भूत-प्रेत नहीं भूमि दोष के कारण भी होती है घर में अजीब घटनाएं, लड़ाई-झगड़े हैं इसका पहला संकेत
punjabkesari.in Sunday, Nov 16, 2025 - 03:19 PM (IST)
नारी डेस्क: कई बार बिना किसी वजह के नौकरी रुक जाती है, काम ठप्प पड़ जाता है, पैसे आने से पहले ही खर्चे बढ़ जाते हैं और घर में लगातार झगड़े होते रहते हैं। अगर ऐसी परेशानियां बार-बार हों, तो यह सिर्फ किस्मत या मेहनत की कमी नहीं बल्कि भूमि दोष भी हो सकता है। भूमि दोष मतलब ऐसी जगह या जमीन पर घर/दुकान होना जहां ऊर्जा संतुलित नहीं होती। वैदिक वास्तु के अनुसार असंतुलित भूमि व्यक्ति की आर्थिक, मानसिक और पारिवारिक उन्नति रोक सकती है।

भूमि दोष की पहचान
काफी मेहनत करने के बावजूद बिज़नेस में फायदा न होना भूमि दोष का पहला संकेत माना जाता है। अक्सर ऐसी जगहों का ऊर्जा-चक्र कमजोर होता है। इंटरव्यू अच्छे होते हैं, पर चयन नहीं होता या नौकरी में बार-बार प्रॉब्लम आती हैये भी भूमि के नकारात्मक प्रभाव से जुड़ा माना जाता है। अगर घर के अधिकतर सदस्य थकान, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, छोटी-छोटी बीमारियां से जूझ रहे हों, तो भूमि ऊर्जा कमजोर होती है।
परिवार में लगातार झगड़े और रिश्तों में तनाव
बिना कारण झगड़े होना, बहस बढ़ना और घर में शांति न रहना भूमि दोष का असर बताता है। कार, प्रॉपर्टी या बिज़नेस में अचानक बड़ा नुकसान या बेवजह कोर्ट-कचहरी के झंझट ये संकेत दर्शाते हैं कि जमीन शुभ नहीं है।
भूमि दोष के कारण
गलत दिशा में घर/दुकान बनना, जमीन का असमान या गड्ढेदार होना, पहले उस भूमि पर अस्पताल, युद्ध, अकाल मृत्यु जैसी ऊर्जा रहना, जमीन पर जीवनोपयोगी सुविधाओं की कमी, पास में श्मशान/कब्रिस्तान/गंदगी या भारी बिजली के खंभे यह सब ऊर्जा को बाधित कर देता है।

भूमि दोष दूर करने के खास उपाय
घर के मुख्य द्वार पर दीपक, स्वस्तिक, समुद्री नमक पानी से पोछा लगाने से नकारात्मकता कम हाेती है। सुबह-शाम घर में धूप, कपूर या गुग्गुल जलाएं। साथ में “ॐ नमः शिवाय” या “गायत्री मंत्र” 11 बार जप करें। तुलसी या पीपल की सकारात्मक ऊर्जा भूमि के दोष को कम करती है। घर या दुकान के उत्तर और पूर्व को खुला रखें, ये दिशाएं प्रगति और आय की दिशा मानी जाती हैं। इनका blocked होना आर्थिक रुकावटें लाता है।
भूमि पूजन या वास्तु शांति
जमीन बहुत भारी दोष वाली लगे तो वास्तु शांति कराया जा सकता है। ध्यान रखें कि भूमि दोष कोई मंत्र–तंत्र वाली बात नहीं है। यह ऊर्जा संतुलन की अवधारणा है जहां ऊर्जा अच्छी, वहां काम बढ़ता है। जहां ऊर्जा कमजोर, वहां प्रगति रुकती है।

