नोबल पुरस्कार से सम्मानित हुए अभिजीत, कभी हत्या के आरोप में जाना पड़ा था जेल
punjabkesari.in Tuesday, Oct 15, 2019 - 01:36 PM (IST)
भारतीय मूल के अमेरिका में रहने वाले अभिजीत बनर्जी व उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में ‘वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन' का काम करने के लिए नोबल पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। उनके साथ यह पुरस्कार संयुक्त रुप से अमेरिका के माइकल क्रेमर को भी दिया गया है। नोबेल समिति की ओर से इसा बारे में सोमवार को घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि इस साल के पुरस्कार विजेताओं का शोध वैश्विक स्तर पर गरीबी से लड़ने में हमारी क्षमता को बेहतर बनाता है। मात्र दो दशक में उनके नए प्रयोगदर्मी द्दष्टिकोण ने विकास अर्थशास्त्र को पूरी तरह से बदल दिया है। चलिए बताते है आपको अभिजीत बनर्जी के जीवन के बारे में..
पेरेंट्स भी थे अर्थशास्त्र के प्रोफेसर
58 साल के बनर्जी का जन्म 21 फरवरी 1961 में कोलकत्ता में हुआ था। उनकी मां निर्मला सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर व पिता दीपक प्रेसिडेंट कालेज में अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष थे। कोलकत्ता विश्वविद्यालय व जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई कर 1988 में हावर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल की थी। इस समय वह मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन अंतरराष्ट्रीय प्रोफेसर हैं। अभिजीत का जीवन बहुत ही गरीबी में बीता है, इस बारे में वह अक्सर ही अपने माता-पिता से पूछा करते थे।
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— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 14, 2019
The 2019 Sveriges Riksbank Prize in Economic Sciences in Memory of Alfred Nobel has been awarded to Abhijit Banerjee, Esther Duflo and Michael Kremer “for their experimental approach to alleviating global poverty.”#NobelPrize pic.twitter.com/SuJfPoRe2N
हत्या के आरोप में गए थे जेल
अपने ही लिखे हुए एक लेख में अभिजीत ने बताया था कि 1983 में गर्मियों में जेएनयू के छात्रों ने वाइस चांसलर का घेराव किया था क्योंकि वह उनके छात्रसंघ अध्यक्ष को कैंपस के निष्कासित करना चाहते थे। इस घेराव के दौरान पुलिस कई विद्यार्थियों को पकड़ ले गई थी। तब राजद्रोह जैसा मुकदमा नही होता था इसलिए उन्हें हत्या की कोशिश के आरोप में 10 दिन जेल में रहना पड़ा था।

हासिल कर चुके है यह उपाधि
बनर्जी ने 2003 में डुफ्लो व सेंडिल मुल्लाइनाथन के साथ मिलकर अब्दुल लतीफ जमील पावर्टी एक्शन लैब की स्थापना की थी। वह प्रयोगशाला के निदेशकों में से एख है। संयुक्तराष्ट्र महासचिव की 2015 के बाद के विकासत्मक एजेंडा पर विद्वान व्यक्तियों की उच्च स्तरीय समिति के सदस्य भी रह चुके है। इतना ही नही उन पर अब तक दो डॉक्युमेंटरी भी बन चुकी हैं।
'पुअर इकनॉमिक्स' बन चुकी है बिजनेस बुक ऑफ द इयर
प्रोफेसर होने के साथ अभिजीत आर्थिक मसलों पर कई तरह के आर्टिकल लिखते रहते है। वह अब तक 4 पुस्तकें लिख चुके हैं। जिसमें से 'पुअर इकनॉमिक्स' जो गोल्डमैन सैक्स बिजनेस बुक ऑफ द इयर का खिताब हासिल कर चुकी हैं।

2015 में एस्तेय डिफ्लो से की थी शादी
अभिजीत की पत्नी एस्तेय डिफ्लो का जन्म 1972 में पैरिस में हुआ था जो कि इस समय एमआईटी में पॉवर्टी एलविएशन एंड डिवेलपमेंट इक्नॉमिक्स की प्रोफेसर है। फ्रांसीसी मूल की अमेरिका में रहने वाली डिफ्लो ने इतिहास व अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन के बाद 1994 में पैरिस स्कूल ऑफ अर्थशास्त्र से मास्टर डिग्री हासिल की है। 1999 में उन्होंने एमआईटी से ही अर्थशास्त्र की पीएचडी पूरी की है। दोनोंने 2015 में शादी की थी।


