बतौर राइटर शुरू किया था फिल्मों में करियर- दिलीप कुमार के नाम दर्ज है सबसे ज्यादा अवॉर्ड जीतने का रि
punjabkesari.in Wednesday, Jul 07, 2021 - 11:43 AM (IST)
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का आज बुधवार को 98 साल की उम्र में निधन हो गया। पिछले काफी समय से वह बीमार चल रहे थे और बार-बार चेकअप के लिए उन्हें अस्पताल जाना पड़ रहा था। जिसके चलते आज 7 जुलाई को मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में दिलीप कुमार ने अंतिम सांस ली, इस खबर से बाॅलीवुड समेत पूरा देश भी शाॅक्ड है।
बतां दें कि दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था और महज 25 साल की उम्र में ही वह देश के नंबर वन एक्टर बन गए थे। उनके नाम सबसे ज्यादा अवॉर्ड्स जीतने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी है। आईए जानते हैं उनके फिल्मी सफर के बारे में-
देश के इन महान अवॉर्ड से सम्मानित किए जा चुके थे दिलीप साहब
अपने पांच दशक लंबे करियर में के करियर में दिलीप साहब ने कई अवॉर्ड्स जीते थे। इसमें 8 फिल्मफेयर अवॉर्ड्स (बेस्ट एक्टर), एक फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, नेशनल फिल्म अवॉर्ड, पद्मभूषण, पद्म विभूषण, दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड और पाकिस्तान सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज भी शामिल हैं।
पद्म भूषण और पद्म विभूषण -
1991: पद्म भूषण
1994: दादासाहेब फाल्के
2015: पद्म विभूषण
10 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड जीते
1954: बेस्ट एक्टर (दाग)
1956: बेस्ट एक्टर (अंदाज)
1957: बेस्ट एक्टर (देवदास)
1958: बेस्ट एक्टर (नया दौर)
1961: बेस्ट एक्टर (कोहिनूर)
1965: बेस्ट एक्टर (लीडर)
1968: बेस्ट एक्टर (राम और श्याम)
1983: बेस्ट एक्टर (शक्ति)
1994: लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड
2005: स्पेशल अवार्ड
नेशनल अवॉर्ड
1961: सैकंड बेस्ट फीचर फिल्म (गंगा जमुना)
1994: (दादासाहेब फाल्के सम्मान)
2006: (स्पेशल लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड)
पद्मभूषण के साथ किशोर कुमार सम्मान से भी नवाजा जा चुका है-
दिलीप कुमार को 1991 में पद्मभूषण, 1994 में दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड, लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, 1998 में निशान-ए-इम्तियाज, 2008 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, 2015 में पद्मविभूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें 2014 में किशोर कुमार सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।
पाकिस्तान में जन्में थे दिलीप कुमार-
दिलीप कुमार का जन्म पाकिस्तान के पेशावर स्थित किस्सा ख्वानी बाजार एरिया की हवेली में 11 दिसंबर, 1922 को हुआ था। उनकी मां आयशा बेगम और पिता लाला गुलाम सरवर खान थे। दिलीप के 12 बहन-भाई थे। दिलीप कुमार का बचपन बेहद तंगहाली में गुजरा।
फिल्मों में एक्टिंग करने के लिए दिलीप कुमार ऐसे हुए तैयार-
1942 में जब दिलीप कुमार के पिता मुंबई शिफ्ट हुए तो यहा दिलीप कुमार की मुलाकात एक्ट्रेस देविका रानी से हुई यहीं से दिलीप कुमार के जीवन में नया मोड़ आया। दिलीप को देखते ही देविका रानी ने उन्हें फिल्मों का ऑफर दे दिया। हालांकि तब दिलीप कुमार ने ये ऑफर ठुकरा दिया था।
इसके बाद देविका रानी ने दिलीप कुमार को काफी समझाया लेकिन वो नहीं मानें। हालांकि बाद में वो सिर्फ इस शर्त पर देविका रानी के साथ काम करने को तैयार हुए कि वो एक्टिंग नहीं, बल्कि बतौर राइटर काम करेंगे। शुरुआत में दिलीप साहब अपनी उर्दू भाषा पर पकड़ होने की वजह से स्टोरी राइटिंग और स्क्रिप्टिंग का काम किया करते थे।
उस समय बॉम्बे टॉकीज की मालकिन रहीं एक्ट्रेस देविका रानी ने दिलीप कुमार को उनका नाम मोहम्मद युसूफ खान से दिलीप कुमार रखने के लिए कहा था। इसके बाद देविका ने उन्हें फिल्म ज्वार भाटा में कास्ट किया, जो 1944 में रिलीज हुई थी।
फिर देविका रानी ने दिलीप कुमार को 1 हजार रूपए महीने की तनख्वाह का ऑफर दिया। चूंकि 40 और 50 के दशक में ये रकम बहुत बड़ी थी। ऐसे में दिलीप कुमार फिल्मों में एक्टिंग करने के लिए तैयार हो गए थे।
दिलीप कुमार के करियर की हिट फिल्में-
दिलीप कुमार ने करियर की शुरुआत भले ही 1944 में फिल्म 'ज्वार भाटा' से की थी लेकिन उनकी ये फिल्म असफल रही थी। लेकिन इसके बाद उन्होंने कई हिट फिल्में करी जिनमें से 'जुगनू' (1947) , शहीद, मेला, अंदाज, दाग, नया दौर, मुगल-ए-आजम, राम और श्याम, गोपी, बैराग, क्रांति, विधाता, मशाल, कर्मा और सौदागर जैसी कई अहम फिल्में शामिल है।