AI के जमाने में टिके रहने के लिए हर पैरेंट अपने टीनेज बच्चों को सिखाएं ये 3 स्किल्स
punjabkesari.in Wednesday, Oct 29, 2025 - 04:10 PM (IST)
नारी डेस्क: आज की दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इतनी तेज़ी से बढ़ रही है कि आने वाले कुछ सालों में कई नौकरियां पूरी तरह बदल जाएंगी। ऐसे में माता-पिता के लिए ज़रूरी है कि वे अपने बच्चों को सिर्फ़ अच्छे मार्क्स नहीं, बल्कि ऐसी स्किल्स सिखाएं जो मशीनें नहीं सीख सकतीं। जानिए 3 ज़रूरी जॉब स्किल्स जो हर पैरेंट को अपने टीनेज बच्चों को सिखानी चाहिए, ताकि वे भविष्य के करियर में सफल रह सकें।

क्रिटिकल थिंकिंग (Critical Thinking) - सोचने और सवाल करने की कला
AI डेटा से फैसले ले सकता है, लेकिन सोचने, तर्क करने और सही-गलत समझने की क्षमता सिर्फ इंसानों के पास होती है।बच्चों को सिखाएँ कि वे हर जानकारी पर आंख मूंदकर भरोसा न करें, खुद से सवाल करें जैसे- क्यों?, कैसे?,क्या इसका और कोई तरीका हो सकता है? किसी समस्या को अलग-अलग दृष्टिकोण से देखें। उन्हें समाचारों या सोशल मीडिया पोस्ट पर चर्चा करने को कहें और तर्क पूछें “तुम्हें क्यों लगता है ये सही है?”
कम्युनिकेशन और इमोशनल इंटेलिजेंस (Communication & Emotional Intelligence)
AI चैट कर सकता है, लेकिन भावनाएं समझ नहीं सकता। भविष्य में जो इंसान दूसरों से जुड़ना, टीम में काम करना और सहानुभूति दिखाना जानता है, वही आगे बढ़ेगा। बच्चों को सिखाएं कि वे दूसरों की बात ध्यान से सुनें, अपनी भावनाएं साफ़ और सम्मानजनक तरीके से व्यक्त करें, दूसरों की स्थिति को समझने की कोशिश करेंञ उन्हें ग्रुप एक्टिविटीज़, वॉलंटियर वर्क या स्कूल डिबेट में हिस्सा लेने को प्रेरित करें।

क्रिएटिविटी और प्रॉब्लम सॉल्विंग (Creativity & Problem Solving)
AI पुराने डेटा पर चलता है, लेकिन नई सोच और नए आइडिया इंसानों से ही आते हैं। क्रिएटिव बच्चे हर बदलते दौर में अपने लिए नए मौके बना लेते हैं। बच्चों को सिखाएं कि वे असफलता से डरें नहीं, बल्कि उससे सीखें, हर समस्या को एक “पज़ल” की तरह देखें,कला, संगीत, डिजाइन या इनोवेशन जैसे क्षेत्रों में अपनी रुचि आज़माएं। उन्हें घर के छोटे प्रोजेक्ट्स सुलझाने का मौका दें - जैसे कोई टूटी चीज़ ठीक करना, बजट बनाना या कोई नया आइडिया ट्राय करना।
जरूरी बात
भविष्य उन्हीं का होगा जो सोच सकते हैं, महसूस कर सकते हैं और नई दिशा बना सकते हैं। इसलिए बच्चों को सिर्फ़ AI से डरना नहीं, बल्कि AI के साथ आगे बढ़ना सिखाए। ध्यान रखें कि मशीनें काम कर सकती हैं, लेकिन सोचने का काम इंसान का ही रहेगा।

