डायबिटीज के कारण आंखे हो गई है खराब तो करवाएं यह इलाज

punjabkesari.in Wednesday, Jul 04, 2018 - 01:56 PM (IST)

दुनियाभर में डायबिटीज के रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। डायबिटीज के रोगियों में आंखों की रोशनी खत्म होने, डायबिटिक रेटिनोथैरेपी का खतरा बना रहता है। इन समस्याओं के होने पर इलाज के लिए आईबॉल में लेजर और इंजेक्शन लगा कर ट्रीटमेंट किया जाता है जो बहुत दर्दनाक होता है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने अब एेसे लेंस विकसित किए है जिससे नेत्रहीनता की समस्या से छुटकारा मिल सकता है और इस इलाज में दर्द न के बराबर है। आइए जानिए डायबिटीज के कारण किस तरह आंखों की रोशनी खत्म हो जाती है और इस लेंस से किस तरह नेत्रहीनता की समस्या को दूर किया जा सकता है?

डायबिटीज से इस तरह होती है नेत्रहीनता की समस्या
डायबिटीज के कारण आंखों की रक्त वहिकाएं क्षतिग्रस्त होने पर नेत्रहीनता यानि आंखों की रोशनी खत्म होने की समस्या होती है क्योंकि इससे रेटीना की तंत्रिका कोशिकाओं में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और वे खत्म होने लगती हैं।

आम तौर पर आंखों के रेटीना में नई तंत्रिका कोशिकाएं भी बनती हैं, लेकिन डायबिटीज के रोगियों के रेटीना में ऑक्सीजन की कमी होने के कारण कोशिकाएं पूरी तरह से बन नहीं हो पाती और आंखों बुरा प्रभाव पड़ने लगता है और नजर कमजोर होने लगती है और यही समस्या बढ़ कर अंधेपन में बदल जाती है।

नेत्रहीनता दूर करने के लिए बनाया गया है यह लैंस
वैज्ञानिकों ने ऐसे कॉन्टैक्ट लेंस विकसित किए हैं जो डायबिटीज के कारण होने वाली अंधेपन की समस्या को दूर कर सकते हैं। इस इलाज में किसी तरह का दर्द भी नहीं होगा। यह इलाज 'ग्लो इन द डार्क' कॉन्टैक्ट लेंस है। 

लैंस इस तरह करता है  काम 
लैंस को इस तरह बनाया गया है कि इससे रात में रेटीना को ऑक्सीजन कम जरूरत होती है। आंखों की कोशिकाओं को नया लेंस रोशनी देता है। यह प्रक्रिया पूरी रात चलती है। इसके लिए लेंस में कलाई में पहनी जाने वाली घड़ी की प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है। ट्रीटियम से भरी नन्हीं शीशियों से रोशनी मिलती है जो अंधेपन की समस्या को दूर करती है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Punjab Kesari

Recommended News

Related News

static