AIDS के कारण बढ़ सकता है इन बीमारियों का खतरा, समय रहते ही बरत लें सावधानी !
punjabkesari.in Thursday, May 18, 2023 - 10:39 AM (IST)
एड्स एक ऐसी बीमारी है जिससे दुनिया के कई लोग ग्रस्त हैं परंतु इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरुकता न होने के कारण व्यक्ति इससे बहुत जल्दी घिर जाते हैं। वर्षों से एचआईवी टीका विकसित करने के लिए खास रिसर्च की जा रही है। इसके अलावा वैज्ञानिकों के सामने भी एचआईवी वायरस को लेकर कई सारी चुनौतियां हैं। यह वायरस अभूतपूर्व ढंग से जेनेटिकली खुद को बदल लेता है इसमें व्यक्ति को आजीवन संक्रमित करने की भी क्षमता होती है। इसके अलावा यह वायरस लॉन्ग टर्म में व्यक्ति को प्रभावित करता है। आज वर्ल्ड एड्स वैक्सीन डे मनाया जा रहा है ऐसे में इस मौके पर आपको बताते हैं कि आप इस बीमारी से अपना बचाव कैसे कर सकते हैं...
इसलिए मनाया जाता है वर्ल्ड वैक्सीन डे
अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी और इन्फेक्शियस डिजीज ने 18 मई को वर्ल्ड एड्स वैक्सीन डे मनाने की शुरुआत की थी। एड्स वैक्सीन के प्रति लोगों को जागरुक करने करने के लिए विश्व के ज्यादातर देशों में यह दिन मनाया जाता है। भारत में हर साल एचआईवी वैक्सीन जागरुकता दिवस या एचआईवी वैक्सीन डे मनाया जाता है। टीके की महत्ता और इस दिशा में लगे हुए वैज्ञानिकों के कार्यों की महत्ता से आम लोगों को अवगत करवाने के लिए हर साल वर्ल्ड एड्स वैक्सीन डे मनाया जाता है।
एड्स का स्वास्थ्य पर असर
इम्यूनिटी कमजोर
एक्सपर्ट्स की मानें तो एड्स के कारण व्यक्ति की इम्यूनिटी कमजोर होती है। इससे व्यक्ति समय के साथ संक्रमणों के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाता है जिससे निमोनिया, टीबी, कैंडिडिआसिस, साइटोमेगालोवायरस संक्रमण और टोक्सोप्लाजमोसिज जैसे संक्रमण शामिल है।
कैंसर
एड्स से पीड़ित व्यक्तियों में कैंसर का खतरा भी बढ़ने लगता है। खासकर ऐसे लोग जो वायरल संक्रमण से पीड़ित होते हैं उन्हें कपोसी का सरकोमा, गैर हॉजकिन लिंफोमा और इनवेसिव सर्वाइकल कैंसर का खतरा रहता है।
हृदय रोग
इन मरीजों में हृदय रोग, दिल के दौरे और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ने लगता है। पुरानी सूजन, एंटीरेट्रोवाइरल थैरेपी का दुष्प्रभाव इन लोगों में बहुत जल्दी देखने को मिलता है।
मानसिक स्वास्थ्य होता है प्रभावित
यदि व्यक्ति लंबे समय तक एड्स से पीड़ित हो तो उसका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है जिसके कारण व्यक्तियों में अवसाद, चिंता और अन्य मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी होने लगती हैं।