इस वृक्ष में होता है भगवान विष्णु का साक्षात वास, मात्र दर्शन करने से ही मिट जाएंगे सारे कष्ट
punjabkesari.in Thursday, Oct 30, 2025 - 06:48 PM (IST)
अक्षय पुण्य फल प्रदान करने वाली आंवला नवमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष रुप से पूजा की जाती है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने की परंपरा बहुत प्राचीन है। हिंदू शास्त्रों में इसे पवित्र वृक्ष माना गया है, जो धर्म, स्वास्थ्य और समृद्धि तीनों का प्रतीक है।
आंवले के पेड़ की पूजा का क्या है महत्व
मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु का वास आंवले के वृक्ष में होता है, इसलिए आंवले के पेड़ की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि आंवला नवमी के दिन आंवला वृक्ष के नीचे भोजन करने और भोग लगाने से मनुष्य को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। आंवला को स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना गया है। इस दिन आंवले का सेवन करने से शरीर को विशेष लाभ मिलता है।
अक्षय पुण्य प्राप्ति का दिन
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, आंवला नवमी के दिन की गई पूजा, दान और व्रत का फल अक्षय (कभी नष्ट न होने वाला) होता है। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर विष्णु कथा सुनना या भोजन करना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पापों का नाश, संतान सुख और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। महिलाएं इस दिन आंवले के पेड़ की सात बार परिक्रमा करती हैं और सुखी वैवाहिक जीवन की प्रार्थना करती हैं। कई जगह पति-पत्नी साथ में पूजा करते हैं ताकि उनके घर में लक्ष्मी और विष्णु का वास बना रहे।
पूजा विधि
इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं। सुबह जल्दी स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं। यदि आंवले का वृक्ष उपलब्ध हो तो उसके नीचे पूजा करें। आंवला वृक्ष के पास दीप जलाकर, गंगाजल से पेड़ को स्नान कराएं। पूजन के लिए फूल, धूप, दीप, चंदन, रोली, मौली, नैवेद्य और आंवला फल का प्रयोग करें। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का भी विशेष महत्व है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को पुष्प अर्पण करें और दीप जलाकर आरती करें। पूजन के बाद आंवले के वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें और हाथ जोड़कर वृक्ष से आशीर्वाद प्राप्त करें।

