क्या मछली के स्पर्म से बना इंजेक्शन सच में बढ़ाता है खूबसूरती? आया हैरान करने वाला नया ट्रेंड
punjabkesari.in Tuesday, Dec 02, 2025 - 05:55 PM (IST)
नारी डेस्क : इंसान खूबसूरत बनने के लिए क्या-क्या नहीं करता। चेहरे पर ग्लो और त्वचा को जवां बनाए रखने के लिए लोग लगातार नए-नए ब्यूटी ट्रेंड अपनाते जा रहे हैं। अब ट्रेंड में है ट्राउट या साल्मन मछली के स्पर्म से बने इंजेक्शन, जिसे पॉली-न्यूक्लियोटाइड्स कहा जाता है। पश्चिमी देशों में यह उपचार बेहद तेजी से लोकप्रिय हो रहा है और लोग इसे “स्किन रिवाइवल थेरेपी” की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।

इस ट्रीटमेंट में एस्थेटिक क्लीनिक में एक पतली-सी कैनुला गाल के नीचे डाली जाती है, जिससे मछली के स्पर्म से निकाले गए डीएनए (DNA) फ्रैगमेंट त्वचा में पहुंचाए जाते हैं। इसके बाद स्किन की कोशिकाएं सक्रिय होकर कोलेजन और इलास्टिन बनाने लगती हैं, जो त्वचा को मजबूत, टाइट और युवा जैसे लुक देती हैं।
आखिर इस थेरेपी की जरूरत क्यों?
सबसे दिलचस्प बात यह है कि मानव और मछली का डीएनए काफी हद तक मिलता-जुलता है, इसी वजह से माना जाता है कि शरीर इसे आसानी से स्वीकार कर लेता है।
इसके फायदे: त्वचा में कोलेजन का स्तर बढ़ता है।
इलास्टिन उत्पादन बढ़ता है।
स्किन टाइट, स्मूद और रिफ्रेश महसूस होती है।
एक्ने के निशान हल्के होते हैं।
यह थेरेपी खासतौर पर उन लोगों में लोकप्रिय है जो बोटॉक्स और फिलर्स का विकल्प ढूंढ रहे हैं।

एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
कई देशों में इस ट्रेंड को “स्किन का चमत्कार” तक कहा जा रहा है। कुछ सेलिब्रिटीज, जैसे ब्रिटिश पॉप स्टार चार्ली XCX, भी इसकी खुलकर तारीफ कर चुकी हैं और इसे “डीप स्किन विटामिन्स” जैसा बताते हैं। स्किन एक्सपर्ट का कहना है कि यह तकनीक त्वचा को ऐसे रिफ्रेश करती है मानो उम्र उलटी दिशा में बढ़ रही हो। उनके अनुसार, यह स्किन रीजेनेरेशन में एक नई दिशा खोल रही है और शुरुआती परिणाम काफी प्रभावी दिख रहे हैं। शुरुआती रिसर्च में पाया गया है कि पॉली-न्यूक्लियोटाइड्स से झुर्रियों को कम करने में मदद कर सकते हैं, त्वचा को अधिक प्लंप और हेल्दी बना सकते हैं, फाइन लाइंस और डार्क स्पॉट्स को हल्का कर सकते हैं।
यें भी पढ़ें : लिवर खराब होने से पहले शरीर में दिखते हैं 4 संकेत, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी
कितना खर्च आता है?
यह सस्ता ट्रीटमेंट नहीं है।
एक सीजन की कीमत 200–500 पाउंड
कम से कम 3 सत्र जरूरी
इसके बाद हर 6–9 महीने में बूस्टर इंजेक्शन
मतलब, यह थेरेपी खूबसूरती तो बढ़ा सकती है, लेकिन जेब भी ढीली कर सकती है।
यें भी पढ़ें : मिल गया HIV का नया परमानेंट इलाज, अब दवाई से मिलेगा छुटकारा!
क्या यह वाकई सुरक्षित है? (साइड इफेक्ट्स)
कुछ रिसर्च इसे सेफ बताते हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स अभी भी सवाल उठा रहे हैं। ऑस्ट्रेलियाई स्किन एक्सपर्ट डॉक्टर कहते हैं की हम अभी नहीं जानते कि साल्मन डीएनए (DNA) के छोटे-छोटे टुकड़ों को इंजेक्ट करने से शरीर पर वही प्रभाव होता है, जैसा दावा किया जा रहा है। पर्याप्त वैज्ञानिक डेटा मौजूद नहीं है।

थेरेपी के साइड इफेक्ट्स
यह ट्रेंड सुनने में भले ही आकर्षक लगे, लेकिन इसके संभावित साइड इफेक्ट्स इसे जोखिम भरा बना देते हैं। ऐसे तरीकों से सूजन और हल्की लालिमा हो सकती है, एलर्जी का खतरा बढ़ जाता है और सबसे बड़ी बात इसके लंबे समय के प्रभाव अब तक स्पष्ट नहीं हैं। इसलिए किसी भी तरह का ऐसा ट्रेंड बिना डॉक्टर की सलाह के फॉलो करना आपकी त्वचा और सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
मछली के स्पर्म से बना यह इंजेक्शन ब्यूटी दुनिया का नया और विवादित ट्रेंड जरूर है, लेकिन इसके वैज्ञानिक सबूत अभी सीमित हैं। यह स्किन में सुधार ला सकता है, पर जोखिमों और खर्च दोनों के साथ। अगर इसे आज़माने का सोच रहे हैं, तो किसी अनुभवी स्किन विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहद जरूरी है।

