शुगर में सबसे लाभप्रद आसन है अर्धमत्स्येंद्रासन

punjabkesari.in Monday, Apr 27, 2015 - 12:38 PM (IST)

डायबिटीज के रोगियों में रक्त संचार की क्रिया अव्यवस्थित हो जाती है । खास कर हृदय से दूरस्थ अंगों को रक्त द्वारा पोषण नहीं मिल पाता है । ऐसे में वे अंग संवेदनहीन होकर नीले, हरे और भूरे हो जाते हैं । इससे बचने के लिए नियमित यौगिक क्रिया के अंतर्गत आने वाले पवन मुक्तासन समूह की गठिया निरोधक क्रिया और टहलना श्रेष्ठ व्यायाम साबित हो सकते हैं ।

ब्लड ग्लूकोज पर नियंत्रण

डायबिटीज के रोगी ब्लड ग्लूकोज का स्तर नियंत्रित रखें और पूरी देखभाल करें तो रोग उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता । जरूरत है पूरी ईमानदारी से खानपान, यौगिक आसन, प्राणायाम और टहलने की आदत डालने की । कई साल अगर रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ा रहे तो प्रत्येक अंग की छोटी रक्त नलिकाएं नष्ट हो जाती हैं, इसे माइक्रो एंजियोपैथी कहा जाता है । तंत्रिकातंत्र की खराबी, न्यूरोपैथी, गुर्दों की खराबी नेफरोपैथी व नेत्रों की खराबी, रेटीनोपैथी कहलाती है । इसके अलावा हृदय रोग की चपेट में आ सकते हैं । डायबिटीज के रोगियों को इस तरह की यौगिक क्रियाओं का चयन करना चाहिए, जो अग्नाशय, यकृत और पाचन संस्थान जैसे अंगों पर अनुकूल असर डालें और डायबिटीज से स्थायी रूप से छुटकारा दे सके । डायबिटीज रोगियों को सुबह-शाम कम से कम आधा घंटा टहलना आवश्यक है, क्योंकि दोनों वक्त शुगर लैवल नियंत्रण में रखना होगा ।

यौगिक क्रियाएं

अर्धमत्स्येंद्रासन शुगर में सबसे लाभप्रद आसन है । इससे इंसुलिन के स्राव में तेजी आती है । जरूरत है सही तरीके से 1 मिनट से प्रारंभ कर 5 मिनट तक बारी-बारी से दोनों तरफ से करने की । यौगिक क्रिया का अभ्यास धीरे-धीरे क्षमता के अनुसार सुबह और शाम करें ।

शौच के बाद

ऊं प्राणायाम - 5 बार । भस्त्रिका - 2 मिनट । कपालभाति - 5 से 10 मिनट । अनुलोम-विलोम - 5 से 10 मिनट । उज्जायी - 2 मिनट । भ्रामरी - 5 बार । फिर शवासन 5 मिनट । उसके बाद 20 मिनट से 30 मिनट टहलें । 10 मिनट आराम करें । फिर यौगिक आसन का अभ्यास करें । योग का अभ्यास विशेष रूप से विशेषज्ञ से सीखकर ही प्रारंभ करना चाहिए ।

- डा. नन्द कुमार झा 


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