डेंगू-मलेरिया में अक्सर लोग करते हैं ये 5 बड़ी गलतियां और फिर सीधा अस्पताल! जानें एक्सपर्ट की राय
punjabkesari.in Thursday, Sep 11, 2025 - 08:37 AM (IST)

नारी डेस्क: बारिश के मौसम में डेंगू और मलेरिया जैसे बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ जाता है। मच्छरों से फैलने वाले इन संक्रमणों से हर साल हजारों लोग बीमार पड़ते हैं। लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो इन बीमारियों से होने वाली जटिलता और अस्पताल में भर्ती की नौबत केवल बीमारी की गंभीरता से नहीं, बल्कि लोगों द्वारा की गई कुछ आम गलतियों की वजह से भी होती है।
बुखार को सामान्य समझ लेना
डेंगू या मलेरिया के शुरुआती लक्षण अक्सर सामान्य वायरल फीवर जैसे होते हैं – जैसे हल्का बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द और थकान। इसी वजह से अधिकतर लोग इसे हल्के में लेते हैं और बिना डॉक्टर से सलाह लिए आराम करने या घरेलू उपायों पर निर्भर हो जाते हैं। लेकिन यही लापरवाही बीमारी को और गंभीर बना देती है। डेंगू में प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से गिर सकती है और मलेरिया में तेज बुखार और कमजोरी जानलेवा बन सकती है। इसलिए बुखार को केवल "मौसमी" कहकर टालना खतरनाक हो सकता है। यदि बुखार दो दिनों से अधिक रहे, तो तुरंत जांच करवाना जरूरी है।
सेल्फ-मेडिकेशन (Self Medication)
आजकल इंटरनेट और फार्मेसी की आसानी से उपलब्धता के चलते लोग खुद ही डॉक्टर बनने लगते हैं। पेरासिटामोल, एंटीबायोटिक या दर्द निवारक दवाएं बिना किसी मेडिकल सलाह के लेना एक आम गलती है। खासकर डेंगू के मामलों में कुछ दवाएं जैसे आइबुप्रोफेन या एस्प्रिन प्लेटलेट्स पर बुरा असर डाल सकती हैं और रक्तस्राव (bleeding) का खतरा बढ़ा देती हैं। इससे मरीज की स्थिति और बिगड़ जाती है। इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी दवा लेना सही नहीं है, चाहे लक्षण कितने भी मामूली क्यों न लगें।
खून की जांच में देरी
डेंगू और मलेरिया दोनों ही खून की जांच से आसानी से पहचाने जा सकते हैं, लेकिन फिर भी लोग अक्सर जांच करवाने में देरी कर देते हैं। शुरुआती दिनों में जांच न करवाकर वे बुखार को सामान्य मानते रहते हैं और जब हालत बिगड़ती है, तब जाकर अस्पताल पहुंचते हैं। डेंगू में प्लेटलेट्स की निगरानी और मलेरिया में परजीवी की पहचान समय पर होनी बेहद जरूरी है। समय पर डायग्नोसिस न होने से इलाज में देरी होती है, जिससे जटिलताएं बढ़ सकती हैं और ICU तक की जरूरत पड़ सकती है।
पर्याप्त पानी न पीना
डेंगू में शरीर में पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन बहुत जल्दी हो सकता है, क्योंकि बुखार और उल्टी जैसी समस्याएं शरीर से तरल निकाल देती हैं। लेकिन मरीज़ अक्सर कमजोरी के कारण या भूख न लगने की वजह से पर्याप्त पानी और अन्य तरल पदार्थ नहीं लेते। इससे न सिर्फ़ हालत खराब होती है, बल्कि रिकवरी भी धीमी हो जाती है। ऐसे में ORS, नारियल पानी, नींबू पानी और सादा पानी जैसे विकल्पों का सेवन लगातार करते रहना चाहिए। डॉक्टर भी डेंगू के मरीजों को हाई फ्लूइड इंटेक की सलाह देते हैं।
घरेलू नुस्खों पर अधिक निर्भरता
पपीते के पत्ते का रस, गिलोय का काढ़ा, तुलसी, अदरक जैसी चीज़ें ज़रूर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकती हैं, लेकिन इन्हें इलाज का विकल्प समझना गलत है। कई लोग ये मान बैठते हैं कि घरेलू उपायों से ही डेंगू या मलेरिया ठीक हो जाएगा, और इस चक्कर में डॉक्टर के पास देर से पहुंचते हैं। घरेलू नुस्खे एक सपोर्ट के तौर पर फायदेमंद हो सकते हैं, लेकिन अगर प्लेटलेट्स तेजी से गिर रहे हों या तेज़ बुखार उतर ही नहीं रहा हो, तो केवल इन उपायों पर निर्भर रहना जानलेवा हो सकता है। मेडिकल ट्रीटमेंट को कभी नजरअंदाज न करें।
एक्सपर्ट की सलाह: समय पर पहचान और इलाज है ज़रूरी
“डेंगू और मलेरिया दोनों ही शुरुआती लक्षणों में सामान्य बुखार जैसे लगते हैं। लेकिन अगर बुखार लगातार दो दिन से ज़्यादा बना रहे, शरीर में दर्द हो, प्लेटलेट्स गिरें या कमजोरी महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। खुद से दवा न लें, और पानी की मात्रा बढ़ा दें।”
डेंगू और मलेरिया से बचाव के उपाय
घर और आसपास पानी जमा न होने दें
मच्छरदानी और रिपेलेंट का प्रयोग करें
पूरी बांह के कपड़े पहनें
शाम के समय घर के दरवाजे-खिड़कियां बंद रखें
नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराएं
डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से डरने की नहीं, सतर्क रहने की ज़रूरत है। समय पर जांच, सही इलाज और सतर्कता से न केवल बीमारी से बचा जा सकता है, बल्कि अस्पताल जाने की नौबत भी नहीं आती। इसलिए बुखार को हल्के में न लें और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें