पैदा होते ही मार देना चाहते थे रिश्तेदार, आज इस नेत्रहीन industrialist पर बन रही है फिल्म

punjabkesari.in Friday, Jan 07, 2022 - 10:52 AM (IST)

जिस बच्चे को पैदा होते ही मार देने की योजना बनाई जा रही थी, आज वह अरबों की संपत्ति का मालिक है।  दृष्टिबाधित उद्योगपति श्रीकांत बोला आज सफलता की कहानियों का एक बड़ा नाम बन चुके हैं, तभी तो उन पर एक फिल्म बनने जा रही है। श्रीकांत की सफलता और संघर्ष की कहानी को दुनिया से रूबरू करवाएंगे राज कुमार राव। 


 श्रीकांत पर बनेगी फिल्म

राजकुमार राव  लाखों लोगों की प्रेरणा बन चुके श्रीकांत बोला पर बन रही फिल्म में नजर आएंगे। इस फिल्म का निर्माण भूषण कुमार और निधि परमार हीरानंदानी कर रहे हैं और इसका निर्देशन तुषार हीरानंदानी कर रहे हैं।अभी अस्थायी रूप से इस बायोपिक का नाम ‘श्रीकांत बोला’ रखा गया है, इसमें इक ऐसे उद्योगपति की प्रेरणादायक कहानी है जो देख न पाने की कमी को दूरदृष्टि में बाधा नहीं डालने देते और बोलांत उद्योग की स्थापना करते हैं।

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श्रीकांत अपनी कंपनी में रखते हैं दिव्यांग कर्मचारी 

राव ने इस फिल्म को लेकर उत्सुकता जाहिर करते हुए कहा कि श्रीकांत बोला की कहानी प्रेरणादायक है और इस तरह के व्यक्तित्व का किरदार अदा करना उनके लिए सम्मान की बात है क्योंकि बोला अपने जीवन में काफी मुश्किलों का सामना करते हुए यहां तक पहुंचे हैं। ​बचपन से ही  ब्लाइंड होने के बावजूद  श्रीकांत ने 150 करोड़ रुपए की कंपनी खड़ी कर दी, वह  कंज्यूमर फूड पैकेजिंग कंपनी बौलेंट इंडस्ट्रीज के CEO हैं। उनकी कंपनी के 7 प्लांट है, जिसमें 1200 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, बड़ी बात यह है कि इनमें से ज्यादातर दिव्यांग हैं। कम्पनी में काम करने वाले कर्मचारियों की भर्ती में दिव्यांग को प्राथमिकता दी जाती है।

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पढ़ाई में बहुत तेज थे  श्रीकांत 

जब श्रीकांत पैदा हुए तो किसी को खुशी नहीं हुई क्योंकि वो नेत्रहीन थे। उनके पड़ोसियों और गांव वालों ने कहा कि यह किसी काम का नहीं है, इसे मार दो। हालांकि उनके मां-बाप ने किसी की नहीं सुनी और आज उनका बेटा करोड़ों की कंपनी चला रहा है। श्रीकांत बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे लेकिन नेत्रहीन होने के कारण उन्हे कई परेशानियां झेलनी पड़ी। क्लास की आखिरी बेंच पर बैठाए जाने के बावजूद वह 10वीं में अच्छे नंबरों से पास हुए। 


श्रीकांत के आगे रखी गई थी शर्त 

स्कूल में एडमिशन देने के साथ ही शर्त रखी गई थी कि वह खुद के  रिस्क पर पढ़ाई करेंगे और यदि कोई अनहोनी भी होती है तो इसकी जवाबदारी उनकी खुद की होगी। इसके बाद वे पढ़ाई में जुट गए और दो साल में ही उन्होंने अपने प्रदर्शन को इतना अच्छा बना दिया कि 12वीं में 98 प्रतिशत अंक हासिल किए और स्कूल को गलत साबित कर दिया। इसक बाद श्रीकांत MIT में पढ़ने वाले भारत के पहले नेत्रहीन स्टूडेंट बने। 

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 8 लोगों से शुरू की कंपनी

इसके बाद  श्रीकांत ने लोगों के खाने-पीने के समान की पैकिंग के लिए कंज्यूमर फूड पैकेजिंग कंपनी बनाने की सोची। कंपनी की शुरुआत 8 लोगों की एक टीम से हुई, इसमें पहले आस-पास के बेरोजगार युवाओं को जोड़ा गया। आज श्रीकांत की कंपनी के तेलंगाना और हैदराबाद में 7 प्लांट है, उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर 150 करोड़ से ऊपर तक पहुंच गया है।
 


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Content Writer

vasudha

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