"बस जरा भी दया नहीं बची..." आवारा कुत्तों को लेकर कोर्ट के फैसले पर भड़का बॉलीवुड
punjabkesari.in Tuesday, Aug 12, 2025 - 04:36 PM (IST)

नारी डेस्क: टीवी से लेकर बॉलीवुड सेलिब्रिटी ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसमें दिल्ली-एनसीआर की सड़कों से सभी आवारा कुत्तों को हटाकर आश्रय स्थलों में भेजने का आदेश दिया गया है। जान्हवी कपूर और वरुण दोनों ने इंस्टाग्राम स्टोरीज़ पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें इस फैसले को "सभी कुत्तों के लिए मौत की सजा" बताया गया है। वहीं रवीना टंडन और 'अनुपमा' फेम रुपाली गांगुली ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
जान्हवी और वरुण द्वारा शेयर किए गए पोस्ट में बताया गया था कि शहर में रोजमर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा माने जाने वाले ये जानवर अगर आश्रय स्थलों में बंद कर दिए जाएं, तो अपनी "धूप", "आज़ादी" और अपनेपन का माहौल खो देंगे। वे इसे खतरा कहते हैं। हम इसे धड़कन कहते हैं। ये सिर्फ़ "आवारा कुत्ते" नहीं हैं। ये वो हैं जो आपकी चाय की दुकान के बाहर बिस्कुट के लिए इंतज़ार करते हैं। ये दुकानदारों के लिए रात में चुपचाप पहरेदार हैं। ये वो पूंछ हैं जो बच्चों के स्कूल से लौटने पर हिलती हैं। ये एक ठंडे, बेपरवाह शहर में गर्मी हैं। हां, काटने की समस्याएं हैं सुरक्षा की चिंताएँ हैं, लेकिन जानवरों के पूरे समुदाय को पिंजरे में बंद करना कोई समाधान नहीं है; यह उन्हें मिटाने जैसा है," ।
वहीं टीवी एक्ट्रेस रुपाली गांगुली ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की आलोचना करते हुए लिखा-, 'हमारी परंपराओं में कुत्ते भैरव बाबा के मंदिर की रखवाली करते हैं और अमावस्या पर आशीर्वाद के लिए उन्हें खाना खिलाया जाता है। वे हमारी गलियों में पले-बढ़े हैं, दुकानों की रखवाली करते हैं, हमारे दरवाजों के बाहर इंतजार करते हैं, चोरों को भगाते हैं। अगर हम उन्हें अभी हटा दें तो असली खतरा आने से पहले ही हम अपने रक्षकों को खो देंगे। जैसे आग लगने से पहले अलार्म बंद कर देना। वे आवारा नहीं हैं। उनकी देखभाल करें। उन्हें टीका लगाएं। उन्हें खाना खिलाएं और उन्हें वहीं रहने दें, जहां वे हैं। जो समाज अपने बेजुबानों की रक्षा नहीं कर सकता, वह अपनी आत्मा खो रहा है। आज कुत्ते हैं। कल... कौन होगा? अपनी आवाज उठाएं। क्योंकि उनके पास आवाज ही नहीं है।'
इसके अलावा रवीना टंडन ने लोकल अधिकारियों पर आवारा जानवरों की नसबंदी के लिए ठीक से काम नहीं करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था- 'मुझे लगता है कि जहां इंडीज की आबादी बढ़ी है, वहां सच कहूं तो इन बेचारे कुत्तों को दोष नहीं दिया जा सकता है। इसका मतलब है कि लोकल यूनिट्स टीकाकरण और नसबंदी अभियान नहीं चला रहे हैं।
सोमवार को, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि सभी इलाकों को आवारा कुत्तों से मुक्त किया जाना चाहिए और इसमें कोई समझौता नहीं होना चाहिए। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि पकड़े गए किसी भी जानवर को वापस सड़कों पर नहीं छोड़ा जाएगा। पीठ ने उन सभी व्यक्तियों या संगठनों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही का भी आदेश दिया जो अधिकारियों को आवारा कुत्तों को पकड़ने के अभियान में बाधा डालने का प्रयास करते हैं। शीर्ष अदालत ने राज्यों और नगर निगम अधिकारियों को कुत्तों के लिए आश्रय स्थल बनाने का भी निर्देश दिया, जहाँ कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए पर्याप्त कर्मचारी हों।