सावधान ! डिलीवरी के बाद हद से ज्यादा बिल्डिंग हो सकती है Postpartum Hemorrhage का लक्षण

punjabkesari.in Monday, May 27, 2024 - 12:31 PM (IST)

नारी डेस्क: बच्चे के जन्म के जन्म देना किसी महिला के लिए आसान नहीं होता है। 9 महीने उन्हें गर्भ के रखने के बाद शरीर में बेहिसाब दर्द सहते हुए डिलीवरी करना महिला के शरीर को कमजोर कर देता है। वहीं बच्चे को जन्म देने के बाद महिला को बहुत ब्लीडिंग होती है। कुछ समय के लिए तो ये ठीक है, लेकिन ज्यादा समय तक ब्लीडिंग चिंता वाली बात हो सकती है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इस स्थिति को पोस्टपार्टम हैमरेज कहते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी की दुनियाभर में पोस्टपार्टम हैमरेज महिलाओं के मौत का बड़ा कारण है। जहां बच्चे के जन्म के दौरान और बाद में होनेवाले रक्तस्नाव के कारण न्यू मदर्स को इसका खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, सही जानकारी और सपोर्ट से पीपीएच की इस खतरनाक स्थिति से बचा जा सकता है। समय रहते हैं अगर पोस्टपार्टम हैमरेज के लक्षणों को पकड़ लिया जाए तो बचाव संभव है।

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क्या होता है पोस्टपार्टम हैमरेज का कारण

ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं को डिलीवरी के बाद बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है। ये ब्लीडिंग 24 घंटों में 500 मिली से ज्यादा हो सकती है। एक्सपर्ट्स की मानें तो पीपीएच के कई कारण हो सकते हैं जैसे - यूटरिन एटॉनी, बच्चे को जन्म देते समय किसी तरह का ट्रामा, प्लेसेंटा पूरी तरह से बाहर न आना और पीरियड्स से जुड़े किसी डिसॉर्डर के चलते पीपीएच का खतरा बढ़ सकता है।

क्या होते हैं पीपीएच के लक्षण

- बच्चे के जन्म के बाद बहुत ज्यादा ब्लीडिंग।

- ब्लीडिंग के साथ खून के बड़े- बड़े थक्के आना।

- ब्लड प्रेशर लेवल का कम होना।

- हार्ट रेट बढ़ जाना।

- पेरिनियल रीजन के टिशूज में दर्द।

- खून में रेड ब्लड सेल्स कम हो जाना।

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पोस्टपार्टम हैमरेज का रिस्क बढ़ाती है ये स्थितियां

- मल्टीपल प्रेग्नेंसी

- देर तक लेबर पेन बना रहना।

- कुछ बीमारियां और मेडकिल कंडीशन।

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कैसे करें इससे बचाव

एक्सपर्ट्स का कहना है कि महिलाएं अगर प्रेग्नेंसी से पहले और प्रेग्नेंसी के दौरान अच्छी तरह से प्लानिंग करें तो वे पीपीएच की स्थिति से बच सकती है। बर्थ प्लान बनाने से पीपीएच जैसी जानलेवा स्थिति से बचना बहुत आसान हो सकता है। अपने डॉक्टर से बात करें कि आपका डिलिवरी का मेथड क्या होगा। इसके साथ पूरा प्रोसीजर और दवाओं की जानकारी भी जरूर ले लें। इसके अलावा प्रेगनेंसी के दौरान अपने खान-पान पर ध्यान दें। अच्छी, संतुलित और पौष्टिक डाइट लें। एनिमिया और हाइपरटेंशन जैसी स्थितियों से बचें। प्रेगनेंसी में अपनी हीमोग्लोबिन लेवल कम ना होने दें।


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Content Editor

Charanjeet Kaur

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