आज श्रीहरि की खुलेगी नींद और शुरू होंगे शुभ कार्य, जानिए देव उठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
punjabkesari.in Saturday, Nov 01, 2025 - 09:11 AM (IST)
नारी डेस्क: हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इसे प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी के दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं, जिसे चातुर्मास कहा जाता है, और कार्तिक शुक्ल एकादशी को उनकी निद्रा समाप्त होती है। इस बीच के समय में शादी-ब्याह और कई अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। देवउठनी एकादशी के बाद से विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन और अन्य शुभ कार्यों का आरंभ होता है।

देवउठनी एकादशी का मुहूर्त
एकादशी तिथि 1 नवंबर, सुबह 09:13 मिनट से शुरू हो रही है जो 2 नवंबर, सुबह 07:33 मिनट तक रहेगी। ऐसे में देव उठनी एकादशी व्रत 01 नवंबर यानी कि आज रखा जाएगा। आज देवउठनी एकादशी पर शाम 7 बजकर पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा और इस समय देव जागेंगे। ऐसे में पूजा के लिए यह अवधि कल्याणकारी मानी जाएगी इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगा। वहीं गोधूली मुहूर्त शाम 5 बजकर 36 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। साथ ही प्रदोष काल शाम 5 बजकर 36 मिनट पर प्रारंभ होगा।
इस तरह जगाएं भगवान विष्णु को
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु की महिमा का गान करने वाले श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी अत्यंत ही शुभ और पुण्यदायी माना जाता है। श्री हरि की पूजा के अंत में उनकी आरती करना बिल्कुल न भूलें। आरती के दौरान शंख और घंटी जरूरी बजाएं। देवउठनी के दिन श्री हरि के जागने पर महिलाओं द्वारा मंगल गान की भी परंपरा है। इस दौरान मूल विष्णु मंत्र ॐ नमोः नारायणाय या ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् मंत्र जरूर जपें

देवउठनी एकादशी के दिन जरूर करें ये उपाय
भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए देव उठनी एकादशी के दिन स्नान करते समय पानी में एक चुटकी हल्दी डाल लें । फिर भगवान विष्णु के पसंदीदा रंग यानी पीले वस्त्र पहनकर उनकी पूजा करें और पीला अनाज भगवान विष्णु को अर्पण करें। ऐसा करने से उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है। इस दिन भगवान विष्णु का केसर वाले दूध से अभिषेक करें। इसके साथ गायत्री मंत्र का जाप करें। फिर जीवन में सुख शांति और समृद्धि की कामना करें। ऐसा करने से जगत के पालनहार के साथ मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देंगी।
पूजा-विधि
स्नान-ध्यान के बाद पूजा स्थल को स्वच्छ करें। 2. पूजा के लिए भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। तुलसी पत्ता, भीषाखा पत्ता अधि उपयोग करें। दीपक, धूप, नैवेद्य (फल, फुल, प्रसाद) और अगर संभव हो तो खीर, मीठा आदि भगवान के अर्पित करें। संभव हो तो दिनभर फलाहारी व्रत या निर्जला व्रत। रात में या अगले दिन द्वादशी ने प्रवेश होने तक व्रत का संकल्प रखें। इस दौरान मन शांत रखें, ध्यान लगाएं, भगवान विष्णु का ध्यान करें, भजन-कीर्तन या श्रीविष्णु सहस्रनाम आदि का पाठ करें।

