गंगा किनारे क्यों मनाई जाती है देव-दीपावली? जानिए इस दीवाली की मान्यता

punjabkesari.in Tuesday, Nov 12, 2019 - 12:09 PM (IST)

देव-दीपावली यानि देवी-देवताओं द्वारा मनाया जाने वाले दिवाली का त्यौहार। जी हां, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन देव-दीपावली मनाए जाने की मान्यता सालों से चली आ रही है। इस बार यह त्यौहार 12 नवंबर के दिन मनाया जाएगा। इस त्यौहार की सबसे ज्यादा रौनक काशी में देखने को मिलती है। तो चलिए आज जानते हैं देव-दीपावली से जुड़े कुछ खास तथ्यों के बारे में विस्तार से...

देव-दीपावली का महत्व

देव-दीपावली, दिवाली से पूरे 15 दिन बाद मनाई जाती है। शास्त्रों के मुताबिक इस दिन भगवान शिव ने 'त्रिपुरासुर' नाम के राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर का वध करने के लिए भगवान शिव ने माता शक्ति और मां भैरवी का तप किया था। राक्षस का वध करने के लिए भगवान शिव खुद धरती पर आए थे। उसी के पश्चात सभी देवी-देवताओं ने मिलकर काशी में गंगा नदी के इर्द-गिर्द दीप जलाकर अपनी खुशी प्रकट की थी। मान्यता है कि आज भी भगवान शिव इस दिन खास धरती पर आते हैं, और अपने भक्तों की खुशी में आज भी शामिल होते हैं।

Related image,nari

देव-दीपावली का शुभ मुहूर्त

देव दीपावली 12 नवंबर 2019 को मनाई जाएगी। इसकी शुरुआत का शुभ समय शाम 5 बजकर 11 मिनट पर शुरु होगा और यह पूजा 7 बजकर 48 मिनट तक चलेगी। इसके अलावा पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 11 नवंबर को शाम 6 बजकर 2 मिनट से अगले दिन शाम 7 बजकर 4 मिनट तक रहेगा।

कौन था त्रिपुरासुर ?

त्रिपुरासुर एक ऐसा राक्षस था जिसने स्वर्ग लोक पर अपना कब्जा करके देवी-देवताओं को वहां से निकलने के लिए मजबूर कर दिया था। वो इतना शक्तिशाली था कि सभी देवी-देवता उसके अत्याचारों से दुखी आ चुके थे। ऐसे में उन्होंने भगवान शिव से खुद को बचाने की मांग की। भगवान शिव ने मां शक्ति और मां भैरव से त्रिपुरासुर राक्षस को खत्म करने का वरदान हासिल किया।

Related image,nari

बनारस में क्यों मनाई जाती है देव दीपावली ?

जैसा कि आप जानते हैं कि काशी भगवान शिव की नगरी मानी जाती है। ऐसे में देवी-देवताओं ने अपनी खुशी जाहिर करने के लिए भगवान शिव की काशी को जगमग करने का सोचा। मान्यता है कि आज भी इस खास मौके पर देवी-देवता खुद आकर गंगा के किनारे दीपमाला करते हैं।

Image result for pooja at ganga river,nari

इस दिन क्या करें खास ?

- पूजा के दिन सुबह गंगा नदी पर जाकर स्नान करें।
- स्नान के बाद दीप जलाएं, गंगा मां की पूजा करें, आरती करें और वहां बैठे जरुरत मंद लोगों को खाना खिलाएं।
- इस दिन तुलसी मां की पूजा करना भी बहुत शुभ माना जाता है। 
- तुलसी मां की अराधना के बाद सत्यनारायण भगवान की कथा भी जरुर सुनें।
- भगवान शिव को जल चढ़ाकर ऊं नम:शिवाय मंत्र का जाप करें।
- इस दिन हनुमान जी के सामने भी दीप जलाने से आपकी हर मनोकामना पूरी होती है। 
- जितना है सके इस दिन पाठ-पूजा में ध्यान लगाएं, और भगवान विष्णु की अराधना भी जरुर करें।

अगर आप किसी कारणवश काशी जाकर यह पूजा नहीं कर सकते तो अपने आस पास किसी नदी या सरोवर पर जाकर दीप जलाएं और पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की अराधना कर उनसे कलयुगी राक्षसों से खुद के बचाव की मांग करें। 

ऐसे करें पूजा

किसी भी शिव मंदिर में जाकर विधिवत षोडशोपचार पूजन करें। दिया जलाते वक्त घी का इस्तेमाल करें, चंदन की धूप करें, अबीर चढ़ाएं, खीर-पूड़ी, गुलाब के फूल चढ़ाएं, चंदन से शिवलिंग पर त्रिपुंड बनाएं, और बर्फी का भोग लगाएं। इसके बाद 'ऊं देवदेवाय नम' मंत्र का जाप करें।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Harpreet

Recommended News

Related News

static