बच्चे को ठूंस-ठूंस कर खिलाते हो खाना तो रुक जाइए, ये आदत खराब कर देगी आपके लाडले के Lungs
punjabkesari.in Monday, May 26, 2025 - 01:21 PM (IST)

नारी डेस्क: नए शोध के अनुसार, दूध छुड़ाने के दौरान बच्चे को दाल आधारित खाद्य पदार्थ जबरदस्ती खिलाने से शिशुओं में दुर्लभ लेकिन गंभीर फेफड़ों की बीमारी हो सकती है, जिसे हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस (एचपी) के रूप में जाना जाता है। इस बीमारी के लक्षण निमोनिया जैसे होते हैं, और इसके निदान और उपचार के लिए एक अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब बच्चे भूख नहीं होते या खाने से मना करते हैं, तब उन्हें बार-बार या ज़बरदस्ती खाना खिलाना उनकी भूख और संतुष्टि की प्राकृतिक समझ को बिगाड़ सकता है।

माता-पिता के लिए चेतावनी जारी
इंडिया टुडे में छपी खबर के मुताबिक सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने 13 महीने का एक अध्ययन किया, शोध में देखभाल करने वालों और चिकित्सा पेशेवरों को उचित वीनिंग तकनीकों और उनसे जुड़े जोखिमों के बारे में शिक्षित करने के महत्व पर जोर दिया गया है। अध्ययन के लेखकों ने चेतावनी दी- "माता-पिता को पता होना चाहिए कि बच्चे को खाने के लिए मजबूर करने जैसी सरल क्रिया के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।"
बच्चों के फेफड़ों में हो रही सूजन
अध्ययन में तीन वर्ष से कम आयु के शिशुओं के नौ मामलों की जांच की गई, जिनमें से अधिकतर लड़के थे, जिनमें लगातार श्वसन संबंधी लक्षण दिखाई दिए- खांसी, सांस लेने में कठिनाई और बुखार- जो मानक उपचारों का जवाब नहीं देते थे। सभी में वीनिंग के दौरान दाल-आधारित खाद्य पदार्थों को जबरन खिलाने का इतिहास था। एचपी फेफड़ों में एक एलर्जी प्रतिक्रिया है जो बार-बार सांस लेने या महीन कणों की आकांक्षा के कारण होती है। इन मामलों में, दाल के कण आक्रामक भोजन के कारण शिशुओं के वायुमार्ग में प्रवेश करते हैं, जिससे प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और फेफड़ों की सूजन शुरू हो जाती है।
जबरदस्ती खिलाने के नुकसान
भूख की प्राकृतिक पहचान खत्म होना: बच्चा समझ नहीं पाता कि उसे कब भूख लगी है और कब पेट भर गया है।
भोजन से डर या नफरत होना: कई बार जबरन खिलाए जाने पर बच्चे भोजन से चिढ़ने लगते हैं।
भविष्य में मोटापे या खाने की समस्याएं: रिसर्च से यह भी पता चला कि जबरदस्ती खिलाए गए बच्चे बड़े होकर या तो बहुत ज्यादा खाने लगते हैं या फिर बहुत कम।
मानसिक तनाव और विरोध: बच्चा खाने को लेकर तनाव में आ सकता है, जिससे वह गुस्सा या चिड़चिड़ा हो सकता है।
नाेट: बच्चे का पेट और मन, दोनों का संतुलन जरूरी है। भोजन के प्रति उसका सकारात्मक नजरिया विकसित करना ज़रूरी है, जो केवल तभी संभव है जब उसे उसकी भूख के अनुसार और आराम से खाने दिया जाए।