बेटी के पिताओं के लिए अलर्ट, आपकी एक गलती बच्चियों को बना सकती है शुगर का मरीज !

punjabkesari.in Saturday, Dec 27, 2025 - 06:36 PM (IST)

नारी डेस्क: जानवरों पर हुई स्टडी के अनुसार, पिता के माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आने से बच्चों में मेटाबॉलिक डिसफंक्शन हो सकता है, जिसमें बेटियों को डायबिटीज होने का खतरा ज़्यादा होता है। माइक्रोप्लास्टिक्स छोटे प्लास्टिक के कण (5 मिलीमीटर से कम) होते हैं जो कंज्यूमर प्रोडक्ट्स और इंडस्ट्रियल कचरे के टूटने से बनते हैं। हालांकि माइक्रोप्लास्टिक्स पहले ही इंसानी रिप्रोडक्टिव सिस्टम में पाए जा चुके हैं, लेकिन जर्नल ऑफ़ द एंडोक्राइन सोसाइटी में पब्लिश यह स्टडी पहली है जो पिता के माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क और अगली पीढ़ी की लंबी अवधि की सेहत के बीच के गैप को भरती है।


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माता- पिता दोनों पर्यावरण से रहें सावधान

यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, रिवरसाइड के स्कूल ऑफ़ मेडिसिन में बायोमेडिकल साइंसेज के प्रोफेसर और मुख्य लेखक चांगचेंग झोउ ने कहा- "हमारी खोज ने पर्यावरण स्वास्थ्य में एक नया मोर्चा खोला है, जिससे इस बात पर ध्यान केंद्रित हो रहा है कि माता-पिता दोनों का पर्यावरण उनके बच्चों के स्वास्थ्य में कैसे योगदान देता है।"उन्होंने कहा- "चूहों पर हुई इस स्टडी के नतीजों का इंसानों पर भी असर हो सकता है। जो पुरुष बच्चे पैदा करने की योजना बना रहे हैं, उन्हें अपनी और अपने होने वाले बच्चों की सेहत की रक्षा के लिए माइक्रोप्लास्टिक्स जैसे हानिकारक पदार्थों के संपर्क को कम करने पर विचार करना चाहिए।"


चूहों पर की गई स्टडी

इस स्टडी के लिए, टीम ने चूहों को ज़्यादा फैट वाला खाना खिलाकर उनमें मेटाबॉलिक डिसऑर्डर - जैसे बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर और शरीर में ज़्यादा फैट - पैदा किए। नतीजों से पता चला कि माइक्रोप्लास्टिक्स के संपर्क में आए नर चूहों की मादा संतानें, उन पिताओं की संतानों की तुलना में मेटाबॉलिक डिसऑर्डर के प्रति काफी ज़्यादा संवेदनशील थीं, जो माइक्रोप्लास्टिक्स के संपर्क में नहीं आए थे, भले ही सभी संतानों को एक ही ज़्यादा फैट वाला खाना खिलाया गया था। झोउ ने कहा-  "इस लिंग-विशिष्ट प्रभाव के सटीक कारण अभी भी साफ नहीं हैं।"


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बेटों से ज्यादा बेटियों को खतरा


शोधकर्ता ने आगे कहा- "हमारी स्टडी में, मादा संतानों में डायबिटिक फेनोटाइप विकसित हुए। हमने उनके लिवर में प्रो-इंफ्लेमेटरी और प्रो-डायबिटिक जीन के अपरेगुलेशन को देखा - ये जीन पहले डायबिटीज से जुड़े हुए थे। ये बदलाव नर संतानों में नहीं देखे गए।" हालांकि नर संतानों में डायबिटीज विकसित नहीं हुई, लेकिन उनमें फैट मास में थोड़ी, फिर भी महत्वपूर्ण कमी देखी गई। टीम ने कहा कि मादा संतानों में डायबिटीज बढ़ने के साथ-साथ मांसपेशियों का मास कम हो गया। झोउ ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह स्टडी बताती है कि प्लास्टिक प्रदूषण का असर सिर्फ़ संपर्क में आए व्यक्ति तक ही सीमित नहीं है; यह एक बायोलॉजिकल छाप छोड़ सकता है जो बच्चों को पुरानी बीमारियों के प्रति संवेदनशील बना सकता है।
 


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Content Writer

vasudha

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