Breast Feeding से जुड़े मिथक के ये जाल कर रहे हैं मांओं को गुमराह

punjabkesari.in Thursday, May 11, 2023 - 11:04 AM (IST)

ब्रेस्टफीडिंग एक प्राकृतिक तरीका है जिसके माध्यम से एक मां अपने बच्चे को अपना दूध पिलाती है, जिससे नवजात शिशु को पोषक तत्व, तरल पदार्थ और यहां तक कि रोगों के खिलाफ एंटीबॉडी भी मिलती है। इसलिए ब्रेस्टफीडिंग पूरी तरह से हेल्दी प्रैक्टिस है जो एक बच्चे को जीवन में सबसे अच्छी शुरुआत प्रदान करने में मदद करता है। World Health Organization(WHO) और दुनिया भर के सभी विशेषज्ञ भी यही सलाह देते हैं कि सभी मांओं को अपने नवजात शिशु को उसके जन्म से लेकर कम से कम 6 महीने तक BreastFeeding के जरिए सिर्फ अपना दूध ही पिलाना चाहिए। वैसे तो ब्रेस्टफीडिंग पूरी तरह से हेल्दी प्रैक्टिस है बावजूद इसके ब्रेस्टफीडिंग को लेकर लोगों के मन में कई तरह की गलत धारणाएं हैं। इन मिथकों को पूरी तरह से दूर करने के लिए नई मांओं को उचित परामर्श देने और जागरूकता कार्यक्रमों को शुरू करने की जरूरत है।  यहां हम आपको ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े सबसे कॉमन Myths के बारे में बता रहे हैं .....

Myth 1: ब्रेस्टफीडिंग करवाते हुए निप्पल्स में दर्द होना आम बात है।

सच: यूनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रेन्स फंड (यूनिसेफ) के मुताबिक नई मांओं के लिए शुरुआती कुछ दिनों में बच्चे को स्तनपान कराते समय थोड़ी बहुत असहजता महसूस होना सामान्य सी बात है। इतना ही नहीं, जब बच्चे के दांत आने लगते हैं तो निप्पल्स में सूजन, दर्द और खून आना भी पूरी तरह से नेचुरल है। लेकिन इसके अलावा और किसी कारण से स्तनपान कराते समय दर्द नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो इसका मतलब है कि आप बच्चे को गलत पोजिशन में रखकर दूध पिला रही हैं या फिर शिशु निप्पल्स को सही तरीके से अटैच नहीं कर पा रहा है। इन दोनों समस्याओं को हल किया जा सकता है। इसके लिए आप चाहें तो किसी नर्स, डॉक्टर या अनुभवी मां से सही रास्ता दिखाने के लिए मदद मांग सकती हैं।

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Myth 2: जब मां बीमार हो तो वह ब्रेस्टफीट नहीं करवा सकती।

सच: मांएं आमतौर पर तब भी बच्चे को ब्रेस्टफीड करवा सकती हैं जब वे बीमार हों। हालांकि जरूरी ये है कि आप बीमार होने पर डॉक्टर से परामर्श लें और बीमारी का उचित इलाज करवाएं। मास्टिटिस से लेकर हेपेटाइटिस तक, सभी बीमारियों में यही स्थिति है क्योंकि विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इस बीमारी से लड़ने के लिए मां के शरीर में जिस एंटीबॉडी का विकास होता है वह ब्रेस्टफीडिंग के जरिए बच्चे को भी मिल जाती है जिससे बच्चे की इम्यूनिटी उस बीमारी के प्रति बेहतर होती है।

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Myth 3 : बहुत सी मांओं के लिए पर्याप्त दूध बनाना मुश्किल होता है। 
सच :  
यूनिसेफ (UNICEF) के मुताबिक, अधिकांश मांएं अपने शिशु के लिए सही मात्रा में दूध का उत्पादन करती हैं, लेकिन अगर आपको लगता है कि आप पर्याप्त दूध का उत्पादन नहीं कर पा रही हैं तो यह इन 3 कारणों में से एक की वजह से हो सकता है- नवजात शिशु निप्पल्स से सही तरीके से अटैच नहीं हुआ है, हर बार दूध पिलाने के दौरान शिशु पर्याप्त और पुरा दूध खत्म नहीं कर पा रहा है या फिर ब्रेस्टफीडिंग करवाने की फ्रीक्वेंसी सही नहीं है। डॉक्टर  इन तीनों समस्याओं से आपको निकालने और यह सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं कि आप पर्याप्त दूध का उत्पादन कर रही हैं।

Myth 4: ब्रेस्टफीडिंग करवाने के दौरान भी आप गर्भवती हो सकती हैं।
सच:
ब्रेस्टफीडिंग गर्भनिरोधक के विश्वसनीय तरीके के रूप में काम नहीं करता। अमेरिकन अकैडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (एएपी) की मानें तो वैसे तो ब्रेस्टफीडिंग कुछ महिलाओं में ऑव्यूलेशन को रोकता है, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि आप गर्भवती नहीं हो सकतीं। इसकी जगह आपको अपने डॉक्टर से पूछकर गर्भनिरोध का कोई बेहतर तरीका अपनाना चाहिए और ब्रेस्टफीडिंग करवाते समय ऐस्ट्रोजेन युक्त गर्भनिरोधक गोली का सेवन नहीं करना चाहिए।

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नोट- ब्रेस्टफीडिंग  से जुड़ी बेहतर सलाह के लिए एक्सपर्ट से राय लें।


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Content Editor

Charanjeet Kaur

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