एयरलाइन्स ने कर दिया था रिजेक्ट फिर भी बन गई फर्स्ट कमर्शियल पायलट
punjabkesari.in Sunday, Mar 08, 2020 - 11:06 AM (IST)
भारत की पहली महिला कमर्शियल पायलट प्रेम माथुर ने यह साबित किया कि आसमान में उड़ने के लिए पंख नहीं हौंसले चाहिए। उन्हें हर कोई जानता न हो मगर जो उन्हें जानता है वो शायद भूला भी नहीं सकता है। उनके नाम खुद ही एक प्रेरणा है हर उस लड़की के लिए जो उड़ना चाहती है। जब कोई घर से बाहर कदम रखने के लिए साहस नहीं कर पाता था तब प्रेम घर से बाहर भी निकली और आसमान को चीरते हुए उड़ती चली गई।
कौन थी प्रेम माथुर ?
अलीगढ़ में जन्म लेने वाली लड़की जिसके 5 भाई-बहन थे। छोटी-सी उम्र में अपनी मां को खोने वाली प्रेम हमेशा से ही कुछ करना चाहती थी। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन कर उन्हें आगे बढ़ने की उम्मीद मिल गई।
क्यों चुना पायलट बनना ?
प्रेम के भाई एक फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर थे, उन्होंने कुछ पुराने हवाईजहाज खरीदें। कैप्टन अटल को फ्लाइट कही ले जाने की जिम्मेदारी दी गई और इस बीच प्रेम ने भी कहा की मैं भी जाउंगी। मगर भाई ने उन्हें डारने के लिए उन्हें फ्लाइट के अंदर बैठा तो लिया मगर वो तो काफी खुश नजर आई। कैप्टन अटल ने अगली राइड में उन्हें फ्लाइट का कण्ट्रोल दिया और वो बखूबी इस जिम्मेदारी को संभाल पाई। फिर कैप्टन अटल ने उन्हें खा कि 'तुम एक मज़बूत महिला हो, तुम पायलट बन सकती हो, तुम कोशिश क्यों नहीं करती?'
एयरलाइन्स ने कर दिया था रिजेक्ट
1947 में Allahabad Flying Club फ्लाइंग लाइसेंस तो ले लिया मगर एयरलाइन्स ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया। दरअसल, एक महिला को फ्लाइट की जिम्मेदारी देना एयरलाइन्स के लिए बहुत बड़ा फैसला था। मगर प्रेम ने हार नहीं मानी और कई जगह अपील की। वो हर बार लेटर लिखती और उन्हें यह जवाब मिलता था कि -'महिलाएं पुरुषों की भांति एमर्जेंसी सिचुएशन हैंडल नहीं कर सकतीं'
मिल गया आखिर में एक ऑफर
हैदराबाद से प्रेम को उनका पहला ऑफर मिल ही गया। 2 अक्टूबर, साल1953 को प्रेम ने इंडियन एयरलाइन्स में बतौर को-पायलट जॉइन किया। बतादें कि डेकेन एयरवेज़ में काम करने के दौरान उन्होंने इंदिरा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री और लेडी माउंटबैटन को भी फ्लाइट में सवारी करवाई।
यह कहानी थी भारत की फर्स्ट कमर्शियल पायलट की, न जाने ऐसी और कितनी महिलाएं है जिन्होंने पहली बार नया किया और अपना नाम बनाया। यही-नहीं उन्होंने और लड़कियों के लिए भी नए-नए रास्ते खोल दिए। अब मंजिले लड़कियों के लिए दूर नहीं है।