सिटी मजिस्ट्रेट और आर्मी अफ़सर ने केवल 500 रुपये में शादी कर पेश की मिसाल
punjabkesari.in Thursday, Jul 15, 2021 - 01:57 PM (IST)
हमने अकसर अपने समाज में बड़ी से बड़ी शादियां देखी या सुनी होंगी, खास कर बड़ी-बड़ी हस्तियों की शादी हमेशा अपने लग्जुरियस होने की वजह से खबरों में छाई रहती हैं। लेकिन आम जानता के लिए मिसाल कायम करते हुए मध्य प्रदेश के दो अधिकारियों ने केवल 500 रुपए में शादी कर, दिखावे के चक्कर में लोगों द्वारा बेफिजूल खर्च पर एक मिसाल पेश की है।
दुनिया के दिखावें को नाकार, साधारण शादी को चुना
मध्य प्रदेश के धार में हुई ये शादी कोई आम शादी नहीं थी, ये शादी यहां कि सिटी मजिस्ट्रेट और भारतीय सेना के एक अफसर की थी। यह भी चाहते तो अपमनी शादी में बड़े से बड़े अफसरों को शामिल पूरे जिले में धूम-धाम से शादी कर सकते थे लेकिन लोगों के दिखावे के चक्कर में बेफिजूल खर्च को रोक कर इन अधिकारी कप्पल ने मात्र 500 रुपये शादी की। दोनों ने बिना कोई दहेज और बिना शोर शराबे के बहुत ही सादगी से अपनी शादी संपन्न की है।
मात्र 500 रुपये खर्च कर की कोर्ट मैरिज
धार की इस महिला अधिकारी ने अपनी इस शादी से लोगों को शादी के दिखावे के नाम पर फिजूलखर्ची रोकने का संदेश दिया है। धार की सिटी मजिस्ट्रेट शिवांगी जोशी ने सेना के अफसर मेजर अनिकेत के साथ कोर्ट मैरिज की है। इसके लिए इनके मात्र 500 रुपये खर्च हुए, ये 500 रुपये इन्होंने कोर्ट में जमा कराए हैं।
भोपाल की रहने वाली सिटी मजिस्ट्रेट शिवांगी जोशी की पोस्टिंग इन दिनों धार में है, उनके परिवार द्वारा भारतीय सेना में मेजर अनिकेत चतुर्वेदी से उनका रिश्ता तय किया गया था। भोपाल के रहने वाले अनिकेत की पोस्टिंग लद्दाख में है। दोनों की शादी काफी पहले ही हो जाती लेकिन कोरोना महामारी के कारण शादी को टल गई।
बेहद ही सादगी से संपन्न हुई इनकी शादी में वर और वधु पक्ष के परिवार के चुनिंदा सदस्य ही शामिल हुए। जिले के डीएम ने इस शादी को एक अच्छी पहल बताया है।
शादियों में फिजूलखर्च करना कोई बहादुरी का काम नहीं
सिटी मजिस्ट्रेट शिवांगी जोशी इस शादी से कई संदेश देना चाहती थीं। सबसे पहले तो वो अपनी इस शादी से दहेज जैसी कुप्रथा रोकने का संदेश देना चाहती थीं, वहीं वह लोगों को ये भी समझाना चाहती थीं कि शादियों में फिजूलखर्च करना कोई बहादुरी का काम नहीं है, इससे लड़की के परिवार पर बोझ पड़ने के साथ साथ पैसों का दुरुपयोग भी होता है, इस फिजूलखर्ची से अच्छा है कि उन पैसों को किसी नेक काम में लगाया जाए।