आंखों से भी शरीर में घुस सकता है कोरोना, आंसू से भी खतरा

punjabkesari.in Wednesday, May 13, 2020 - 12:44 PM (IST)

कोरोना वायरस से बचने के लिए लोगों को मास्क व दस्ताने पहनन की सलाह दी जा रही है। दरअसल, वायरस के ड्रॉपलेट्स हाथों से मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। मगर हाल ही में हुए शोध के मुताबिक, कोरोना आंखों से भी शरीर में घुस सकता है। जी हां, अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि आंखों की कोशिकाओं की सतह पर ACE-2 नाम के रिसेप्टर पाए जाते हैं, जो किसी कोशिका में संक्रमण का ‘गेटवे’ समझे जाते हैं। कोरोना का वायरस इन्हीं के जरिए शरीर के अंदर आता है।

आंखों से कोरोना का खतरा

दरअसल, कोरोना आंखों में मौजूद एस-2 रिसेप्टर के जरिए शरीर में घुस सकता है। संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उससे निकलने वाली बूंदों में मौजूद वायरस आंखों में मौजूद एस-2 रिसेप्टर से चिपककर शरीर में फैल सकता है। अमेरिका के जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के आंखों में वायरस के पहुंचते ही संक्रमण की शुरुआत हो जाती है।

आंखों के जरिए शरीर पर हमला करता है कोरोना, वैज्ञानिकों को मिली वजह

आंसू के जरिए बढ़ सकता है फैलाव

अगर वायरस आंखों के जरिए शरीर में प्रवेश करता है तो आंखें लाल होना, सूजन आ सकती है। सबसे बड़ा खतरा ये है कि आंखों में मौजूद आंसू के जरिए ये वायरस अपना प्रसार भी बढ़ा सकता है। आंखों में एस-2 रिसेप्टर होते हैं जो कोरोना का सबसे बड़ा वाहक है। वायरस जब यहां पहुंचेगा तो वो रिसेप्टर को निष्क्रिय कर देगा और संक्रमण फैलाने के साथ अपना कुनबा बढ़ाने लगेगा।

एस-2 रिसेप्टर वालों में वायरल लोड अधिक

वैज्ञानिकों का दावा है कि जिन लोगों में एस-2 रिसेप्टर अधिक होता है उनमें वायरस की मात्रा अधिक हो सकती है। संक्रमण का पहला डोज खून के जरिए शरीर में फैल सकता है। 30% लोगों में वायरस की शुरुआत आंखों से होने की संभावना है। ऐसे में आंखों को सुरक्षित रखना भी बहुत जरूरी है।

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हाईबीपी और डायबिटीज के मरीजों को खतरा अधिक

शोधकर्ताओं के मुताबिक, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और धूम्रपान करने वाले लोगों को आंखों से संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है। ऐसा इसलिए क्योोंकि स्वस्थ लोगों के मुकाबले इन लोगों में एसीई-2 रिसेप्टर अधिक पैदा होता है।

नाक से आंख तक पहुंच सकता है वायरस

वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा भी हो सकती है कि यह वायरस नाक के जरिए आंखों तक और फिर दूसरे अंगों तक पहुंचा हो क्योंकि आंखें, नाक की लेक्रमिल डक्ट से जुड़ी होती है। जब आप दवा आंख में डालते हैं तो उसका स्वाद गले के पिछले हिस्से में महसूस होता है। इसी तरह वायरस भी आंख से गले में उतर सकता है।

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कैसे रखें बचाव?

. बचाव के लिए चश्मे या शील्ड का इस्तेमाल किया जा सकता है।
. आंखों की साफ-सफाई पर ध्यान दें।
. कपड़ा, तौलिया या रूमाल किसी से शेयर ना करें।
. बाहर जाते समय मास्क, दस्ताने के अलावा चश्मा भी पहनें।
. बार-बार आंखों को छूने से बचें।
. चेहरे को फेसवॉश से धोते रहें और आंखों पर भी पानी के छिंटे मारे।
. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और लोगों से 6 फीट की दूरी बनाकर रखें।

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Content Writer

Anjali Rajput

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