ऊंची उड़ान: चाय बेचने वाले की बेटी बनी पायलट, IAF में उड़ाएगी फाइटर प्लेन
punjabkesari.in Thursday, Jun 25, 2020 - 01:42 PM (IST)
अगर कुछ कर दिखाने का जज्बा और हौंसला हो तो प्रतिभा किसी साधन की मोहताज नहीं रहती। हिम्मत और लगन से एक न एक दिन मंजिल मिल ही जाती है। ऐसी ही मिसाल पेश की है, आंचल गंगवाल। आंचल ने एयरफोर्स पायलट बनकर ना सिर्फ सपनें साकार किए बल्कि परिवार व देश का नाम भी रोशन कर दिया है। चलिए आपको बताते हैं कि छोटे शहर से ऊंची उड़ाने भरने की आंचल की कहानी...
चाय बेचते हैं आंचल के पिता
मध्यप्रदेश के नीमच गांव की रहने वाली 24 साल की आंचल ने अपनी पढ़ाई के दम पर वायुसेना तक का सफर तय किया है उनकी जीत इसलिए भी खास है क्योंकि वह एक चायवाले की बेटी हैं। उनके पिता सुरेश गंगवाल नीमच के बस स्टैंड पर अपनी चाय की दुकान लगाते हैं।
फीस भरने के भी नहीं होते थे पैसै
आंचल के परिवार की हालात ठीक ना होने की वजह से कई बार उनके पास फीस भरने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। कई बार उनके पिता उधार लेकर फीस भर दिया करते थे तो कई बार शहर से बाहर होने का बहाना लगा देते थे। उनके पिता चाहते थे कि आंचल आगे बढ़े, जिसके लिए वह खुद भी कड़ी बहुत मेहनत करते थे।
2018 में पास किए एग्जाम लेकिन..
2018 में आंचल ने उन्होंने भारतीय एयरफोर्स का एग्जाम पास किया, जिसके वह अपनी पोस्टिंग का इंताजर कर रही थी। अब आखिरकार एयरफोर्स पायलट के तौर पर नियुक्त हो गई हैं। उन्होंने भारतीय वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर के पद पर अपना काम शुरू कर दिया है। उनके पिता ने एक इंटरव्यू में कहा, 'आंचल की कमिशनिंग हमारे लिए गर्व का मौका है लेकिन हम वहां जा नहीं सकते क्योंकि कोरोना वायरस के चलते कई प्रतिबंध हैं। '
नहीं हारी हिम्मत
आंचल को राष्ट्रपति पट्टिका से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनके पिता सुरेश ने कहा, 'हमारे जैसे छोटे वर्ग के लोगों को समस्याएं तो आती हैं लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी और बच्चों को भी नहीं हारने दी।' वहीं, आंचल का कहना है कि वह हमेशा से ही सपना देखती थीं कि वो यूनिफॉर्म में अपने माता-पिता के सामने खड़ी हैं, जो आखिरकार सच हो गया है।
3 दिन तक प्रैक्टिस पीरियड में पानी तक नहीं पिया
आंचल के फिजिकल ट्रेनर किशन पाल ने बताया, "आमचल का सबसे मुश्किल समय तब था जब उसने मुझे बताया कि सर मेरे पास 24 दिन हैं और मुझे 9 कि.लो. वजन कम करना है। वजन घटाने के लिए आंचल ने 3 दिन तक प्रैक्टिस की और इस पीरियड में पानी तक नहीं पिया।'
दो नौकरी छोड़ चुकी है आंचल
बता दें कि आंचल कम्प्यूटर साइंस ग्रैजुएट हैं। एयरफोर्स में आने से पहले वह एमपी पुलिस डिपार्टमेंट में सब इंस्पेक्टर का काम भी कर चुकी हैं लेकिन उन्होंने कुछ दिन बाद वह नौकरी छोड़ दी। फिर उनका चयन लेबर इंसपेक्टर के रूप में हुआ लेकिन उसका मकसद फोर्स में जाना था इसलिए उन्हें यह नौकरी भी छोड़नी पड़ी।
ऐसे मिली एयरफोर्स से जुड़ने की प्रेरणा
आंचल हमेशा से ही भारतीय वायुसेना का हिस्सा बनना चाहती थी। 2013 में आई केदारनाथ आपदा के समय जिस तरह से भारतीय डिफेंस फोर्सेस ने वहां फंसे लोगों की रक्षा की उसे देखकर आंचल को वायुसेना से जुड़ने का ख्याल आया था। इसके बाद से ही वह अपने सपने को साकार करने में लग गई। कई बार उन्हें असफलता का मुंह भी देखना पड़ा लेकिन वह निराश नहीं हुई और आगे बढ़ती गई।