सावधान! इन Blood Group वालो को कैंसर अपना शिकार जल्दी बना लेता है

punjabkesari.in Thursday, Nov 06, 2025 - 10:08 AM (IST)

नारी डेस्क: पेट के कैंसर (स्टमक कैंसर) के जोखिम कारकों की सूची में अब एक नया और अप्रत्याशित नाम जुड़ गया है – आपका ब्लड ग्रुप। अब तक इस घातक बीमारी को मुख्य रूप से अस्वास्थ्यकर खानपान, मोटापा, तंबाकू और शराब की लत जैसे जीवनशैली से जुड़े कारकों से जोड़ा जाता रहा है। लेकिन हाल ही में हुए कई अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों ने एक ऐसा पहलू सामने लाया है जिसने चिकित्सा जगत को चौंका दिया है। विशेषज्ञों का दावा है कि व्यक्ति का रक्त समूह (ब्लड ग्रुप) उसके पेट के कैंसर के जोखिम को प्रभावित कर सकता है। खासकर एशिया और पूर्वी यूरोप के देशों में किए गए शोधों में यह बात साफ तौर पर सामने आई है कि कुछ विशिष्ट ब्लड ग्रुप वाले लोगों में इस बीमारी का खतरा अन्य लोगों की तुलना में काफी अधिक होता है।

ब्लड ग्रुप का निर्धारण: विरासत में मिली पहचान

हर इंसान का ब्लड ग्रुप उसके माता-पिता से वंशानुगत रूप से प्राप्त होता है, जिसे जीन्स के माध्यम से आगे बढ़ाया जाता है। मुख्य रूप से चार प्रकार के ब्लड ग्रुप होते हैं – A, B, AB और O। इन ग्रुपों की पहचान हमारी लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) की सतह पर मौजूद विशिष्ट प्रकार के प्रोटीन अणुओं, जिन्हें एंटीजन (Antigens) कहा जाता है, और कुछ शर्करा अणुओं (Sugar Molecules) के आधार पर की जाती है। इनके अलावा, प्रत्येक ब्लड ग्रुप के साथ Rh फैक्टर (Rhesus Factor) भी जुड़ा होता है, जो पॉजिटिव (+) या नेगेटिव (-) हो सकता है। यह Rh फैक्टर भी एक प्रकार का प्रोटीन है जो लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर मौजूद होता है या नहीं। इस प्रकार, किसी व्यक्ति का ब्लड ग्रुप A+, B-, O+, AB- आदि हो सकता है।

अध्ययनों में चौंकाने वाला सच

कई देशों में किए गए अध्ययनों, विशेषकर एशिया और पूर्वी यूरोप में हुए शोधों में एक स्पष्ट पैटर्न सामने आया है। इन अध्ययनों के अनुसार, ब्लड ग्रुप A और AB वाले लोगों को पेट के कैंसर का खतरा अन्य ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में काफी अधिक होता है। इन शोधों में बड़ी संख्या में कैंसर रोगियों और स्वस्थ लोगों के ब्लड ग्रुप की तुलना की गई, जिसमें यह संबंध स्पष्ट रूप से देखा गया। वहीं, ब्लड ग्रुप O वाले लोगों में पेट के कैंसर का जोखिम सबसे कम पाया गया है। ब्लड ग्रुप B वालों का जोखिम A/AB से कम लेकिन O से अधिक हो सकता है, हालांकि इस पर अध्ययनों में कम जोर दिया गया है। यह खोज इस बात की ओर इशारा करती है कि ब्लड ग्रुप पेट के कैंसर के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

खतरे के पीछे के वैज्ञानिक कारण

वैज्ञानिकों ने ब्लड ग्रुप A और AB वालों में अधिक जोखिम के पीछे कुछ संभावित तंत्रों की पहचान की है। प्रमुख कारण हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. pylori) नामक बैक्टीरिया का संक्रमण है। यह बैक्टीरिया पेट के कैंसर का सबसे बड़ा ज्ञात जोखिम कारक है। शोध बताते हैं कि ब्लड ग्रुप A वाले लोगों की पेट की अंदरूनी सतह (लाइनिंग) पर मौजूद एंटीजन H. pylori बैक्टीरिया के लिए एक तरह का 'एंकर' या 'चिपकने वाला स्थान' का काम करते हैं। इससे यह बैक्टीरिया आसानी से पेट की दीवारों से चिपक जाता है और संक्रमण फैलाता है। यह संक्रमण पेट में लगातार सूजन (क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन) पैदा करता है, जो धीरे-धीरे कैंसर में बदल सकता है। दूसरा कारण इम्यून सिस्टम और सूजन पर असर है। ब्लड ग्रुप A और AB में पाए जाने वाले विशिष्ट एंटीजन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) की प्रतिक्रिया और सूजन पैदा करने की प्रक्रिया (इन्फ्लेमेटरी रिस्पांस) को बदल सकते हैं। यह बदलाव कैंसर कोशिकाओं के विकास और फैलने के लिए अनुकूल माहौल तैयार कर सकता है। तीसरा महत्वपूर्ण कारण पेट में एसिड का कम उत्पादन है। अध्ययनों से पता चला है कि ब्लड ग्रुप A वाले लोगों के पेट में पाचन एसिड (गैस्ट्रिक एसिड) का स्तर कम होता है। पेट का एसिड न केवल भोजन को पचाने में मदद करता है, बल्कि H. pylori जैसे हानिकारक बैक्टीरिया को मारने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब एसिड कम होता है, तो बैक्टीरिया आसानी से बढ़ते हैं और संक्रमण व सूजन का खतरा बढ़ जाता है, जो लंबी अवधि में कैंसर का कारण बन सकता है।

