AI ने खोजा TB रोकने का नया तरीका, अब नहीं जाएगी बेवक्त जान!

punjabkesari.in Wednesday, Nov 19, 2025 - 04:56 PM (IST)

नारी डेस्क:   टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) एक ऐसी बीमारी है जो आज भी दुनिया भर में लाखों लोगों की जान ले रही है। मेडिकल साइंस में लगातार प्रगति के बावजूद टीबी की पहचान और इलाज में कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। लेकिन अब इस लड़ाई में  AI की एंट्री ने नई उम्मीद जगा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस तकनीक का बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया गया, तो टीबी से होने वाली मौतों की संख्या तेजी से कम हो सकती है।

टीबी के लिए दुनिया का पहला ऑल-इन-वन AI सिस्टम - CAD4TB+

इस साल फेफड़ों की बीमारियों पर होने वाले इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में एक महत्वपूर्ण तकनीक पेश की गई। Delft Imaging और EPCON ने मिलकर CAD4TB+ नाम का नया एआई प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है। यह प्लेटफॉर्म टीबी के खिलाफ एक पूरी तरह नया और व्यापक समाधान लेकर आया है। यह सिर्फ बीमारी की पहचान ही नहीं करता, बल्कि यह भी बताता है कि कौन-सा क्षेत्र हॉटस्पॉट बन रहा है और भविष्य में किस इलाके में संक्रमण फैलने की संभावना है। इतनी सारी सुविधाएं एक ही प्लेटफॉर्म पर मिलना टीबी के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।

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टीबी की पहचान अभी भी इतनी मुश्किल क्यों है?

टीबी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि बहुत से लोगों को बीमारी होने के बाद भी समय पर इसका पता नहीं चलता।

WHO की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में

1 करोड़ 7 लाख लोग टीबी से प्रभावित हुए, जबकि 12 लाख से ज्यादा लोग इसकी वजह से मारे गए। लेकिन सबसे चिंताजनक बात यह है कि लगभग 24 लाख मरीजों की पहचान ही नहीं हो पाती। ये वो लोग होते हैं जो या तो जांच तक पहुंच ही नहीं पाते या स्वास्थ्य सिस्टम उनकी बीमारी पहचानने में असफल रहता है। अफ्रीका, एशिया और गरीब देशों में स्थिति और भी खराब है, जहाँ दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोग जांच के दायरे में आ ही नहीं पाते। CAD4TB+ इन सभी कमियों को दूर करने का काम करता है। AI एक्स-रे और डेटा एनालिसिस को जोड़कर यह बताता है कि बीमारी कहां ज्यादा है, कौन-से क्षेत्र संवेदनशील हैं और किन जगहों पर टीबी तेजी से फैल सकती है।

विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

Delft Imaging के CEO गुइडो गीर्ट्स बताते हैं कि टीबी को समय रहते पहचानना सबसे जरूरी है। उन्होंने बताया कि उनके पुराने सिस्टम CAD4TB की मदद से अभी तक 5.5 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग हो चुकी है। नया CAD4TB+ सिस्टम इससे भी ज्यादा तेज, सटीक और स्मार्ट है। दूसरी ओर EPCON की CEO कैरोलाइन वैन काउवेलर्ट का कहना है कि अब पहला बार ऐसा हो रहा है कि फील्ड में होने वाली जांच सीधे देश की योजनाओं और स्वास्थ्य नीति से जुड़ पाएगी।

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उनके शब्दों में “अब हर एक्स-रे सिर्फ एक मरीज की रिपोर्ट नहीं रहेगा। यह बताने वाला डेटा पॉइंट होगा कि देश में टीबी किस दिशा में फैल रही है।”

यह देखने में छोटा बदलाव लगता है, लेकिन इसका असर बहुत बड़ा हो सकता है। दुनिया के कई देशों में मिल चुके हैं मजबूत नतीजे इस तकनीक का प्रभाव कई देशों में पहले ही देखा जा चुका है। नाइजीरिया में AI ने टीबी हॉटस्पॉट की पहचान की। जहाँ पहले मरीज नहीं मिल पाते थे, वहां अब बड़ी संख्या में केस पकड़े जा रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका में टीबी मरीजों की पहचान की लागत काफी कम हो गई, जिससे सरकार ज्यादा लोगों को स्क्रीन कर पा रही है। यह सिस्टम आज 90 से अधिक देशों में इस्तेमाल हो रहा है। साथ ही, 120 से ज्यादा वैज्ञानिक रिसर्च इस तकनीक के फायदे साबित करती हैं। सबसे बड़ा फायदा यह है कि AI शुरुआती स्टेज में ही बीमारी पकड़ लेता है, जिससे इलाज समय पर शुरू किया जा सके और मौतों को रोका जा सके।  


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Content Editor

Priya Yadav

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