लाखों महिलाओं को जानलेवा कैंसर से बचाएगी एक वैक्सीन, जानिए इसके बारे में सबकुछ
punjabkesari.in Wednesday, Mar 06, 2024 - 11:34 AM (IST)
जनवरी को सर्वाइकल कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया गया। इसका उद्देश्य लोगों को सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूक करना है और इस बीमारी से बचने के लिए एचपीवी वैक्सीन के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। तभी तो 4 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय एचपीवी जागरूकता दिवस मनाया जाता है। एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमावायरस) वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर को रोकने में एक अविश्वसनीय रूप से प्रभावी उपकरण है, यह कई महिलाओं की जिंदगी बचा सकता है।
महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर सरकार गंभीर
इस साल देश के बजट में भी महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर महत्वपूर्ण घोषणा हुई। अब सरकार की तरफ से 9 से 14 साल की लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर का मुफ्त टीका लगाया जाएगा। बड़े पैमाने पर होने वाला यह टीकाकरण अभियान सर्वाइकल कैंसर को पूरी तरह खत्म करने की शुरुआत है। दरअसल दुनिया भर में महिलाओं में चौथे सबसे आम कैंसर के रूप में, सर्वाइकल कैंसर हर साल 3,00,000 से अधिक महिलाओं की जान ले लेता है, या हर दो मिनट में एक जान ले लेता है।
सर्वाइकल कैंसर के मामलों में आई तेजी
सर्वाइकल कैंसर से मरने वाली 10 में से नौ महिलाएं निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहती हैं। भारत की बात करें तो स्तन कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर दूसरा सबसे आम कैंसर है। देश की जनसंख्या के आकार को देखते हुए, 15 वर्ष से अधिक उम्र की लगभग 500 मिलियन महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का खतरा है। यदि कोई कार्रवाई नहीं की गई तो भविष्य में सर्वाइकल कैंसर के मामलों और मौतों की संख्या में काफी वृद्धि होने का अनुमान है। वर्तमान जनसंख्या वृद्धि दर के साथ, 2040 में भारत में सभी उम्र के सर्वाइकल कैंसर के नए मामलों की कुल संख्या 1,91,3 होने का अनुमान है।
क्या है सर्विकल कैंसर
सर्विकल कैंसर का मतलब है सर्विक्स (cervix) से शुरू होने वाला कैंसर। सर्विक्स को हिंदी में गर्भाशय ग्रीवा या बच्चेदानी का मुंह भी कहा जाता है। यह आमतौर पर उच्च जोखिम वाले प्रकार के ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) के लगातार संक्रमण के कारण होता है, जो समय के साथ सर्विक्स में असामान्य सेल्स परिवर्तन का कारण बन जाते हैं। यदि उपचार न किया जाए, तो ये असामान्य सेल्स कैंसर में विकसित हो सकती हैं।
एचपीवी वैक्सीन कैसे करती है सुरक्षा
एचपीवी वैक्सीन नौ तरह के एचपीवी वायरस से सुरक्षा करती है। इन नौ में से दो वायरस ऐसे होते हैं जो सर्विकल कैंसर के ज़्यादातर मामलों के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। इनकी वजह से ज़्यादातर एनल कैंसर, जेनिटल कैंसर और सिर एवं गर्दन के कैंसर होते हैं। अध्ययनों में सामने आया है कि इस वैक्सीन की वजह से कम से कम दस साल तक एचपीवी संक्रमण से बचा जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस वैक्सीन की एक या दो डोज़ दी जानी चाहिए. जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, उन्हें दो या तीन डोज़ देनी चाहिए।
एचपीवी वैक्सीन की प्रक्रिया
-एचपीवी वैक्सीन को 9 से 26 साल की उम्र तक लगाया जा सकता है।
-9 से 14 साल की उम्र में 2 डोज दी जाती है।
-वहीं 15 से 26 साल की उम्र में इसकी 3 डोज दी जाती है।
- वैसे तो यह वैक्सीन 45 की उम्र तक लगाई जा सकती है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ इस वैक्सीन का असर कम हो जाता है।
- जिन लोगों के परिवार में किसी को सर्वाइकल कैंसर हो जाता है उन्हें इस वैक्सीन की डोज दे दी जाती है।
सर्वाइकल कैंसर के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
-पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लड फ्लो
-असामान्य डिस्चार्ज जिसमें दुर्गंध हो या खून हो।
-सेक्स के दौरान पेल्विक पेन।
-पेशाब करते समय कठिनाई महसूस होना
-पीठ और पेट में दर्द
ञकमजोरी और थकान महसूस होना