बांग्लादेश की पूर्व PM को सुनाई गई फांसी की सजा, शेख हसीना ने कहा—मेरी बात सुने बिना ही...
punjabkesari.in Monday, Nov 17, 2025 - 05:35 PM (IST)
नारी डेस्क : बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने के बाद उनका पहला बयान सामने आया है। हसीना ने इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया है और कहा कि यह निर्णय उनका पक्ष सुने बिना सुनाया गया है।
ICT ने हसीना को तख्तापलट के दौरान हत्याओं का दोषी माना
ICT ने माना कि 2024 में हुए सरकार-विरोधी प्रदर्शनों और तख्तापलट के दौरान हुई हत्याओं के लिए हसीना जिम्मेदार थीं। कोर्ट ने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष ने पिछले वर्ष 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर हुए घातक दमन को हसीना द्वारा निर्देशित सिद्ध किया है। पिछले साल 5 अगस्त को सरकार गिरने के बाद हसीना भारत में रह रही हैं। इसी दौरान ICT-BD ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया था। अब कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा सुना दी है।
“मुझे अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया गया” — शेख हसीना
सजा के बाद अपने बयान में हसीना ने कहा: “यह फैसला मेरा पक्ष सुने बिना दिया गया है। यह एक गैर-निर्वाचित सरकार द्वारा चलाए जा रहे ट्रिब्यूनल का निर्णय है, जिसके पास जनता का कोई जनादेश नहीं। यह पूरी तरह एकतरफा और राजनीति से प्रेरित फैसला है।” हसीना ने आरोप लगाया कि उन्हें न तो कोर्ट में अपनी बात कहने दी गई और न ही उन्हें वकील से प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला।
UN रिपोर्ट: 'जुलाई विद्रोह' में 1,400 मौतें
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, ‘जुलाई विद्रोह’ के दौरान लगभग 1,400 लोग मारे गए थे। ICT के मुताबिक, यह हिंसा सरकारी दमन के चलते हुई थी जिसके पीछे हसीना की भूमिका साबित हुई।
पूर्व गृह मंत्री को भी मौत की सजा: ICT ने पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान को भी फांसी की सजा दी है। वहीं एक पूर्व पुलिस अधिकारी को सरकारी गवाह बन जाने के बाद पांच साल की सजा सुनाई गई है।
हसीना का यूनुस सरकार पर गंभीर आरोप
हसीना ने अपनी प्रतिक्रिया में ‘यूनुस सरकार’ पर हमला बोलते हुए कहा-
इस ट्रिब्यूनल का इस्तेमाल राजनीतिक बदले के लिए किया जा रहा है
अवामी लीग को खत्म करने की कोशिश हो रही है
विपक्ष द्वारा की गई हिंसा को नजरअंदाज किया गया
यूनुस की सेना ने अवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हमला किया और उनके घरों व संपत्तियों को लूटा
उन्होंने कहा कि दुनिया का कोई भी “सम्मानित कानून विशेषज्ञ” ICT के इस फैसले का समर्थन नहीं करेगा।

