की थी। शिव जी के 7 शिष्यों के नाम कुछ इस तरह हैं बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज है। इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी भगवान शिव के शिष्य थे।
पंचमुखी स्वरूप
बेहद कम जगहों पर शिवजी के पंचमुखी स्वरूप का वर्णन मिलता है। भगवान शिव के पाच मुख पांच दिशाओं और पाँच तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन पाँच मुखों के नाम हैं: सद्योजात, वामदेव, अघोर, तत्पुरुष, और ईशान।
भगवान शिव के गले में क्यों लिपटा हैं नाग?
शिवजी के गले में लिपटा सर्प (वासुकी नाग) उनकी भय से मुक्ति और काल पर विजय का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि शिव मृत्यु और भय से परे हैं। नागों का निवास शिव के गले में इसलिए भी माना जाता है क्योंकि वे विष (विषैले तत्वों) को नियंत्रित करते हैं।
भगवान शिव क्यों लगाते हैं भस्म?
शिवजी के पूरे शरीर पर भस्म (राख)लगी रहती है, जो मृत्यु, वैराग्य और जीवन के नश्वर होने का संकेत देती है। यह हमें सिखाता है कि जीवन क्षणभंगुर हैऔर अंत में सब कुछ राख हो जाता है।
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भगवान शिव का निवास स्थान कैलाश पर्वत क्यों है?
कैलाश पर्वत को शिव का धाम कहा जाता है, क्योंकि यह शांति, तपस्या और ध्यान का केंद्र है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि कैलाश पर्वत में अद्भुत ऊर्जा होती है। इसे धरती का केंद्र भी माना जाता है, जहां कोई इंसान स्थायी रूप से नहीं रह सकता ।
शिव तांडव का रहस्य
भगवान शिव नटराज के रूप में तांडव नृत्यकरते हैं, जो ब्रह्मांड के संचालन का प्रतीक है। तांडव के दो रूप होते हैं –
रौद्र तांडव – संहार और प्रलय का नृत्य
आनंद तांडव – सृजन और आनंद का नृत्य