Chandra Grahan 2025: साल का दुसरा चंद्र ग्रहण रात 9.58 पर होगा शुरू, जानें समय और तारीख

punjabkesari.in Sunday, Aug 24, 2025 - 01:10 PM (IST)

नारी डेस्क : वर्ष 2025 में दूसरा चंद्र ग्रहण भाद्रपद माह की पूर्णिमा के दिन पड़ने वाला है। भाद्रपद पूर्णिमा से ही पितृपक्ष की भी शुरुआत होती है। यह ग्रहण खास इसलिए है क्योंकि यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और भारत में पूरी तरह से दिखाई देगा। भारत में दिखने के कारण इसका सूतक काल भी मान्य होगा। आइए विस्तार से जानते हैं।

चंद्र ग्रहण कब लगेगा

वर्ष 2025 का दूसरा और बेहद खास चंद्र ग्रहण 7 सितंबर, रविवार को पड़ने वाला है। यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जिसकी शुरुआत रात 9 बजकर 58 मिनट पर होगी और यह ग्रहण धीरे-धीरे अपनी पूर्ण अवस्था तक पहुंचेगा। पूरी प्रक्रिया लगभग साढ़े तीन घंटे चलेगी और अंत में यह ग्रहण रात 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। इस अवधि के दौरान चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में ढक जाएगा और अपने प्राकृतिक चमकदार सफेद रंग के बजाय गहरे लाल और तांबे जैसे रंग का दिखाई देगा। इसी अद्भुत नजारे को वैज्ञानिक और खगोलविद ब्लड मून कहते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब सूर्य की किरणें पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरती हैं, तो वे मुड़कर केवल लाल रंग की रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचाती हैं। इस दिन लोगों को आकाश में एक बहुत ही दुर्लभ और खूबसूरत दृश्य देखने का अवसर मिलेगा, जिसे नंगी आंखों से भी आसानी से देखा जा सकेगा। यह घटना भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में नजर आएगी और धार्मिक व वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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भारत में कब से रहेगा सूतक काल?

भारत में यह चंद्र ग्रहण पूरी तरह दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य होगा। शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण से ठीक 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। ऐसे में 7 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से सूतक काल आरंभ हो जाएगा और यह अवधि ग्रहण समाप्त होने तक यानी रात 1 बजकर 26 मिनट तक चलेगी। इस दौरान मंदिरों के पट बंद कर दिए जाएंगे और किसी भी तरह के शुभ कार्य, पूजा-पाठ या भोजन बनाना और खाना वर्जित रहेगा।

कहां-कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण?

यह पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत में पूरी तरह से दिखाई देगा और देश के लगभग सभी बड़े शहरों में इसे नंगी आंखों से आसानी से देखा जा सकेगा। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, लखनऊ, बेंगलुरु, गोवा जैसे प्रमुख शहरों में लोग इस अद्भुत नजारे का आनंद ले सकेंगे। इसके साथ ही दुनिया के अन्य हिस्सों में भी यह खगोलीय घटना नजर आएगी, जहां आकाश साफ रहेगा वहां लोग लाल चमकते हुए ब्लड मून को देख पाएंगे।

साल के दूसरे चंद्र ग्रहण का असर

ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि वर्ष 2025 का यह दूसरा चंद्र ग्रहण कई तरह के प्रभाव छोड़ सकता है। कहा जा रहा है कि इस अवधि में प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बढ़ सकती है, कुछ स्थानों पर आगजनी की घटनाएं हो सकती हैं और युद्ध जैसी परिस्थितियां भी उत्पन्न हो सकती हैं। इसके साथ ही, गंभीर बीमारियों के फैलने का खतरा भी बना रहेगा। हालांकि, सकारात्मक पक्ष यह है कि इस ग्रहण के समय चंद्रमा पर गुरु की शुभ दृष्टि पड़ रही है, जिसके कारण नकारात्मक प्रभाव धीरे-धीरे कम हो जाएंगे और परिस्थितियां संतुलन की ओर बढ़ेंगी।

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सूतक काल में किन बातों का रखें ध्यान?

चंद्र ग्रहण के दौरान लगने वाले सूतक काल में कई धार्मिक नियमों का पालन करना आवश्यक माना जाता है। इस समय पूजा-पाठ और किसी भी तरह के शुभ कार्य करना वर्जित होता है। न तो भोजन पकाना चाहिए और न ही भोजन करना चाहिए। ग्रहण की शुरुआत से पहले ही मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं और विवाह, गृह प्रवेश या किसी नए कार्य की शुरुआत जैसी शुभ गतिविधियां टाल दी जाती हैं। गर्भवती महिलाओं को इस समय विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है, ताकि नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सके। 

धार्मिक मान्यताएं और उपाय

शास्त्रों के अनुसार ग्रहण का समय अशुभ माना जाता है क्योंकि इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। यही कारण है कि लोग इस अवधि में पूजा-पाठ से दूर रहते हैं, लेकिन हनुमान चालीसा का पाठ, गीता का पाठ और मंत्र जाप करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। कई श्रद्धालु इस समय उपवास रखते हैं और ग्रहण की समाप्ति के बाद स्नान करके घर की शुद्धि करते हैं। इसके साथ ही भगवान की विधिवत पूजा करना शुभ फल प्रदान करने वाला माना जाता है।

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पितृपक्ष और चंद्र ग्रहण का संबंध

इस वर्ष 7 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है, लेकिन संयोग ऐसा है कि इसी दिन रात को पूर्ण चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। बता दे कि ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से ही प्रारंभ हो जाएगा, इसलिए उसके बाद श्राद्ध, तर्पण या किसी भी धार्मिक कार्य को करना वर्जित माना जाएगा। ऐसे में पितरों का तर्पण और श्राद्ध केवल दोपहर 12:57 बजे से पहले ही करना उचित रहेगा। इस तरह, उस दिन पूर्वाह्न का समय ही पितृकर्मों के लिए शुभ और मान्य होगा।

इस तरह, 7 सितंबर 2025 का दिन धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण रहेगा। उस दिन पितृपक्ष की शुरुआत भी होगी और रात को आकाश में अद्भुत लाल चंद्रमा का नजारा भी देखने को मिलेगा।
 


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Content Writer

Vandana

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