पंजाब के बच्चों की सेहत पर मंडरा रहा खतरा: सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट, बच्चों के खून में मिला ज़हर

punjabkesari.in Wednesday, Oct 08, 2025 - 04:17 PM (IST)

नारी डेस्क: चंडीगढ़ और पंजाब के कुछ इलाकों में बच्चों के खून और भूजल में भारी धातुओं की खतरनाक मात्रा पाई गई है। पंजाब विश्वविद्यालय की जियो-एनवायरनमेंटल रिसर्च लेबोरेटरी और बाबा फरीद एनजीओ द्वारा की गई इस स्टडी ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कई बच्चों के शरीर में सीसा (Lead) और यूरेनियम (Uranium) की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सुरक्षित सीमा से कई गुना अधिक है।

स्टडी में क्या पाया गया

रिसर्च टीम ने चंडीगढ़, बठिंडा और रोपड़ जिलों में कुल 149 खून के सैंपल, 137 बालों के सैंपल और 37 भूजल के सैंपल लिए। परिणाम चौंकाने वाले रहे 26.2% बच्चों के खून में सीसे की मात्रा WHO की सुरक्षित सीमा 3.5 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर से ज़्यादा पाई गई। बठिंडा के 68 बच्चों में से 22 में सीसे की मात्रा बेहद अधिक थी, जिनमें से 18 बच्चों में यह स्तर 10 माइक्रोग्राम से भी ऊपर पहुंच गया। चंडीगढ़ के 19 बच्चों में से 5 में औसतन 6.3 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर सीसा पाया गया। रोपड़ के 62 बच्चों में से 12 में औसतन 6.4 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर दर्ज किया गया। बालों के नमूनों में भी 39% बच्चों में असुरक्षित स्तर का सीसा पाया गया। भूजल सैंपलों में भारी धातुओं का प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर था।

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सबसे ज्यादा खतरे में बठिंडा के बच्चे

स्टडी में सामने आया कि बठिंडा जिले की स्थिति सबसे गंभीर है। यहां औद्योगिक इकाइयों, बिजलीघरों और सीमेंट फैक्ट्रियों से निकलने वाली फ्लाई ऐश और कचरा निपटान की कमी ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। बच्चों में सीसा और यूरेनियम के बढ़ते स्तर से मानसिक विकास, हड्डियों की मजबूती और न्यूरोलॉजिकल सेहत पर गंभीर असर हो सकता है।

सीसा और यूरेनियम से बच्चों को क्या खतरे हैं

सीसा (Lead) बच्चों के दिमागी विकास को प्रभावित करता है, जिससे IQ में कमी, ध्यान की कमी और व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। यूरेनियम (Uranium) किडनी और हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है। लंबे समय तक संपर्क में रहने पर बच्चों को सीखने में दिक्कत, थकान, और हड्डियों की कमजोरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

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मानवाधिकार आयोग की सख्त प्रतिक्रिया

मानवाधिकार आयोग ने रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए पंजाब और चंडीगढ़ के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया है कि वे एक विस्तृत सर्वे प्लान तैयार करें।
इस सर्वे में बच्चों और गर्भवती महिलाओं की सेहत पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है। आयोग ने आदेश दिया है कि पंजाब और चंडीगढ़ में कम से कम एक सरकारी अस्पताल में विष विज्ञान विभाग (Toxicology Department) बनाया जाए। साथ ही सभी स्कूलों में RO जल शोधन प्रणाली लगाने का भी निर्देश दिया गया है।

उद्योगों और बिजलीघरों पर निगरानी का आदेश

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 45 दिनों के अंदर बठिंडा और रोपड़ के बिजलीघरों, सीमेंट फैक्ट्रियों और औद्योगिक इकाइयों की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है।

इस जांच में यह देखा जाएगा कि

फ्लाई ऐश का प्रबंधन सही तरीके से हो रहा है या नहीं,

और औद्योगिक कचरा किस तरह निपटाया जा रहा है।

अब ज़रूरत है सख्त कदमों की

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अभी ध्यान नहीं दिया गया तो यह प्रदूषण बच्चों की आने वाली पीढ़ियों को भी प्रभावित करेगा। सरकार को चाहिए कि

औद्योगिक कचरे के निपटान पर कड़े नियम लागू करे,

स्कूलों और समुदायों में लीड अवेयरनेस प्रोग्राम शुरू करे,

और पीने के पानी की नियमित जांच सुनिश्चित करे।

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यह स्टडी पंजाब और चंडीगढ़ के लिए एक गंभीर चेतावनी है। जब बच्चों के खून में ही ज़हर मिल जाए, तो यह केवल स्वास्थ्य संकट नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ी के भविष्य पर भी खतरा है। सरकार, उद्योग और समाज सभी को मिलकर इस प्रदूषण के खिलाफ कदम उठाने होंगे।

  

 


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Content Editor

Priya Yadav

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