O ब्लड ग्रुप: कम जोखिम, पर अल्सर का सावधान

अध्ययनों के अनुसार, ब्लड ग्रुप O वाले लोगों को पेट के कैंसर का खतरा सबसे कम होता है। इसका मुख्य कारण यह है कि इन लोगों की पेट की सतह पर मौजूद एंटीजन H. pylori बैक्टीरिया को आसानी से चिपकने नहीं देते। इससे बैक्टीरिया का संक्रमण कम होता है और कैंसर का जोखिम भी कम हो जाता है। हालांकि, विशेषज्ञ एक बात पर जोर देते हैं कि O ब्लड ग्रुप वालों को पेप्टिक अल्सर (पेट का छाला) का खतरा थोड़ा अधिक रह सकता है। इसके बावजूद, कैंसर के विकास का जोखिम उनमें सबसे कम पाया गया है। यह बात यह दर्शाती है कि ब्लड ग्रुप अलग-अलग प्रकार के पेट रोगों के जोखिम को अलग-अलग तरीके से प्रभावित कर सकता है।

ज्यादा सावधानी की जरूरत A और AB ब्लड ग्रुप वाले

विशेषज्ञों का स्पष्ट संदेश है कि जिन लोगों का ब्लड ग्रुप A या AB है, उन्हें पेट से जुड़ी किसी भी समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए। इन लोगों को लगातार पेट में दर्द, भूख न लगना, खाना खाने के तुरंत बाद पेट भर जाना, बिना किसी कारण वजन घटना, उल्टी या खून की उल्टी, काला या टैरी रंग का मल आना जैसे लक्षणों पर विशेष ध्यान देना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर इन लोगों के परिवार में किसी को पहले पेट का कैंसर रहा हो, तो उनके लिए नियमित स्वास्थ्य जांच (रेगुलर चेकअप) कराना और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है। डॉक्टर से परामर्श करके उचित जांचें जैसे एंडोस्कोपी या H. pylori जांच कराने से बीमारी का शीघ्र पता लगाया जा सकता है, जिससे इलाज अधिक प्रभावी हो सकता है।

बचाव के उपाय: स्वस्थ जीवनशैली ही सबसे बड़ा हथियार

ब्लड ग्रुप एक जोखिम कारक है, लेकिन यह नियति नहीं है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर और सावधानी बरतकर पेट के कैंसर के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। सबसे पहले, साफ पीने का पानी पीने से पेट के संक्रमण का खतरा कम होता है। संतुलित और पौष्टिक आहार लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है; ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दालें और दही जैसे खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करें। जब्ती, प्रोसेस्ड, ज्यादा तला हुआ, अचार और अधिक नमक या मसाले वाले खाद्य पदार्थों के सेवन को सीमित करें। धूम्रपान और शराब से पूरी तरह दूरी बनाना सबसे जरूरी कदम है। वजन नियंत्रित रखें और मोटापे को दूर करें। नियमित व्यायाम करें और सक्रिय जीवनशैली अपनाएं। अगर आपको लगातार पेट में कोई परेशानी हो, तो H. pylori की जांच जरूर कराएं और अगर संक्रमण पाया जाए तो उसका पूरा इलाज कराएं। सबसे महत्वपूर्ण, नियमित स्वास्थ्य जांच कराते रहें, खासकर अगर आप उच्च जोखिम वाले समूह (A/AB ब्लड ग्रुप, पारिवारिक इतिहास, उम्रदराज) में आते हैं। याद रखें, जागरूकता और सावधानी ही इस घातक बीमारी से बचाव की पहली कुंजी है।
  

 


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Content Editor

Priya Yadav

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