मशहूर संगीतकार 'खय्याम साहब' ने 92 साल में दुनिया को कहा अलविदा

punjabkesari.in Tuesday, Aug 20, 2019 - 01:24 PM (IST)

सोमवार को बॉलीवुड इंडस्ट्री के मशहूर संगीतकार मोहम्मद जहूर खय्याम 92 साल की उम्र में इस दुनिया व संगीत प्रेमियों को अलविदा कह गए हैं। खय्याम साहब ने उमराव जान', 'बाज़ार', 'कभी-कभी', 'नूरी', 'त्रिशूल' जैसी मशहूर फिल्मों में अपने संगीत दिए है। काफी लंबे समय से वह बीमार चल रहे थे वहीं दस दिन पहले जुहू में स्थित सुजय अस्पताल में फेफड़ों की बीमारी के कारण उन्हें भर्ती करवाया गया था। यहीं पर उन्होंने अपने अंतिम सांस लिए। उनके निधन से पूरी बॉलीवुड इंडस्ट्री में शौक की लहर दौड़ गई हैं। आज हम आपको इनके जीवन के सफर से रुबरु करवाएंगें। 

कलाकारों के लिए बनाया था ट्रस्ट 

 दो साल पहले अपने 90 वें जन्मदिन पर इन्होंने बॉलीवुड व कलाकारों को तोहफा देते हुए एक ट्रस्ट् की शुरुआत की थी। जिसमें उन्होंने अपनी जीवन भर की कमाई तकरीबन 12 करोड़ रुपए ट्रस्ट को दिए थे। जिसके तहत जरुरतमंद कलाकारों की मदद की जाएगी। वहीं गजल गायक तलत अजीज व उनकी पत्नी बीना इसकी मुख्य ट्रस्टी होगी। 

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पंजाब से रखते है संबंध 

खय्याम साहब ने अपने करियर की शुरुआत 1947 में की थी। इनका जन्म पंजाब के नवांशहर में हुआ था। इन्होंने अपने जीवन में कई तरह की मुश्किलों का सामना किया हैं। बचपन में उनके घर में तालीम के साथ देश प्रेम, मेहनत, ईमानदारी से काम करने को बहुत ही एहमियत दी जाती थी।  दूसरे विश्वयुद्ध में उन्होंने एक सिपाही के तौर पर अपनी सेवाएं दी थी। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वह केएल सहगल से प्रेरित होकर हीरो बनना चाहते थे। तब उनके कस्बे में सिनेमाहाल नही हुआ करता था इसलिए जब हफ्ते में आधा छुट्टी मिलती थी तो वह जालंधर शहर आकर फिल्म देखा करते थे। इतना ही नही छुप छुप कर फिल्में देखने के कारण एक बार उनके घर वालों ने उन्हें घर से निकाल दिया था। जब वह मुंबई आए तो उनके गुरु संगीतकार हुस्नलाल भगतराम ने उन्हें प्लेबैक सिंगिग का मौका दिया था। तब उनके को सिंगर जोहरा जी व कलाम फैज अहमद फैज का था। तब उनकी पहली कमाई 200 रूपए थी। उसके बाद उनका सिंगिग करियर शुरु हुआ। तब उन्होंने कभी- कभी, उमराव जान, त्रिशूल, नूरी, बाजार, रजिय सुल्तान जैसी फिल्मों के संगीत को अपनी आवाज दी। 

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मिल चुके है यह आवार्ड

खय्याम साहब को पद्म भूषण व संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार देकर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके बाद 1977 में कभी- कभी, 1982 में उमराव जान के लिए बेस्ट म्यूजिक का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया। 

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जब यश चोपड़ी की फिल्म के म्यूजिक ने की जुबली 

खय्याम साहब जितने भी गाने गाते वह हिट जरुर होते लेकिन कोई भी जुबली नही कर पाते थे। ऐसे में जब यश चोपड़ा उनके साथ मिलकर म्यूजिक करना चाहते थे तो इंडस्ट्री के  बहुत से लोगों ने उन्हें करने से मना किया था। उनका मानना था कि खय्याम साहब बदकिस्मत हैं। यह बात यश चोपड़ा जी ने खय्याम साहब को भी बताई थी। इसके बाद न केवल यश चोपड़ा ने उनके साथ म्यूजिक किया बल्कि वह फिल्म डबल जुबली भी कर गई।

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जब आशा जी ने दी थी कसम 

जब उमराव जान फिल्म का संगीत तैयार हो रहा था तब उनके सामने पाकीजा फिल्म की मिसाल दी जाती थी। तब उन्होंने आशा जी से गीत रिकॉर्ड करवाने के लिए बहुत ही नीचा सुर रख लिया था। तब उन्होंने आशा जी के कहने पर प्रदीप की कसम खा कर  कहा कि वह उनकी आवाज में भी एक टेक जरुर लेगें लेकिन उससे पहले वह उनके हिसाब से रिकॉर्ड कर लें। 

 


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Content Writer

khushboo aggarwal

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