गर्म मौसम में बढ़ती नकसीर की समस्या, इन तरीकों से करें नकसीर फूटने से बचाव

punjabkesari.in Wednesday, Jun 11, 2025 - 03:31 PM (IST)

नारी डेस्क: नाक से खून आना यानी नकसीर (एपिसटैक्सिस) एक आम समस्या है, जो किसी भी मौसम में हो सकती है लेकिन गर्मियों में इसकी घटनाएं बढ़ जाती हैं। बच्चों से लेकर बड़ों तक यह समस्या हो सकती है। नकसीर आने के कई कारण होते हैं, जिनमें हाई ब्लड प्रेशर सबसे अहम है। साथ ही नाक में चोट लगना, गर्मी का ज्यादा असर और गर्म मसालेदार खाने से भी नाक से खून आ सकता है।

नकसीर क्यों होती है?

नाक के अंदर एक खास जगह होती है जहां रक्त वाहिकाएं बहुत ज्यादा होती हैं। अगर इस जगह पर चोट लग जाए या रक्तचाप बहुत ज्यादा हो जाए, तो रक्त वाहिकाएं फट जाती हैं और नाक से खून बहने लगता है।

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नाक साफ करते समय चोट लगना (ट्रॉमा)

हाई ब्लड प्रेशर

क्रॉनिक साइनुसाइटिस (नाक की अंदरूनी सूजन)

लंबे समय तक जुकाम रहना

रक्त पतला करने वाली दवाएं लेना

इन कारणों से नकसीर हो सकती है। कभी-कभी नकसीर अचानक होती है (एक्यूट) और कभी बार-बार होती रहती है (क्रॉनिक)।

कौन लोग ज्यादा खतरे में?

जिन लोगों को बार-बार नाक में अंगुली डालकर साफ करने की आदत होती है। हाई ब्लड प्रेशर के मरीज। जो रक्त पतला करने वाली दवाएं लेते हैं।प्लेटलेट्स कम होने या ब्लड कैंसर के मरीजों को। हिमोफीलिया जैसे रक्त जमने में समस्या वाले लोग। पुरुषों में यह समस्या महिलाओं से ज्यादा होती है।

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नकसीर आने पर क्या करें?

लेटने की बजाय बैठ जाएं और नाक के ऊपरी हिस्से को हल्का दबाएं। सिर को थोड़ा आगे झुकाएं ताकि खून गले में न जाए। नाक में ट्रेनेमेका ऑइंटमेंट लगाएं जो ब्लीडिंग रोकता है। सिर पर ठंडा पानी डालने से भी खून बहना बंद हो जाता है। अगर खून नहीं रुकता तो डॉक्टर के पास जाकर नेजल पैकिंग (नाक के छेदों में पट्टी डालना) कराएं।

नकसीर का इलाज कैसे होता है?

अगर हाई ब्लड प्रेशर की वजह से नकसीर हो रही है तो रक्तचाप नियंत्रण के लिए दवाएं दी जाती हैं। चोट या नाखून से नाक में खरोंच लगने पर नेजल पैकिंग और ऑइंटमेंट का उपयोग किया जाता है। यह इलाज ब्लड क्लॉट बनाने वाली दवाओं से किया जाता है।

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आयुर्वेद में नकसीर का इलाज

आयुर्वेद के अनुसार नकसीर पित्त दोष बढ़ने से होती है। इसलिए दही, बैंगन, शिमला मिर्च, चाय, कॉफी और ज्यादा मसालेदार खाने से बचना चाहिए। दूब का रस नाक में 1-2 बूंद डालने से आराम मिलता है। नाभि के नीचे चिकनी मिट्टी का लेप 7-8 दिन तक लगाना फायदेमंद होता है। गुलाब की पंखुड़ियां और मिश्री का सेवन करें। खसखस, चंदन और गुलाब का शरबत पीने से भी राहत मिलती है।

होम्योपैथी में नकसीर का उपचार

पुराने जुकाम से जुड़ी नकसीर और जलन के लिए सल्फर दवा दी जाती है। थकान और सिर दर्द के साथ नकसीर होने पर नेट्रम नाईट्रिकम दी जाती है। बिना डॉक्टर की सलाह के दवा न लें।

नकसीर को लेकर सावधानियां

नकसीर आने पर सिर को पीछे न लेटाएं, इससे खून गले में चला जाता है और उल्टी हो सकती है। बार-बार नकसीर हो तो डॉक्टर से जांच कराएं। अपनी नाक को मजबूती से न रगड़ें या साफ न करें। हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें।

 नकसीर आम समस्या है, लेकिन बार-बार या ज्यादा खून आने पर सावधानी जरूरी है। सही समय पर उपचार और सावधानी से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। अगर ब्लीडिंग रुकती नहीं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।  


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Content Editor

Priya Yadav

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